हादसे जिन्होंने झकझोर दिया! जानें दुनिया के 10 सबसे बड़े विमान हादसों के बारे में

Biggest Plane Crashes: यह लेख विश्व इतिहास के उन सबसे भीषण और विनाशकारी विमान हादसों की गहराई से पड़ताल करता है, जिन्होंने न केवल हजारों जानें लील लीं बल्कि वैश्विक विमानन सुरक्षा को भी नए सिरे से सोचने पर मजबूर कर दिया।

Shivani Jawanjal
Published on: 16 Jun 2025 10:09 PM IST (Updated on: 18 Jun 2025 6:08 PM IST)
हादसे जिन्होंने झकझोर दिया! जानें दुनिया के 10 सबसे बड़े विमान हादसों के बारे में
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Deadliest Plane Accidents: आधुनिक तकनीक, अत्याधुनिक नियंत्रण प्रणाली और कड़े सुरक्षा मानकों के बावजूद, विमान दुर्घटनाएँ आज भी मानवता के सामने सबसे भयावह त्रासदियों में गिनी जाती हैं। जब कोई विमान दुर्घटनाग्रस्त होता है, तो वह केवल एक तकनीकी चूक या यांत्रिक गड़बड़ी नहीं होती बल्कि वह सैकड़ों जिंदगियों, सपनों, परिवारों और भविष्य की संभावनाओं का समापन होती है। ऐसे हादसे पूरी दुनिया को झकझोर देते हैं और विमानन जगत को अपनी कमजोरियों की कठोर याद दिलाते हैं।

टेनेरीफ़ एयरक्रैश (1977) - सबसे बड़ी विमान दुर्घटना


27 मार्च 1977 को स्पेन के टेनेरीफ़ एयरपोर्ट पर हुआ विमान हादसा दुनिया में सबसे भीषण और खतरनाक विमान दुर्घटनाओं में से एक था। इस हादसे में 583 लोगों की दर्दनाक मौत हुई, जब दो बोइंग 747 विमान, KLM फ्लाइट 4805 और Pan Am फ्लाइट 1736, एक ही रनवे पर आपस में टकरा गए। यह अब तक की सबसे बड़ी विमान दुर्घटना मानी जाती है जिसमें इतने अधिक लोगों की एकसाथ जान गई हो। दुर्घटना के समय घना कोहरा छाया हुआ था, जिससे दृश्यता बेहद सीमित हो गई थी। इसी बीच हवाई यातायात नियंत्रण, पायलटों के बीच संचार की गंभीर गलतफहमी और KLM पायलट द्वारा बिना स्पष्ट अनुमति के टेकऑफ शुरू कर देने के कारण यह भयावह टक्कर हुई। Pan Am का विमान उसी समय रनवे पर टैक्सी कर रहा था और कोहरे के कारण एक-दूसरे को देख पाना संभव नहीं था। जैसे ही दोनों विमान आमने-सामने आए, टक्कर के साथ ही भीषण विस्फोट हुआ। इस हादसे ने वैश्विक विमानन जगत को झकझोर दिया, जिसके बाद हवाई यातायात नियंत्रण, रेडियो संचार और रनवे संचालन के नियमों को और कड़ा किया गया। पायलट और एटीसी के बीच संवाद की स्पष्टता सुनिश्चित करने के लिए नई प्रणाली और मानकीकृत शब्दावली अपनाई गई।

जापान एयरलाइंस फ्लाइट 123 (1985)


12 अगस्त 1985 को जापान के गुनमा प्रांत के ताकामागाहारा पर्वतीय क्षेत्र में हुआ जापान एयरलाइंस फ्लाइट 123 का हादसा विमानन इतिहास की सबसे भीषण और दर्दनाक दुर्घटनाओं में से एक था। यह घरेलू उड़ान टोक्यो के हनेडा एयरपोर्ट से ओसाका के इटामी एयरपोर्ट की ओर जा रही थी जब टेकऑफ के कुछ ही मिनटों बाद विमान में गंभीर तकनीकी खराबी हुई। विमान का नियंत्रण लगभग खत्म हो गया और विमान के पिछले हिस्से (टेल सेक्शन) में पश्चिमी दबाव के बोल्ट के फटने से सभी हाइड्रॉलिक सिस्टम पूरी तरह से खराब हो गए। हालांकि पायलटों ने स्थिति को संभालने की भरपूर कोशिश की लेकिन विमान नियंत्रणहीन होकर लगभग 32 मिनट तक हवा में मंडराता रहा और अंततः ताकामागाहारा की एक पहाड़ी से टकरा गया। इस भयावह हादसे में 520 लोगों की मौत हुई, जो किसी एकल विमान दुर्घटना में अब तक की सबसे बड़ी जनहानि है। यह त्रासदी केवल जापान ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के लिए चेतावनी साबित हुई। इसके बाद विमान निर्माण तकनीक, मेंटेनेंस प्रक्रिया, और सुरक्षा मानकों की गहन समीक्षा की गई और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई अहम सुधार लागू किए गए।

