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कैसी थी आज़ाद भारत की पहली सुबह? जानिए 15 अगस्त 1947 का ऐतिहासिक घटनाक्रम
Independence Day Special Story: 15 अगस्त 2025 को भारत अपना 79वां स्वतंत्रता दिवस मनाएगा ।
Independence Day History (Image Credit-Social Media)
15 August 1947 Historical Events: 15 अगस्त 1947 का दिवस भारतीय इतिहास का सबसे स्वर्णिम दिन है। 15 अगस्त को भारत ने लगभग 200 वर्षों की गुलामी के बाद अंग्रेज़ शासन को त्यागकर आज़ादी प्राप्त की थी । ये दिन केवल एक राष्ट्रीय पर्व नहीं बल्कि करोड़ों भारतीयों के सपनों, संघर्षों और बलिदानों की परिणिति है। आज भारत के आजादी के 79 वर्ष पूर्ण हो चुके है लेकिन आज भी हर भारतीय के दिल में वही जोश और जूनून देखने को मिलता है । ऐसे में आइये जानते है 15 अगस्त 1947 की सुबह को विस्तार से जब लोगों ने स्वतंत्र भारत की हवा में पहली बार सांस ली थी । न्यूजट्रैक के इस लेख में हम 15 अगस्त 1947 के पूरे घटनाक्रम, उस समय के माहौल, प्रमुख घटनाओं और स्वतंत्रता दिवस की पहली सुबह के अनुभवों पर विस्तृत नज़र डालेंगे।
भारत के आज़ादी की पृष्ठभूमि
ब्रिटिश शासन ने लगभग दो शताब्दियों तक (200 सालों) भारत पर राज किया जो 18वीं सदी के अंत से 1947 तक कायम था। 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम, जिसे सिपाही विद्रोह भी कहा जाता है, के बाद ईस्ट इंडिया कंपनी का शासन समाप्त हो गया और भारत सीधे ब्रिटिश क्राउन के अधीन गया। इसके बाद भारत की आज़ादी के लिए असहयोग आंदोलन, सविनय अवज्ञा आंदोलन और भारत छोड़ो आंदोलन जैसे विशाल जनांदोलन हुए जिन्होंने स्वतंत्रता की लौ को और प्रज्वलित किया। इसके बाद द्वितीय विश्व युद्ध (1939 - 1945) ने ब्रिटिश साम्राज्य की ताकत को कमजोर कर दिया और स्वतंत्रता की मांग इतनी जोरदार हो गई कि अंततः अंग्रेजों को मज़बूरन भारत छोड़ने का निर्णय लेना पड़ा। इसी के साथ 15 अगस्त 1947 का ऐतिहासिक दिन आया जब भारत ने स्वतंत्रता की सांस ली।
स्वतंत्र भारत की घोषणा
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री क्लेमेंट एटली ने, 20 फरवरी 1947 को संसद में घोषणा की कि भारत को 30 जून 1948 से पहले आज़ाद किया जाएगा । लेकिन देश में बढ़ते तनाव, हिंदू-मुस्लिम दंगों और बदलते राजनीतिक माहौल के कारण यह तारीख बदल दी गई । इसके बाद भारत के अंतिम वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन ने 3 जून 1947 को माउंटबेटन योजना पेश की जिसके तहत भारत को स्वतंत्र करने के लिए 15 अगस्त 1947 का ऐतिहासिक दिन चुना गया। इसी योजना में यह भी तय किया गया की भारत का विभाजन होगा।जिसके परिणामस्वरूप पाकिस्तान का गठन 14 अगस्त 1947 को हुआ और 15 अगस्त 1947 को भारत ने स्वतंत्रता हासिल की ।
स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री का ऐतिहासिक भाषण
भारतीय संविधान सभा का ऐतिहासिक मध्यरात्रि सत्र, 14 अगस्त 1947 की रात को दिल्ली में पूर्व राजभवन (वर्तमान राष्ट्रपति भवन) में आयोजित किया गया था । ठीक रात 12 बजे भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने अपना मशहूर भाषण 'Tryst with Destiny' (नियति से भेंट) दिया। इस भाषण में पंडित जवाहरलाल नेहरू ने कहा था कि, "जब पूरी दुनिया सो रही होगी, भारत जीवन और स्वतंत्रता की नई सुबह के साथ जाग उठेगा" । यह भाषण भारत की आधिकारिक स्वतंत्रता का क्षण बन गया और 20वीं सदी के सबसे प्रभावशाली भाषणों में गिना जाने लगा। नेहरू के इस भाषण ने देशवासियों में नई उम्मीदें जगाईं और साथ ही स्वतंत्रता के साथ आने वाली जिम्मेदारियों और चुनौतियों का एहसास भी कराया।
आज़ाद भारत की पहली सुबह
15 अगस्त 1947, शुक्रवार को आज़ाद भारत की पहली सुबह थी । उस सुबह दिल्ली की सड़कों पर लोगों में देशभक्ति और उत्साह की लहर उमड़ पड़ी थी। इसके बाद पंडित जवाहरलाल नेहरू ने भारत की शान का प्रतिक तिरंगा झंडा फहराया। जिसके बाद पूरे देश में देशवासी खुशी और गर्व के साथ झंडे फहराने, मिठाइयाँ बाँटने और देशभक्ति गीत गाने में जुट गए। यह दिन पूरे भारत में बेहद धूमधाम से मनाया गया था और हर जगह आज़ादी का जश्न देखने लायक था। तिरंगे, ‘जन गण मन’ की धुन, ‘भारत माता की जय’ और ‘वंदे मातरम्’ के नारों ने पूरे देश को देशभक्ति के रंग में डुबो दिया था। यह वहीं क्षण था जब लाखों भारतीयों की आंखों में आंसू और दिल में असीम था।
