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क्या गूगल रैंक करता है AI से लिखे गए आर्टिकल्स? जानिए क्या है सच्चाई
AI is Changing the World: क्या Google को फर्क पड़ता है कि कंटेंट इंसान ने लिखा है या AI ने? कैसे बदल रही है AI कंटेंट की दुनिया
AI is Changing the World (Image Credit-Social Media)
AI is Changing the World: आज के डिजिटल युग में जब हर सेकंड हजारों नए आर्टिकल्स इंटरनेट पर प्रकाशित हो रहे हैं, कंटेंट की क्वालिटी और उसकी ऑथेंटिसिटी पहले से कहीं ज़्यादा मायने रखती है। लेकिन अब सवाल यह नहीं रह गया कि कौन लिख रहा है, बल्कि यह है कि कैसे लिखा जा रहा है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के आने से कंटेंट क्रिएशन का तरीका पूरी तरह से बदल गया है। ब्लॉगर से लेकर बड़ी मीडिया वेबसाइट्स तक, हर कोई अब AI टूल्स की मदद से आर्टिकल्स लिखने लगा है। लेकिन इस बदलाव के साथ ही एक बड़ा सवाल भी खड़ा हुआ है क्या AI से लिखा गया कंटेंट गूगल पर रैंक करता है? क्या Google Discover जैसे फीचर्स में AI-जनित आर्टिकल्स को जगह मिलती है? और सबसे अहम सवाल—क्या गूगल AI से लिखे गए कंटेंट को डाउन्ग्रेड करता है या प्रमोट?
इस खबर में हम इन सभी पहलुओं पर विस्तार से चर्चा करेंगे और जानेंगे कि गूगल की पॉलिसी, एल्गोरिदम और भविष्य की रणनीति AI कंटेंट को लेकर क्या कहती है।
क्या AI आर्टिकल्स को महत्व देता है Google
गूगल ने कई बार साफ किया है कि वह ‘हाई-क्वालिटी, वैल्यू-एडेड कंटेंट’ को महत्व देता है चाहे वह इंसान ने लिखा हो या मशीन ने। मतलब यह कि अगर आपका कंटेंट उपयोगकर्ता के सवाल का सही और भरोसेमंद जवाब देता है, तो वह रैंक कर सकता है, चाहे वह ChatGPT से लिखा गया हो या किसी अनुभवी लेखक ने उसे तैयार किया हो। हालांकि, गूगल के पास ऐसे एल्गोरिदम्स हैं जो यह जांच सकते हैं कि कंटेंट कितना नैचुरल और यूजर-फ्रेंडली है। अगर AI से लिखा गया कंटेंट बॉट जैसा लगता है, रिपिटिटिव है या सिर्फ़ SEO के लिए लिखा गया है, तो उसकी रैंकिंग गिर सकती है। इसलिए सिर्फ AI से लिखना काफी नहीं है, उसे एडिट, ह्यूमन टच और वैल्यू एडिशन भी चाहिए।
क्या AI से लिखे आर्टिकल्स Google Discover में आते हैं
Google Discover एक क्यूरेटेड कंटेंट फीड है जो गूगल ऐप और क्रोम में दिखाई देता है। यह फीड पूरी तरह से यूजर के इंटरेस्ट और ब्राउज़िंग बिहेवियर पर आधारित होती है। Google Discover में आने के लिए कंटेंट को न केवल ट्रेंडिंग और एंगेजिंग होना चाहिए, बल्कि टेक्निकल फैक्टर्स जैसे E-A-T (Expertise, Authoritativeness, Trustworthiness) को भी फॉलो करना पड़ता है। अब बात करें AI कंटेंट की—तो हां, कई AI-जनित आर्टिकल्स Google Discover में नजर आए हैं, लेकिन उनकी सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि वो कितने युनिक, एंगेजिंग और जानकारी से भरपूर हैं। यदि आपने AI से सिर्फ जानकारी उठाकर बिना एडिट किए पब्लिश कर दिया, तो उसकी संभावनाएं कम हो जाती हैं। वहीं, अगर आप AI की मदद से एक आकर्षक, विजुअल्स से भरपूर और ट्रेंडिंग आर्टिकल तैयार करते हैं, तो Discover में आना मुमकिन है।
क्या Google AI से लिखे कंटेंट को डाउन करता है
