Ukdiche Modak Recipe: गणपति बाप्पा के फेवरेट उकडीचे मोदक, जानिए इसे बनाने की रेसिपी

Ukdiche Modak Recipe: उकडीचे मोदक महाराष्ट्र की सांस्कृतिक परंपरा का हिस्सा है ।

Shivani Jawanjal
Published on: 31 Aug 2025 4:03 PM IST
Ganesh Chaturthi 2025 Ukdiche Modak Recipe in Hindi
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Ganesh Chaturthi 2025 Ukdiche Modak Recipe in Hindi

Ukdiche Modak Recipe in Hindi: हर तरफ गणेशोत्स्व की धूम है और घर - घर गणपति बाप्पा की स्थापना हो चुकी है। गणेशोत्सव का उत्सव 27 अगस्त से विसर्जन तक यानि 6 सितंबर तक चलेगा। ऐसे में गणेशोत्सव का नाम आते ही सबसे पहले जिस व्यंजन की याद आती है, वह है उकडीचे मोदक। यह सिर्फ एक मिठाई नहीं बल्कि आस्था, परंपरा और स्वाद का अनोखा संगम है। माना जाता है कि भगवान गणेश को मोदक सबसे प्रिय हैं और इसी वजह से गणेशोत्सव के दौरान उकडीचे मोदक का विशेष महत्व है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है की आखिर उकडीचे मोदक है क्या और ये कैसे बनते है ? अगर नहीं तो हम आपको बताते है ।

मोदक का सांस्कृतिक महत्व

मोदक को वास्तव में आनंद का प्रतीक माना जाता है। संस्कृत में ‘मुद’ का अर्थ आनंद यानी खुशी होता है और ‘क’ का अर्थ उसके हिस्से से जुड़ा है। इस तरह मोदक का मतलब हुआ - 'आनंद का छोटा अंश' या 'खुशी का मीठा स्वाद।' इसलिए धार्मिक कार्यों और खास मौकों पर मोदक का विशेष महत्व है। खासकर महाराष्ट्र में गणेशोत्सव के समय लगभग हर घर में मोदक बनाए जाते हैं, क्योंकि मान्यता है कि भगवान गणपति को मोदक बहुत प्रिय हैं। इसी कारण भक्त उन्हें भोग के रूप में मोदक अर्पित करते हैं।

उकडीचे मोदक क्या है?


उकडीचे मोदक महाराष्ट्र की खास पारंपरिक मिठाई है, जो खासतौर पर गणेश चतुर्थी पर बनाई जाती है। इसका बाहरी आवरण चावल के आटे से तैयार किया जाता है और अंदर नारियल और गुड़ की मीठी भरावन डाली जाती है। मराठी में ‘उकडीचे’ का मतलब होता है ‘भाप में पकाया हुआ’। यह मोदक तेल या घी में तले नहीं जाते, बल्कि स्टीमर में भाप से पकाए जाते हैं। यही वजह है कि यह स्वादिष्ट होने के साथ-साथ सेहत के लिए भी अच्छे माने जाते हैं। भाप में बनने की वजह से इनमें कम कैलोरी होती है, ये ऑयल फ्री रहते हैं और आसानी से पच भी जाते हैं। इसी कारण गणेश चतुर्थी पर हर घर में इन्हें बनाकर भगवान गणेश को प्रसाद चढ़ाया जाता है।

उकडीचे मोदक का धार्मिक महत्व

शास्त्रों में भगवान गणेश को मीठा और खासकर मोदक बहुत प्रिय बताया गया है। गणेश पुराण और अन्य ग्रंथों में लिखा है कि उनकी पूजा मोदक के बिना अधूरी मानी जाती है। इसी कारण गणेशोत्सव या किसी भी शुभ अवसर पर 21 मोदक अर्पित करने की परंपरा है। मोदक को समृद्धि, सुख-शांति और आनंद का प्रतीक माना जाता है। महाराष्ट्र में जब घरों और मंदिरों में गणेश स्थापना होती है, तो महिलाएँ खुद घर पर मोदक बनाकर भगवान को भोग लगाती हैं और फिर सभी लोगों में प्रसाद के रूप में बांटती हैं।

उकडीचे मोदक बनाने की सामग्री

बाहरी आवरण (उकडी) की सामग्री - उकडीचे मोदक का बाहरी आवरण बनाने के लिए चावल का आटा, पानी, घी और थोड़ा-सा नमक इस्तेमाल किया जाता है। आमतौर पर 2 कप चावल का आटा, 2 कप पानी, 1 से 2 चम्मच घी और एक चुटकी नमक लिया जाता है। इनसे मुलायम और लचीला आटा तैयार किया जाता है, जिससे मोदक का आकार आसानी से बनाया जा सके।