राजधानी दिल्ली का जश्न
भारत के पहले स्वतंत्रता दिवस पर राजधानी दिल्ली की हर गली, मोहल्ला और बाजार राष्ट्रीय ध्वज के रंगों से सज गए थे। फूलों की सजावट और रंग-बिरंगी रोशनी ने पूरे शहर को दुल्हन की तरह सज़ा दिया था। लोग एक-दूसरे को गले लगाकर अपनी खुशी बांट रहे थे जबकि बच्चे हाथों में छोटे-छोटे तिरंगे लेकर इधर-उधर दौड़ते नज़र आ रहे थे। यह नज़ारा उस दिन की देशभक्ति और उमंग को साफ दर्शाता था। खासकर लाल किले और इंडिया गेट के आसपास का माहौल तो देशभक्ति से सराबोर और रंगीन सजावट से भरा हुआ था।
प्रमुख नेताओं की भूमिका और उपस्थिति
महात्मा गांधी - 15 अगस्त 1947 को महात्मा गांधी दिल्ली में नहीं बल्कि कोलकाता (तत्कालीन कलकत्ता) में थे। वे वहां सांप्रदायिक दंगों को रोकने और लोगों के बीच शांति स्थापित करने में जुटे थे। गांधीजी ने जश्न में शामिल होने से इंकार किया और सभी से शांति और एकता बनाए रखने की अपील की।
सरदार वल्लभभाई पटेल - इसी समय, सरदार वल्लभभाई पटेल देश के विभिन्न रियासतों और राज्यों को एकजुट करने की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभा रहे थे, जो स्वतंत्र भारत के निर्माण में एक अहम कदम था।
डॉ. राजेंद्र प्रसाद - वहीं भारत के पहले राष्ट्रपति के डॉ. राजेंद्र प्रसाद, स्वतंत्रता दिवस के समारोह में मौजूद थे और उन्होंने उस ऐतिहासिक मौके पर महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
रेडियो पर आज़ादी की गूँज
15 अगस्त 1947 की सुबह ‘ऑल इंडिया रेडियो’ (जो बाद में आकाशवाणी कहलाया) ने स्वतंत्र भारत से अपना पहला प्रसारण किया। इसकी शुरुआत "यह आकाशवाणी है" शब्दों से हुई, जिसके बाद भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू का मशहूर 'Tryst with Destiny' भाषण पूरे देश ने रेडियो पर सुना। इसके साथ ही स्वतंत्रता की घोषणा और देशभक्ति गीत भी प्रसारित हुए, जिससे पूरे देश में आज़ादी का उत्साह और गर्व फैल गया। उस समय टीवी नहीं था, इसलिए रेडियो ही लोगों के लिए ताज़ा समाचार और राष्ट्रीय संदेश सुनने का सबसे बड़ा माध्यम था। यह ऐतिहासिक उद्घोषणा आज भी ऑल इंडिया रेडियो के संग्रहालय में सुरक्षित है।
भारत की स्वतंत्रता का वैश्विक प्रभाव
स्वतंत्रता का यह दिन आम लोगों के लिए जीवन का सबसे बड़ा सपना पूरा होने जैसा था। कई परिवारों ने स्वतंत्रता संग्राम में अपने शहीद हुए प्रियजनों को याद किया और उन्हें श्रद्धांजलि दी, तो कई ने मिठाइयों और पटाखों से जश्न मनाया।
इसके अलावा भारत की स्वतंत्रता वैश्विक राजनीती में एक अहम मोड़ थी क्योंकि ब्रिटिश साम्राज्य का एक सबसे महत्वपूर्ण उपनिवेश स्वतंत्र हुआ था । यह भारत के साथ - साथ पूरे विश्व के लिए तिहासिक बदलाव था। इस दिन दुनिया भर के अखबारों ने भारत की स्वतंत्रता को प्रमुख खबर के रूप में छापा और इसे औपनिवेशिक शासन के अंत तथा नए युग की शुरुआत बताया। कई देशों ने भारत को बधाई संदेश भेजे और इस घटना ने अन्य उपनिवेशित देशों में भी आज़ादी की उम्मीद जगाई।
आज़ादी का मीठा और कड़वा सच
15 अगस्त 1947 को भारत स्वतंत्र हुआ लेकिन यह आज़ादी विभाजन के गहरे दर्द के साथ आई। भारत और पाकिस्तान के बंटवारे में लगभग 1.2 से 2 करोड़ लोग अपने घरों से बेघर हो गए और हजारों लोगों ने अपनी जान गंवाई। यह दिन खुशी के साथ-साथ भारी दुःख और त्रासदी लेकर आया था ।
इसके साथ ही पहले स्वतंत्रता दिवस पर परंपरा के अनुसार पंडित जवाहरलाल नेहरू ने लाल किले पर तिरंगा फहराया और देश को संबोधित किया। यह परंपरा आज भी जारी है, जब हर साल भारत के प्रधानमंत्री लाल किले की प्राचीर से तिरंगा फहराते हैं और राष्ट्र को संबोधित करते हैं।
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