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Best Motivation Poems: तलाश लो प्रेम, पढ़े सीख देने वाली ये कविताएं
Best Motivation Poems in Hindi: कविताएं आपका न सिर्फ मनोरंजन करतीं हैं बल्कि आपको कई तरह की सीख भी दे जातीं हैं।
Best Motivation Poems in Hindi
तुम सोचती हो
कि
खाली होंगी तब करोगी प्रेम।
जब भी चाहता हूं
तुमसे प्रेमपूर्ण बातें करना
तब तुम कभी पढ़ाती रहती हो बच्चे
सोचती रहती हो उनके सवाल
कभी पढ़ती रहती हो नमाज़
कभी लिखती रहती हो
लेख, कहानी, कविताएं।
कभी लैपटाप पर
निपटाती मिलती हो ऑफिस के काम।
कभी घर में आया रहता है कोई मेहमान।
कभी किचन, कभी घर के काम तमाम।
इन्हीं सब का देती रहती हो इम्तिहान।
तुम नहीं जानती कि
प्रेम तुम्हारी कुरान के सामने खड़ा है।
प्रेम बच्चों की तालीम से बड़ा है।
कविताओं की पृष्ठभूमि है प्रेम।
कामकाजों की भवभूमि है।
प्रेम नहीं करोगी तो
यह सब कैसे कर पाओगी।
फिर भी कहती हो
तुम्हारे पास नहीं होता
प्रेम के लिए समय।
हर बार कहती
खाली होगी तब करोगी
इस रिक्तता को तब भरोगी।
तब होंगी प्रेमपूर्ण बातें।
पर तुम क्या जानती हो
कि प्रेम एक ‘बोनसाई‘ पेड़ नहीं कि
जिसे जब चाहें जहां उगा लो
चाहे आंगन और
ड्राइंग रूम में सजा लो।
यह तो घने पेड़ों का जंगल है
जिसमें मोर और हिरन रहते हैं साथ
जिसमें खुद उग आते हैं पेड़ पास-पास
हवाएं खुद चलती हैं
प्रकृति की अकूत संपदा मचलती है
खुद लगाती है आग
और
जलकर हो जाते हैं फ़ना
फिर भी साथ रहने से नहीं करते मना।
जंगल है प्रेम।
तभी तो हेराना पड़ता है।
यहां इसमें सब कुछ गंवाना पड़ता है।
तभी तो प्रेम करने वालों से
छूट जाती है पूरी दुनिया।
उन्हें बनाना पड़ता है अपना अलग संसार।
जिसमें अर्थ उनके होते हैं
निरर्थक बेकार
दूसरों के लिए असार।
तुम जो प्रेम करने का
वक्त तलाशती हो
वह प्रेम नहीं है
ज़रूरत है पूरी करने के लिए।
मैं कुरान की आयत नहीं,
बच्चा नहीं,
बोनसाई नहीं, कविता नहीं
घर का कामकाज नहीं
न ही मेरा प्रेम है यह सब।
इसलिए तुम करो वक्त की तलाश प्रेम करने के लिए।
मैं तो हमेशा सराबोर रहता हूं
तुम्हारी सुंगध में
तुम्हारे स्पर्श में
तुम्हारी गर्म-नर्म छुअन में।
लेकिन
तुम्हे इसके लिए चाहिए वक्त।
जाओ!
मैं तुम्हारे वक्त का नहीं करूंगा इंतजार।
तुम्हें जब मिले वक्त
तब जितना चाहो करना प्यार।
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एक झूठ होगा
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हम महज़ दोस्त नहीं
कुछ और भी थे
जो रच सकते थे एक नई दुनिया
बना सकते थे अपना संसार
तुमने जनी थी हममें गुप्त ऊष्माएँ
दोस्त लिखना एक सर्द सी शुरुआत होगी
इसलिए मेरी तुम !
मैं तुम्हें कुछ भी दे नहीं सका
तुम्हारे लिए कुछ नहीं कर सका
वह भी तब
जब तुमने ही मुझे दिया सब
कल, आज और अब
तुमने दिया है मुझे खुद के
सिर चढ़कर इतराने का आभार
तुम्हारी ठुड्डी पर कई बार
काफी समय तक
टिका रहा मेरा संसार
तुमने पैदा की हैं मेरे
शरीर में अनगिनत तरंगें
तुम्हारे साथ खड़े किये हैं
खुशियों के पहाड़
तुम्हारी समुंदर सी
आँखों में हर बार उत्तराया
तुमने हमेशा डूबने से बचाया
तुमने अपनी जटामासी सुगंध से
अनंत बार नहलाया
तुमने रचाए कई विहान
मेरी प्रिया !
तुम हमेशा बनी वरदान
तुम्हारा सब कुछ था मेरा
पर मैं नहीं कर सका पूरे
तुम्हारे कोई अरमान
नहीं बना सका तुम्हारे संग संसार
लेकिन यकीन करो
मैं तुम्हें मरने नहीं दूँगा
तुम्हें जिंदा रखूँगा
साँसों के सितार में
रचना के संसार में
और कहीं नहीं तो
अपनी इन कविताओं में
कविताओं में गढ़ दूँगा तेरा स्वरूप
अक्षर, शब्द, विराम जोड़ बना दूँगा तेरा, हुरुफ
जहाँ तुम इतराती, इठलाती
सब कुछ याद दिलाती
मिलोगी—हर उस को
जो प्रेम पग चल रहे होंगे
प्रेम पर आगे बढ़ रहे होंगे
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तुम फिर आतीं
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भागती हुई इस दुनिया से इतर
ठहरी हुई तुम।
तुम्हारा कुछ नहीं है अनगढ़ शिल्प
निपट-निपटाऊं।
तुमने कभी नहीं चाहा कुछ भी कहना।
चाहा नहीं भारी मन से रहना।
यादों की बस्ती में खोना।
गुजरी हुई ऋतुओं की कहानी होना
बुलबुलों की तरह उठते जजबात
विराग जनता अवसाद।
आख्यात्मक स्मृति छोड़ने वाली
तुम्हारी उपस्थिति।
भीतर के स्पर्श की तरह देखने की स्थिति।
रिश्तों के राग गाती तुम्हारी प्रकृति।
साथ रहने की कला
अनुभवों का सरमाया
अभिव्यंजना का सौंदर्य।
शब्दबद्ध होते अनुभव
कहे को अनकही छोड़ने की लत।
अब सब सालते हैं।
ये सब हैं तुम्हारी थाती
तुम इसे ले जाने एक बार फिर आती।
काश!
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