चरखी दादरी, एयर क्रैश, भारत (1996)


12 नवम्बर 1996 को हरियाणा के चरखी - दादरी गांव के ऊपर आसमान में हुआ विमान हादसा न केवल भारत के वायुक्षेत्र का सबसे बड़ा, बल्कि विश्व के सबसे भीषण मिड-एयर टकरावों में से एक माना जाता है। इस दुर्घटना में सऊदी अरबियन एयरलाइंस की फ्लाइट 763 (Boeing 747) और कज़ाखस्तान एयरलाइंस की फ्लाइट 1907 (Ilyushin Il-76) हवा में आपस में टकरा गईं, जिससे कुल 349 लोगों की दर्दनाक मौत हो गई। दोनों विमान दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के आसपास के क्षेत्र में उड़ान भर रहे थे, जब यह भीषण हादसा हुआ। जांच में पाया गया कि कज़ाख पायलट निर्देशित ऊँचाई को बनाए रखने में विफल रहा, जिससे दोनों विमान एक ही ऊँचाई पर आ गए और टकरा गए। इस दुर्घटना ने भारत समेत दुनिया भर के एयर ट्रैफिक कंट्रोल और एविएशन सिस्टम को झकझोर कर रख दिया। जिसके बाद मिड-एयर टकराव से बचाव के लिए Traffic Collision Avoidance System (TCAS) जैसे आधुनिक तकनीकी उपायों को अनिवार्य कर दिया गया।

तुर्किश एयरलाइंस फ्लाइट 981 (1974)


3 मार्च 1974 को फ्रांस के एर्मेनोविल जंगल क्षेत्र में हुआ तुर्किश एयरलाइंस फ्लाइट 981 का विमान हादसा उस समय तक का सबसे घातक विमान दुर्घटना माना गया। यह फ्लाइट पेरिस से लंदन की ओर जा रही थी जब उड़ान के दौरान विमान के पीछे की कार्गो डोर अचानक खुल गई, यह एक तकनीकी खराबी थी। इससे केबिन का दबाव तेजी से गिर गया, जिससे विमान के फ्लोर का एक हिस्सा गिर गया और फ्लाइट कंट्रोल केबल्स टूट गए। इस घटनाक्रम ने विमान के कई हाइड्रॉलिक सिस्टम को भी क्षति पहुंचाई और विमान पूरी तरह नियंत्रण से बाहर हो गया। कुछ ही क्षणों बाद विमान एर्मेनोविल के जंगलों में गिरकर क्रैश हो गया, जिसमें सवार सभी 346 यात्रियों और चालक दल के सदस्यों की मौत हो यह हादसा न केवल एक तकनीकी चूक का उदाहरण था, बल्कि इस हादसे के बाद मैकडॉनेल डगलस DC-10 विमानों की डिजाइन में भी बहुत सुधार हुआ था। साथ ही, भविष्य में ऐसी दुर्घटना से बचने के लिए, हवाई सुरक्षा नियमों और मेंटेनेंस प्रक्रियाओं में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कड़े बदलाव किए गए ।

एअर इंडिया फ्लाइट 182 - आतंकी साजिश (1985)


