AI In Mental Health: तनाव, चिंता और डिप्रेशन को जड़ से खत्म कर देगा AI, करेगा मानसिक समस्याओं का इलाज! जानिए कैसे?

Artificial Intelligence in Mental Health: AI यानी कृत्रिम बुद्धिमत्ता वह तकनीक है जिसमें मशीनें इंसानों की तरह सोचने, समझने और निर्णय लेने की क्षमता रखती हैं। AI आधारित चैटबॉट्स, मोबाइल के कई तरह के ऐप्स, मशीन लर्निंग एल्गोरिदम और वर्चुअल थेरेपिस्ट अब लोगों की भावनात्मक और मानसिक स्थिति का विश्लेषण करके उन्हें व्यक्तिगत सुझाव देने में सहायता कर रहे हैं।

Priya Singh Bisen
Published on: 30 May 2025 6:23 PM IST
AI In Mental Health
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AI In Mental Health (photo credit: social media)

Artificial Intelligence in Mental Health: मानसिक स्वास्थ्य (mental health), जो पहले कभी समाज में उपेक्षित (neglected) विषय के तौर पर जाना जाता था, वो आज वैश्विक चिंता का गंभीर विषय बन चुका है। आजकल लगभग हर एक व्यक्ति किसी न किसी प्रकार के मानसिक समस्याओं से जूझ रहा है। इस वर्ग में सबसे अधिक संख्या युवाओं की है जो आयदिन मानसिक समस्याओं के कारण घातक फैसला कर लेते हैं। आज भारत में लगभग 15% आबादी मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से गंभीर रूप से ग्रसित है। राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य सर्वे 2015-16 के मुताबिक, 10.6% वयस्क लोग मानसिक विकार से जूझ रहे हैं और कुछ अनुमानों के आधार पर भारत में तकरीबन 1 करोड़ से भी अधिक लोग बुरी तरीके से मानसिक रोग से पीड़ित हैं।


WHO के मुताबिक, भारत में प्रति 100,000 जनसंख्या पर 21.1 आयु-समायोजित आत्महत्या दर है जो कि आज के समय में चिंता का विषय है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, हर दस में से आठवां व्यक्ति किसी न किसी मानसिक समस्या से ग्रसित है। आज डॉक्टरों और मनोवैज्ञानिकों (psychologists) की संख्या बहुत कम है। तो ऐसे में आज आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) आधारित तकनीकें इस क्षेत्र में नई उम्मीदें लेकर आई हैं। AI तकनीकों की मदद से अब मानसिक स्वास्थ्य सेवाएं न सिर्फ ज्यादा सुविधाजनक और प्रभावी हो रही हैं बल्कि ये लागत प्रभावी (cost effective) के रूप में भी जानी जा रही है।

AI क्या है और यह मानसिक स्वास्थ्य में कैसे कर रहा मदद ?


AI यानी कृत्रिम बुद्धिमत्ता वह तकनीक है जिसमें मशीनें इंसानों की तरह सोचने, समझने और निर्णय लेने की क्षमता रखती हैं। AI आधारित चैटबॉट्स, मोबाइल के कई तरह के ऐप्स, मशीन लर्निंग एल्गोरिदम और वर्चुअल थेरेपिस्ट अब लोगों की भावनात्मक और मानसिक स्थिति का विश्लेषण करके उन्हें व्यक्तिगत सुझाव देने में सहायता कर रहे हैं।

AI का मानसिक स्वास्थ्य में किस प्रकार इस्तेमाल हो रहा है?

1. मूड और भावना विश्लेषण (Emotion & Mood Analysis)

AI आधारित ऐप्स जैसे कि Woebot, Wysa, Replika आदि उपयोगकर्ताओं के टेक्स्ट और वॉयस इनपुट का विश्लेषण कर उनकी भावनात्मक स्थिति की पहचान करते हैं। ये प्लेटफॉर्म Natural Language Processing (NLP) तकनीक का इस्तेमाल करके शब्दों की गंभीरता को समझते हैं और उपयोगकर्ताओं के भावनात्मक विचार को पहचानते हैं।

उदाहरण के लिए :

