मानव मस्तिष्क कंप्यूटर से धीमा! हर सेकंड में केवल 10 बिट्स की डेटा प्रोसेसिंग

Human Brain: एक नए शोध के अनुसार एक मानव मस्तिष्क जहाँ प्रति सेकंड केवल 10 बिट्स की गति से सूचना का विश्लेषण करता है वहीँ आधुनिक स्मार्टफोन या कंप्यूटर हर सेकंड हजारों से लेकर लाखों बिट्स की जानकारी प्रोसेस करते हैं।

Newstrack Network
Published on: 26 May 2025 7:45 PM IST
Human Brain Slower than any Computer
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Human Brain Slower than any Computer (Image Credit-Social Media)

Human Brain: आमतौर पर तेज़ सोच और जटिल विश्लेषण के लिए प्रसिद्ध मानव मस्तिष्क वास्तव में जितना तेज़ लगता है, उतना नहीं है। एक नई और क्रांतिकारी शोध के अनुसार, हमारा मस्तिष्क प्रति सेकंड केवल 10 बिट्स की गति से सूचना का विश्लेषण करता है। यह गति आधुनिक स्मार्टफोन या कंप्यूटर की तुलना में बेहद कम है, जो हर सेकंड हजारों से लेकर लाखों बिट्स की जानकारी प्रोसेस करते हैं। यह शोध हमारे मस्तिष्क की कार्यप्रणाली पर नई रोशनी डालता है और मानव संज्ञान (cognition) से जुड़ी अनेक रोमांचक जिज्ञासाओं को जन्म देता है।

मस्तिष्क की स्पीड लिमिट का खुलासा

कैलिफ़ोर्निया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के वैज्ञानिक झू ज़ेंग और मार्कस मैस्टर द्वारा किए गए एक हालिया अध्ययन (जो ‘न्यूरॉन्स’ जर्नल में प्रकाशित हुआ) के अनुसार, मस्तिष्क एक बेहद संयमित गति से कार्य करता है। जहां हमारी इंद्रियाँ — जैसे आंखें, कान और त्वचा — हर सेकंड लगभग एक अरब बिट्स की जानकारी ग्रहण करती हैं, वहीं मस्तिष्क इस विशाल डेटा को छाँटने और निर्णय लेने में समय लेता है। यहां तक कि तेज़ गतिविधियों जैसे गेमिंग या खेल के दौरान भी मस्तिष्क लगभग 10 बिट्स प्रति सेकंड की दर से ही निर्णय लेता है।


वैज्ञानिकों के अनुसार, मस्तिष्क दो स्तरों पर कार्य करता है —

• बाहरी मस्तिष्क तेजी से सूचनाएं ग्रहण करता है।

• भीतरी मस्तिष्क उनमें से केवल महत्वपूर्ण बातें छाँटकर आगे बढ़ाता है।

उदाहरण के लिए, हमारी आंखों की रेटिना दृश्य जानकारी की विशाल मात्रा को प्रोसेस करती है, लेकिन इसका एक छोटा हिस्सा ही गहन विश्लेषण के लिए मस्तिष्क तक पहुंचता है। यह चयनात्मक प्रक्रिया हमें भीड़ में किसी परिचित चेहरे को पहचानने या तेजी से आती हुई वस्तु पर प्रतिक्रिया देने में मदद करती है।

धीमी प्रोसेसिंग के वास्तविक उदाहरण

शोध में बताया गया है कि यह धीमी गति रोजमर्रा की गतिविधियों में भी स्पष्ट रूप से दिखाई देती है। जैसे —

• Tetris या StarCraft जैसे तेज़ गति वाले वीडियो गेम्स में पेशेवर खिलाड़ी प्रति मिनट लगभग 200 बार कार्रवाई करते हैं, लेकिन उनके महत्वपूर्ण निर्णय अभी भी 10 बिट्स/सेकंड की सीमा में आते हैं।