23 जून 1985 को एयर इंडिया की फ्लाइट 182 'कनिष्क' के साथ हुआ हादसा न केवल भारत की अब तक की सबसे भीषण विमान दुर्घटना था, बल्कि उस समय तक की सबसे घातक आतंकी विमान घटना भी मानी गई। यह बोइंग 747 विमान मॉन्ट्रियल (कनाडा) से दिल्ली जा रहा था, जिसमें लंदन में एक निर्धारित ठहराव होना था। लेकिन आयरलैंड के तट के पास अटलांटिक महासागर के ऊपर उड़ान के दौरान विमान में बम विस्फोट हो गया, जिससे वह समुद्र में गिरकर पूरी तरह नष्ट हो गया। इस भयानक हादसे में 329 लोग मारे गए। जांच में यह स्पष्ट हुआ कि यह एक पूर्व नियोजित आतंकवादी हमला था, जिसमें बम खालिस्तानी उग्रवादियों द्वारा विमान के सामान में प्लांट किया गया था। यह त्रासदी न केवल भारत बल्कि कनाडा और अंतरराष्ट्रीय विमानन सुरक्षा व्यवस्था के लिए भी एक बड़ा झटका थी। इसके बाद वैश्विक स्तर पर हवाई सुरक्षा नियमों में बड़े पैमाने पर बदलाव किए गए और चेक-इन बैगेज स्कैनिंग तथा यात्री पहचान की प्रक्रिया को और कड़ा बनाया गया।

सऊदी एयरलाइंस फ्लाइट 163 (1980)


सऊदी अरबियन एयरलाइंस फ्लाइट 163 की दुर्घटना, जो 19 अगस्त 1980 को रियाद एयरपोर्ट (सऊदी अरब) पर हुई, विमानन इतिहास की सबसे दुखद और चौंकाने वाली घटनाओं में से एक मानी जाती है। यह Lockheed L-1011 TriStar विमान रियाद से जेद्दाह की ओर जा रहा था जब उड़ान के दौरान उसके कार्गो कंपार्टमेंट में अचानक आग लग गई। पायलटों ने स्थिति को भांपते हुए विमान को रियाद एयरपोर्ट पर सुरक्षित रूप से लैंड करा दिया, जो एक असाधारण प्रयास था। हालांकि विमान सुरक्षित उतर गया था, लेकिन लैंडिंग के बाद यात्रियों और चालक दल को तुरंत बाहर निकालने में भारी चूक हुई। बचाव कार्यों में देरी और आपातकालीन निकासी प्रणाली की खामियों के चलते सभी 301 यात्री और चालक दल के लोग, विमान के अंदर ही दम घुटने और आग में जलने से मारे गए। यह त्रासदी इस बात का कठोर उदाहरण बनी कि विमान की लैंडिंग के बाद भी यदि त्वरित और प्रभावी आपात कार्रवाई न हो, तो जान बचाना असंभव हो सकता है।इस हादसे के बाद वैश्विक विमानन सुरक्षा नियमों में विशेष रूप से आग से सुरक्षा और आपातकालीन निकासी प्रक्रियाओं में कई महत्वपूर्ण सुधार किए गए।

एमएच 17 - मिसाइल हमले का शिकार


17 जुलाई 2014 को मलेशियन एयरलाइंस की फ्लाइट MH17 के साथ हुआ हादसा आधुनिक विमानन इतिहास की सबसे भयावह और विवादास्पद घटनाओं में से एक बन गया। यह बोइंग 777-200ER विमान एम्स्टर्डम से कुआलालंपुर जा रहा था जब वह यूक्रेन के डोनेट्स्क क्षेत्र - जो उस समय विद्रोही-नियंत्रण में था, के ऊपर उड़ान भरते समय एक सतह से हवा में मार करने वाली Buk मिसाइल का शिकार बन गया। मिसाइल हमले में विमान के टुकड़े-टुकड़े हो गए और उसमें सवार सभी 298 यात्रियों और चालक दल के सदस्यों की दर्दनाक मौत हो गई। यह हादसा रूस-यूक्रेन संघर्ष के दौरान हुआ और जल्द ही अंतरराष्ट्रीय राजनीति का केंद्र बन गया। विस्तृत अंतरराष्ट्रीय जांच में निष्कर्ष निकला कि विमान को रूसी निर्मित Buk मिसाइल से मार गिराया गया, जिसे यूक्रेनी विद्रोही क्षेत्र में तैनात किया गया था। प्रारंभिक विश्लेषणों से यह भी सामने आया कि संभवतः विमान को गलती से सैन्य टारगेट समझकर निशाना बनाया गया था। यह घटना न केवल एक मानवीय त्रासदी थी, बल्कि इसने वैश्विक हवाई मार्ग सुरक्षा, युद्ध क्षेत्रों में नागरिक विमानों की उड़ान और अंतरराष्ट्रीय कूटनीति को लेकर गहरी बहस को जन्म दिया।

अमेरिकन एयरलाइंस फ्लाइट 191 (1979)