गूगल ने पहले यह कहा था कि ऑटो-जेनरेटेड कंटेंट को वह ‘spammy’ मान सकता है, लेकिन 2023 और उसके बाद की अपडेट्स में इसका रुख बदला है। अब गूगल का कहना है कि वह कंटेंट की क्वालिटी पर ध्यान देता है, न कि इस पर कि उसे किसने लिखा है। हालांकि, यहां एक जरूरी बात है: AI से बना कंटेंट अक्सर गहराई में कमज़ोर होता है। वह रिपिटेशन करता है, टोन में वैरायटी की कमी होती है और कई बार फैक्ट्स को बिना वेरीफाई किए प्रस्तुत करता है। अगर ऐसा कंटेंट लगातार पोस्ट किया जाए, तो गूगल उसे ‘low-quality’ मानकर उसकी रैंकिंग गिरा सकता है। इसलिए ज़रूरी है कि AI को सिर्फ सहायक के रूप में इस्तेमाल किया जाए, न कि पूरी तरह लेखक के रूप में।
क्या AI कंटेंट को रैंक करवाना संभव है
बिलकुल, लेकिन उसके लिए रणनीति चाहिए। अगर आप AI का उपयोग रिसर्च, बेसिक ड्राफ्ट और आइडिया जेनरेशन के लिए करते हैं, और फिर उस पर ह्यूमन एडिटिंग, फैक्ट-चेकिंग और इंडेप्थ इनसाइट्स डालते हैं, तो वह कंटेंट गूगल पर टॉप रैंक कर सकता है। उदाहरण के लिए, आप किसी टॉपिक पर ChatGPT से एक ड्राफ्ट बनवाते हैं, फिर उसमें अपने अनुभव, विश्लेषण और केस स्टडीज जोड़ते हैं। साथ ही आप सही कीवर्ड्स, इंटरनल लिंकिंग और मोबाइल फ्रेंडली डिजाइन पर ध्यान देते हैं तो AI कंटेंट भी गूगल के टॉप रिजल्ट में दिखाई दे सकता है।
SEO प्रोफेशनल्स और ब्लॉगर क्या कह रहे हैं
आज के समय में ज्यादातर SEO एक्सपर्ट्स यह मान चुके हैं कि AI टूल्स कंटेंट स्ट्रैटेजी का अभिन्न हिस्सा बन गए हैं। SEMrush, Ahrefs और Surfer जैसे टूल्स ने भी AI इंटीग्रेशन शुरू कर दिया है। ब्लॉगर भी ChatGPT, Jasper और Gemini जैसे टूल्स का उपयोग करके टाइम बचाते हैं और क्वालिटी आउटपुट जनरेट करते हैं। लेकिन एक्सपर्ट्स का यह भी कहना है कि AI एक शुरुआत भर है, अंत नहीं। असली मैजिक तब होता है जब इंसान उसमें अपना ज्ञान, अनुभव और भावनाएं जोड़ता है।
क्या भविष्य में AI कंटेंट का वर्चस्व होगा
AI कंटेंट का भविष्य उज्ज्वल है, लेकिन इसकी सीमा भी है। गूगल की पॉलिसी और यूजर की उम्मीदें लगातार बदल रही हैं। आने वाले समय में गूगल और स्मार्ट हो जाएगा, और वो कंटेंट को उसके गहराई, मौलिकता और उपयोगिता के आधार पर परखेगा। इसका मतलब है कि जो लोग AI का इस्तेमाल सही ढंग से करेंगे मसलन रिसर्च, आइडिया बिल्डिंग और ड्राफ्टिंग के लिए और फिर उसमें ह्यूमन टच देंगे, वही लम्बे समय तक रैंक कर पाएंगे। वहीं, जो सिर्फ AI पर निर्भर होकर कंटेंट फैक्ट्री बना लेंगे, उन्हें गूगल नजरअंदाज कर सकता है।
AI है एक ज़बरदस्त टूल, पर कंटेंट का राजा अब भी ‘क्वालिटी’ ही है
तो क्या AI से लिखे आर्टिकल्स गूगल पर रैंक कर सकते हैं? हां, अगर वे क्वालिटी से भरपूर हैं। क्या वे Google Discover में जा सकते हैं? हां, अगर वे ट्रेंडिंग और यूजर के लिए वैल्यू एडेड हैं। क्या गूगल उन्हें डाउन करता है? नहीं, लेकिन वह स्पैम या लो-क्वालिटी को ज़रूर नजरअंदाज करता है। इसलिए आज का कंटेंट क्रिएटर अगर स्मार्ट है, तो वह AI को सहायक बनाएगा, मालिक नहीं। और अंत में यही कहा जा सकता है AI भविष्य है, लेकिन उसका सही इस्तेमाल ही सफलता की कुंजी है। AI से लिखो, पर इंसान की सोच और संवेदना मत छोड़ो यही फॉर्मूला है SEO की दुनिया में टिके रहने का।
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