Wysa एक प्रकार का AI टूल है जो यूज़र के चैट के आधार पर उसकी परेशानी, डिप्रेशन या तनाव की स्थिति को पहचानकर Cognitive Behavioral Therapy (CBT) आधारित समाधान प्रदान करने में मदद करता है।

2. वर्चुअल थेरेपी (Virtual Therapy)

AI आधारित वर्चुअल थैरेपिस्ट, इंसानी मनोवैज्ञानिक की तरह ही काम करते हैं। Woebot, एक बेहद पसंद किया जाने वाला चैटबॉट, यूज़र से प्रतिदिन संवाद करके उसकी मानसिक स्थिति को जानने का प्रयास करता है और ज़रूरत पड़ने पर व्यवहारिक थेरेपी (behavioral therapy) और माइंडफुलनेस एक्सरसाज़ (Mindfulness Exercises) का सुझाव देता है।

3. भविष्य में खतरे की पहचान (Predictive Analysis)

AI एल्गोरिदम किसी भी व्यक्ति के व्यवहार, सोशल मीडिया गतिविधि, नींद के प्रतिमान और मोबाइल ऐप इस्तेमाल के सभी डेटा का गहराई से विश्लेषण करके यह पूर्वानुमान लगा सकते हैं कि किस व्यक्ति को मानसिक रूप से तनाव, परेशानी, डिप्रेशन, चिंता या फिर आत्महत्या की संभावना हो सकती है।

उदाहरण के लिए:

MIT और Harvard द्वारा किए गए एक शोध में खुलासा हुआ कि AI मॉडल ट्विटर और सोशल मेडुआ प्लेटफार्म इंस्टाग्राम पर पोस्ट की गई तमाम तस्वीरों और कैप्शन के अनुसार डिप्रेशन की भविष्यवाणी तकरीबन 70% सटीकता के साथ कर सकते हैं।

4. पर्सनलाइज्ड थेरेपी और समाधान (Customized Mental Health Plan)

AI यूज़र के आचरण और बातचीत के आधार पर व्यक्तिगत थेरेपी प्लान बनाता है। यह प्लान व्यक्ति की तमाम दिक्कतें, दिनचर्या, नींद, खान-पान और सोचने की गतिविधियों के मुताबिक तैयार किया जाता है।

5. 24x7 उपलब्धता और गोपनीयता

AI आधारित ऐप्स पूरे दिन में कभी किसी भी समय में उपलब्ध रहते हैं और यूज़र की तमाम जानकारियों को रहस्मई या गोपनीय बनाकर रखते हैं। यह ख़ासतौर से उन लोगों के लिए फायदेमंद होता है जो मानसिक रूप से परेशान हैं और किसी से साझा नहीं कर पाते हैं।

वो डेटा और तथ्य जो AI के प्रभाव को दिखाते हैं


- WHO की रिपोर्ट के मुताबिक, विश्वभर में तकरीबन 100 करोड़ से भी अधिक लोग मानसिक रोगों से जूझ रहे हैं परंतु सिर्फ 7 में से 1 व्यक्ति को ही सही इलाज मिल पाता है।

- Lancet Psychiatry की रिपोर्ट में सामने आया है कि AI आधारित मानसिक स्वास्थ्य का समाधान लगभग 60-70% मामलों में सकारात्मक रूप से बड़ा प्रभाव डालते हैं।

- Wysa ऐप का इस्तेमाल भारत समेत लगभग 65 से ज्यादा देशों में होता है और इस पर हर महीने तकरीबन 20 लाख से ज्यादा एक्टिव यूज़र रहते हैं।

- Woebot Health के मुताबिक, उनके चैटबॉट ने अब तक 10 करोड़ से ज्यादा संवाद किया है और यूज़र्स ने अपने मूड में करीब 30% तक सुधार की जानकारी साझा की है।

भारत में मानसिक स्वास्थ्य और AI का विस्तार

भारत जैसे विकसित देश में जहां मानसिक स्वास्थ्य को आज भी सामाजिक कलंक यानि एक taboo के रूप में देखा जाता है तो वहीं आज AI ने एक क्रांति का रूप ले लिया है। ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में जहां मनोचिकित्सकों की भारी कमी है, वहां मोबाइल आधारित AI ऐप्स जैसे Wysa, InnerHour, MindPeers लोगों को शुरुआती मानसिक रूप से मदद कर रहे हैं।