• इसी तरह रूबिक क्यूब सुलझाने वाले स्पीडक्यूबर्स भी, चाहे आंखों पर पट्टी बांधकर ही क्यों न हल कर रहे हों, इसी प्रोसेसिंग लिमिट पर निर्भर करते हैं।

एक दिलचस्प उदाहरण है — ‘ट्वेंटी क्वेश्चंस’ खेल, जिसमें खिलाड़ी केवल हाँ या ना वाले सवाल पूछकर किसी वस्तु का अनुमान लगाते हैं। हर सवाल औसतन एक बिट की जानकारी देता है। यदि कोई खिलाड़ी 20 सवालों के भीतर सही अनुमान लगा ले, तो यह अध्ययन की पुष्टि करता है कि मस्तिष्क लगभग 10 बिट्स प्रति सेकंड की दर से सोचता है। चाहे हम टाइप कर रहे हों, बात कर रहे हों या पहेलियाँ सुलझा रहे हों — हमारा मस्तिष्क इसी स्थिर गति से निर्णय लेता है।


इतना धीमा क्यों है मस्तिष्क?

जब मस्तिष्क में अरबों न्यूरॉन मौजूद हैं, जो विशाल डेटा प्रोसेस करने में सक्षम हैं, तो फिर यह इतना धीमा क्यों है?

वैज्ञानिकों का मानना है कि मस्तिष्क कच्ची गति के बजाय सटीकता और लचीलापन को प्राथमिकता देता है।

• कंप्यूटर जहाँ हर डेटा को एकसमान तरीके से प्रोसेस करते हैं,

• वहीं मस्तिष्क अप्रासंगिक जानकारियों को फ़िल्टर करता है, जिससे केवल जरूरी निर्णय ही लिए जाते हैं।

यही कारण है कि बोलना, समस्या सुलझाना जैसे कार्य अत्यधिक दक्ष होते हैं — भले ही प्रोसेसिंग स्पीड कम हो।

मशीन बनाम मस्तिष्क

• एक स्मार्टफोन प्रति सेकंड गीगाबिट्स की प्रोसेसिंग करता है।

• एक कंप्यूटर प्रति सेकंड सैकड़ों गीगाबाइट्स।

• वहीं मानव मस्तिष्क — केवल 10 बिट्स प्रति सेकंड।

लेकिन फिर भी, कोई भी मशीन भावनाओं को समझने, रचनात्मक हल निकालने या संदर्भ समझने में मानव मस्तिष्क की बराबरी नहीं कर पाती।


भविष्य पर संभावित प्रभाव

यह खोज उन क्षेत्रों के लिए महत्वपूर्ण है जो ब्रेन-कंप्यूटर इंटरफेस (BCI) पर काम कर रहे हैं — यानी मस्तिष्क को सीधे उपकरणों से जोड़ना।

• जैसे — कृत्रिम अंगों को मस्तिष्क से नियंत्रित करना या

• विचारों के जरिए संवाद करना।

मस्तिष्क की धीमी प्रोसेसिंग की समझ इन तकनीकों को बेहतर डिजाइन करने में मदद करेगी।

यह अध्ययन यह सवाल भी उठाता है कि —

• क्या जानवरों के मस्तिष्क इस प्रक्रिया को अलग तरह से करते हैं?

• क्या हमारे मस्तिष्क में कुछ ऐसे तेज़ और छुपे हुए प्रोसेस भी हैं जिन्हें हमने अब तक खोजा नहीं है?

निष्कर्ष

मस्तिष्क की धीमी गति अब भी एक रहस्य है।

• कुछ विशेषज्ञ इसे विकास की प्रक्रिया का परिणाम मानते हैं, जो ऊर्जा दक्षता और निर्णय की सटीकता में संतुलन बनाता है।

• वहीं अन्य मानते हैं कि अब तक अज्ञात, अधिक तेज़ प्रक्रियाएं मस्तिष्क में मौजूद हो सकती हैं।

आने वाले शोध शायद इन रहस्यों को और गहराई से समझें और मानव बुद्धिमत्ता और तकनीक को देखने के हमारे दृष्टिकोण को पूरी तरह बदल दें।

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