25 मई 1979 को अमेरिका के शिकागो ओ'हारे इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर हुआ अमेरिकन एयरलाइंस फ्लाइट 191 का हादसा देश के विमानन इतिहास का सबसे घातक और भयावह दुर्घटना बन गया। यह McDonnell Douglas DC-10 विमान शिकागो से लॉस एंजिल्स की उड़ान पर था, जब टेकऑफ के दौरान अचानक उसका बायां इंजन (left engine) विंग से अलग हो गया। इस इंजन के अलग होने से विमान की हाइड्रॉलिक लाइनों और फ्लाइट कंट्रोल सिस्टम को गंभीर नुकसान पहुंचा, जिससे विमान का संतुलन पूरी तरह बिगड़ गया। टेकऑफ के कुछ ही सेकंड बाद विमान एक भयावह कोण में मुड़कर नीचे गिर गया और भयंकर धमाके के साथ क्रैश हो गया। इस हादसे में विमान में सवार सभी 271 यात्रियों और चालक दल के सदस्यों की मौत हो गई, साथ ही जमीन पर मौजूद दो लोगों की भी जान चली गई। कुल मिलाकर 273 लोगों की यह सामूहिक मृत्यु अमेरिका के लिए एक बड़ा राष्ट्रीय शोक बन गई। यह दुर्घटना न केवल तकनीकी विफलता की एक चेतावनी थी, बल्कि इसके बाद DC-10 विमानों के डिज़ाइन और मेंटेनेंस प्रक्रियाओं की वैश्विक समीक्षा की गई, और विमानन सुरक्षा मानकों को पहले से कहीं अधिक सख्त बनाया गया।

लॉकरबी बम धमाका - पैन ऐम फ्लाइट 103 (1988)


21 दिसम्बर 1988 को स्कॉटलैंड के लॉकरबी शहर में हुआ पैन ऐम फ्लाइट 103 का हादसा इतिहास की सबसे भयावह आतंकवादी विमान दुर्घटनाओं में से एक बन गया। यह फ्लाइट लंदन के हीथ्रो एयरपोर्ट से न्यूयॉर्क के जॉन एफ. केनेडी एयरपोर्ट जा रही थी, जब उड़ान के दौरान एक सूटकेस में छिपाकर रखा गया बम विस्फोट हुआ। विस्फोट इतना शक्तिशाली था कि विमान हवा में ही बिखर गया, और उसके मलबे के टुकड़े लॉकरबी शहर पर गिर पड़े। इस भयावह त्रासदी में विमान में सवार सभी 259 लोग मारे गए, साथ ही जमीन पर मौजूद 11 नागरिकों की भी जान चली गई। कुल 270 लोगों की मौत ने न केवल अमेरिका और ब्रिटेन को, बल्कि पूरी दुनिया को झकझोर दिया। जांच में यह साफ हुआ कि यह हादसा एक पूर्व नियोजित आतंकवादी साजिश थी, जिसमें लीबिया के आतंकवादियों की भूमिका पाई गई।

मलेशियन एयरलाइंस फ्लाइट MH370 (2014) - रहस्य बना हादसा


8 मार्च 2014 को मलेशियन एयरलाइंस की फ्लाइट MH370 के रहस्यमय ढंग से लापता हो जाने की घटना आधुनिक विमानन इतिहास की सबसे चौंकाने वाली और रहस्यमयी दुर्घटनाओं में से एक मानी जाती है। यह बोइंग 777-200ER विमान कुआलालंपुर (मलेशिया) से बीजिंग (चीन) जा रहा था। लेकिन टेकऑफ के लगभग एक घंटे बाद ही इसका संपर्क रडार और एयर ट्रैफिक कंट्रोल से अचानक टूट गया। इसके बाद विमान, उसमें सवार 239 यात्रियों और चालक दल समेत, पूरी तरह गायब हो गया। वर्षों की तलाश और अंतरराष्ट्रीय प्रयासों के बावजूद विमान का मलबा आज तक पूरी तरह नहीं मिल पाया है। केवल कुछ टुकड़े हिंद महासागर के तटों पर मिले, लेकिन उससे इस रहस्य पर पूरी तरह से से पर्दा नहीं उठ सका। यह दुर्घटना तकनीकी, मानवीय, और साजिश से जुड़े अनगिनत सवालों को जन्म देती रही है और अब भी इसकी गुत्थी सुलझना बाकी है।

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