भरावन (सारण) की सामग्री - मोदक के अंदर की भरावन बेहद स्वादिष्ट और सुगंधित होती है। इसके लिए 2 कप ताजा कद्दूकस किया हुआ नारियल, 1 कप कसा हुआ गुड़ और आधा चम्मच इलायची पाउडर मिलाया जाता है। चाहें तो इसमें खसखस या मेवे डालकर स्वाद और भी खास बनाया जा सकता है। यही मीठी भरावन मोदक को भगवान गणेश का प्रिय प्रसाद बनाती है।

उकडीचे मोदक बनाने की विधि

सारण तैयार करना - मोदक की मीठी भरावन बनाने के लिए कड़ाही में थोड़ा घी गर्म करके उसमें नारियल और गुड़ डालकर धीमी आंच पर पकाया जाता है। जब तक गुड़ पूरी तरह पिघलकर नारियल में मिल न जाए और मिश्रण गाढ़ा न हो जाए, तब तक इसे चलाते रहना जरूरी है। स्वाद और सुगंध बढ़ाने के लिए इसमें इलायची पाउडर डाला जाता है। चाहें तो खसखस या मेवे भी मिलाए जा सकते हैं जो पारंपरिक रेसिपी का हिस्सा माने जाते हैं।

उकडी (आटा) तैयार करना - बाहरी आवरण यानी उकडी बनाने के लिए पानी उबालकर उसमें नमक और घी डाला जाता है। इसके बाद धीरे-धीरे चावल का आटा डालकर लगातार चलाया जाता है ताकि गुठलियाँ न बनें। जब आटा गाढ़ा हो जाए तो उसे ढककर थोड़ी देर रख दिया जाता है और ठंडा होने पर अच्छे से गूँथ लिया जाता है। यही आटा मोदक बनाने के लिए इस्तेमाल होता है।

मोदक बनाना - आटे की छोटी लोई लेकर उसे हल्के हाथों से कप जैसी आकृति दी जाती है। फिर उसमें तैयार किया हुआ नारियल-गुड़ का सारण भरकर ऊपर से बंद करके मोदक का आकार दिया जाता है। आजकल समय बचाने और आसान बनाने के लिए मोदक मोल्ड का भी इस्तेमाल किया जाता है।

भाप में पकाना (स्टीमिंग) - बने हुए मोदक को स्टीमर या इडली कुकर में केले के पत्ते पर रखकर लगभग 10 से 15 मिनट तक भाप में पकाया जाता है। जब मोदक हल्के पारदर्शी दिखने लगते हैं, तो इसका मतलब है कि वे तैयार हो गए हैं।

परोसना - गर्मागर्म उकडीचे मोदक पर थोड़ा घी डालकर भगवान गणेश को अर्पित किया जाता है। इसके बाद इन्हें प्रसाद के रूप में लोगों में बांटा जाता है, जिससे त्योहार की मिठास और भी बढ़ जाती है।

पोषण तत्व और लाभ

उकडीचे मोदक स्वादिष्ट होने के साथ-साथ सेहत के लिए भी फायदेमंद माने जाते हैं। इनमें इस्तेमाल होने वाला चावल का आटा शरीर को ऊर्जा देता है क्योंकि इसमें कार्बोहाइड्रेट भरपूर होते हैं और यह आसानी से पच भी जाता है। गुड़ आयरन और मिनरल्स से भरपूर होता है जो खून बनाने में मदद करता है और एनीमिया यानी खून की कमी को दूर करता है। नारियल में प्राकृतिक वसा और फाइबर होते हैं, जो पाचन सुधारने के साथ हृदय को भी स्वस्थ रखते हैं। चूंकि यह मोदक भाप में पकाए जाते हैं इसलिए इनमें तेल की मात्रा बहुत कम होती है, जिससे यह तैलीय मिठाइयों की तुलना में ज्यादा हेल्दी विकल्प बन जाते हैं।

परंपरा और आधुनिकता का मेल

आजकल शहरों में लोग मोदक को बनाने के लिए विभिन्न फ्लेवर्स और तकनीक अपनाते हैं।

• चॉकलेट मोदक

• ड्राई फ्रूट मोदक

• मावा मोदक

• केसर मोदक

लेकिन महाराष्ट्र के पारंपरिक घरों में ‘उकडीचे मोदक’ की महक और स्वाद आज भी सबसे अलग और खास माने जाते हैं।

लोककथाओं में मोदक


मोदक को भगवान गणेश की प्रिय मिठाई मानने के पीछे कई पौराणिक कथाएँ जुड़ी हैं। कहा जाता है कि उनके जन्म के समय माता पार्वती ने उन्हें मोदक खिलाया था और तभी से यह उनकी पसंदीदा मिठाई बन गई। पद्म पुराण में भी इसका उल्लेख मिलता है, जहाँ देवताओं ने माता पार्वती को अमृत जैसा स्वादिष्ट मोदक भेंट किया था। पार्वती जी ने उनमें से एक मोदक गणेश जी को दिया, जो उन्हें बेहद प्रिय हो गया। एक अन्य कथा में गणेश जी ने अपनी बुद्धिमत्ता दिखाते हुए माता-पिता की परिक्रमा कर मोदक पाने का अधिकार हासिल किया।

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