मुंबई – यहाँ कुत्ते नहीं, बिल्लियों का है साम्राज्य, दुलार और प्यार से बढ़ती जा रही आबादी

Place Where Cats Rule Not Dogs : जहाँ कुत्तों की संख्या कम हुई है, वहाँ चुपचाप उनकी जगह ले ली है बिल्लियों ने।

Neel Mani Lal
Published on: 13 Aug 2025 7:52 PM IST
Place Where Cats Rule Not Dogs
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Place Where Cats Rule Not Dogs (Image Credit-Social Media)

Place Where Cats Rule Not Dogs: आवारा कुत्तों का मामला इन दिनों काफी गरमाया हुआ है। दिल्ली से शुरू हुई बात पूरे देश में फ़ैली हुई है। लखनऊ से लेकर बंगलुरु और चेन्नई तक जगहों के लोग आवारा कुत्तों से परेशान हैं, आजिज़ आ चुके हैं, सब जगह कार्रवाई की मांग की जा रही है। वजह वाजिब भी है। आवारा कुत्तों के हमलों की ख़बरें सब जगह आम हैं। हालत ही गवाह हैं, लखनऊ की ही बात करें तो किसी सरकारी अस्पताल में चले जाइए, एंटी-रेबीज़ का इंजेक्शन लगवाने वालों की लाइन रोजाना लगी रहती है।

लेकिन एक शहर है जो इस गर्मागर्मी के बीच शांत है, जहाँ आवारा कुत्तों के बारे में कोई हो-हल्ला नहीं है। ये भी कोई छोटा शहर नहीं, बल्कि मेगा सिटी है जिसका नाम है मुंबई। इसने अपने दृढ़ संकल्प और प्लानिंग के चलते आवारा कुत्तों के आतंक पर फतह पा रखी है। कोई मुंबई जाये तो आवारा कुत्तों को देखने को तरस जाएगा। कहीं चले जाइये, कुत्ते दिखते ही नहीं, हाँ, बिल्लियों की कोई कमी नहीं है। ये भी जान जाइए कि मुम्बई हमेशा से ऐसा नहीं था, वहां की भी सड़कें लंबे समय से खुलेआम घूमते कुत्तों के लिए जानी जाती थीं लेकिन अब करीब करीब कुत्ता मुक्त हो चुकी हैं। मुम्बई में ये सब हुआ है नगरनिगम द्वारा इमानदारी से काम करने, एनजीओ की भागीदारी और जनता के सहयोग की बदौलत।

कैसे आया बदलाव

मुम्बई में कोई नायाब तरीका नहीं अपनाया गया बल्कि वही किया गया जो कहने को लखनऊ, दिल्ली, भोपाल बंगलुरु करते आये हैं। ये तरीका था कुत्तों की नसबंदी का। बड़े और व्यापक नसबंदी अभियानों की शुरुआत के दस साल बाद मुंबई में आवारा कुत्तों की संख्या में बड़ी गिरावट साफ़ साफ़ नजर आती है। लेकिन जहाँ कुत्तों की संख्या कम हुई है, वहाँ एक और आबादी ने चुपचाप उनकी जगह ले ली है – ये आबादी है बिल्लियों की।


बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) द्वारा ह्यूमेन सोसाइटी इंटरनेशनल, इंडिया के सहयोग से 2024 में किए गए एक शहरव्यापी सर्वेक्षण से पता चला कि मुंबई में प्रति किलोमीटर सड़क पर कुत्तों की संख्या में 21 प्रतिशत की उल्लेखनीय कमी आई है। इस सफलता का श्रेय मुख्यतः पशु जन्म नियंत्रण (एबीसी) कार्यक्रम के कार्यान्वयन को जाता है, जिसमें 1990 के दशक के उत्तरार्ध से शहर में 4,00,000 से ज्यादा नसबंदी हुईं। अकेले 2014 और 2023 के बीच 1,48,084 कुत्तों की नसबंदी की गई।

मुम्बई के अंधेरी पश्चिम, बांद्रा और दक्षिण मुंबई के कुछ हिस्सों में कुत्तों की संख्या में नाटकीय गिरावट देखी गई है। मिसाल के तौर पर बांद्रा पश्चिम में आवारा कुत्तों की संख्या में 70 प्रतिशत से ज्यादा अधिक की गिरावट आई है। दक्षिण मुम्बई में कुत्ते दिखाई तक नहीं देते, हाँ बिल्लियों की कोई कमी नहीं है।