भारत सरकार ने भी मानसिक स्वास्थ्य (mental health) पर AI आधारित योजनाओं पर काम शुरू कर दिया है। नेशनल डिजिटल हेल्थ मिशन (NDHM) के तहत मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं को डिजिटल प्लेटफॉर्म पर लाने का प्रयास किया जा रहा है।

AI आधारित कुछ फेमस मानसिक स्वास्थ्य ऐप्स और प्लेटफॉर्म्स:

- Wysa जो कि एक प्रकार का CBT आधारित AI चैटबॉट है जिसकी मदद से माइंडफुलनेस एक्सरसाइज किया जाता है।

- Woebot जो भावनात्मक रूप से सहायता देने वाला AI आधारित चैटबॉट होता है।

- Replika एक AI फ्रेंड होता है जो नियमित बातचीत के माध्यम से तनाव कम करता है।

- MindDoc एक प्रकार ला मूड ट्रैकिंग AI ऐप् है जो कि सेल्फ-असेसमेंट पर काम करता है।

- InnerHour ऐप भारत में काफी लोकप्रिय है जिसके माध्यम से हिंदी और अंग्रेजी में संवाद करके मानसिक स्वास्थ्य में सहायता मिलिटी है।

वर्तमान में AI ऐप के फायदे:

1. सुलभता (accessibility): आज AI ऐप हर व्यक्ति के मोबाइल पर उपलब्ध है, कोई अपॉइंटमेंट की आवश्यक नहीं।

2. कम लागत (Less cost): एक मनोवैज्ञानिक की फीस की तुलना में AI टूल्स बेहद कम दाम में हर प्रॉब्लम का सोल्युशन देने में सक्षम हैं।

3. गोपनीयता (confidentiality): यूज़र्स की पहचान में किसी तरह की छेड़-छड़ नहीं होती है।

4. फास्ट रिस्पॉन्स (Fast Response): तत्काल प्रतिक्रिया मिलती है जो मानसिक रोगियों के लिए बेहद ज़रूरी है।

AI की चुनौतियाँ और सीमाएँ

- AI की भावनात्मक समझ सीमित है जो कि एक इंसानी चिकित्सक की तरह सहानुभूति नहीं दे सकता।

- डेटा की सुरक्षा: संवेदनशील मानसिक स्वास्थ्य डेटा की सुरक्षा आवश्यक है।

- गंभीर मामलों में सीमित प्रयोग: स्किजोफ्रेनिया या बाइपोलर डिसऑर्डर जैसे गंभीर मामलों में AI की भूमिका बेहद सीमित हो सकती है।

AI को लेकर क्या है भविष्य ?


AI तकनीक लगातार विकसित हो रही है। आने वाले सालों में यह तकनीक और ज्यादा सटीकता और संवेदनशीलता के साथ तमाम तरह के मानसिक समस्याओं की पहचान करने और उपचार में सक्षम होगी। इस दिशा में भारत सरकार, स्टार्टअप्स और हेल्थटेक कंपनियों को साथ मिलकर एक ऐसा इकोसिस्टम बनाकर तैयार करना चाहिए जहां AI सम्बन्धित मानसिक स्वास्थ्य सेवाएं आम लोगों तक प्रभावी रूप से पहुंच सकें।

AI.. एक उम्मीद की किरण


वर्तमान में AI अब मात्र तकनीकी शब्द नहीं रहा बल्कि ये मानसिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में लोगों के लिए उम्मीद की किरण बन चुका है। यह न सिर्फ मानसिक रोगों की झट से पता करने और उपचार में सहयोग कर रहा है, बल्कि उन लाखों लोगों को उम्मीद भी दे रहा है जो आज के समय में अपने अकेलेपन, चिंता, डिप्रेशन या आत्महत्या की सिचुएशन से जूझ रहे हैं। हालांकि AI कोई जादू की छड़ी नहीं है लेकिन यह आपके लिए सही दिशा में समझदारी के साथ उठाया गया एक मजबूत कदम जरूर हो सकता है।

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Content Writer

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