बिल्लियों की भरमार


एक तरफ जहा मुंबई में कुत्तों की आबादी पर बहुत हद तक कंट्रोल नियंत्रण हो गया है वहीं एक दुसरा संकट सामने आ रहा है - आवारा बिल्लियों की आबादी में तेज़ी से बढ़ोतरी का। ये खासकर शहर के पुराने इलाकों में काफी ज्यादा है। कोलाबा, फोर्ट, लालबाग और लोअर परेल जैसे इलाकों में बिल्लियों की भरमार है। गलियों और हाउसिंग सोसाइटियों में बिल्लियाँ ही बिल्लियाँ छाई हुई हैं। जानकारों का कहना है कि पिछले पाँच सालों में कुछ इलाकों में आवारा बिल्लियों की तादाद तीन गुना बढ़ गई है। कोलाबा जैसे इलाकों में तो लोग रोजाना बिल्लियों को खाना खिलाते हैं। यहाँ बिल्लियों की देखभाल की जाती है। बहुत से वालंटियर बिल्लियों को इलाज भी देते हैं। इन्हें दुत्कारते नहीं बल्कि इनकी केयर करते हैं। इसकी वजह भी है। बिल्लियाँ कहीं कोने में छिपी रहती हैं, वे कुत्तों की तरह सड़कों पर घूमती नहीं हैं, शांत स्वाभाव की होती हैं, आने जाने वालों पर हमला भी नहीं करतीं, बिल्लियाँ गंदगी भी नहीं फैलाती हैं। ये बिल्लियाँ अंग्रेजों के ज़माने की बिल्डिंगों के बीच की गलियों, खड़ी गाड़ियों के नीचे से और टूटी दीवारों की दरारों में से होकर गुज़रती हैं। मुंबई के एक पशु प्रेमी ग्रुप के अनुसार वे सीएसटी और ग्रांट रोड के बीच के इलाकों में 2,000 से ज़्यादा बिल्लियों को खाना खिलाते हैं।

छोटी जिन्दगी

एक एनजीओ, द फेलाइन फ़ाउंडेशन की रिपोर्ट कहती है कि एक गली की बिल्ली का औसत जीवनकाल सिर्फ छह से सात साल का होता है जबकि घर में पाली गयी बिल्ली का जीवन 15 से 20 साल का होता है। आवारा ज़्यादातर बिल्लियाँ बिना इलाज के बीमारियों, चोटों या सड़क दुर्घटनाओं से मर जाती हैं। एक मादा बिल्ली साल में तीन बार और हर बार पाँच-पांच बच्चे तक पैदा कर सकती है। यानी एक बिल्ली एक साल में ही 36 बिल्ली के बच्चों को जन्म दे सकती है। बिल्लियाँ बीमारियाँ भी फैलाती हैं, इनसे रेबीज़ हो सकता है, कोक्सीडियोसिस और टॉक्सोप्लाज़मोसिस जैसी बीमारियाँ फैलाती हैं।

कंट्रोल करने की शुरुआत


जहाँ बिल्लियों के प्रति लोग सहनशील और उदार हैं वहीं बहुत से लोग ये भी कहते हैं कि जहाँ कुत्तों को खुलेआम बदनाम किया गया है और उन पर सख्त पाबंदियां लागू कीं गईं हैं वहीं बिल्लियाँ बिना किसी रोकटोक के चुपचाप शहर में छाई हुई हैं। बहरहाल, अब धीरे धीरे बिल्लियों को भी कंट्रोल करने की कवायद शुरू हुई है बीएमसी ने कुछ वार्डों में बिल्लियों के लिए सब्सिडी वाले या मुफ़्त नसबंदी की सुविधा देने के लिए कुछ एनजीओ के साथ मिलकर काम करना शुरू कर दिया है। शहरव्यापी बिल्ली जनगणना की योजना है। बीएमसी ने हाल ही में देवनार पशु चिकित्सालय में मुफ़्त बिल्ली नसबंदी सेवाएँ देना शुरू किया है, फिर भी सामूहिक नसबंदी अभी तो नहीं है। एक वजह ये भी है कि बिल्लियाँ छिपने में आसान होती हैं, उन्हें पकड़ना मुश्किल होता है, और अक्सर घरों या कोने अतरे में रहती हैं, जबकि गली के कुत्ते ज़्यादा दिखाई देते हैं और उन्हें पकड़ना आसान होता है। इस बीच, आम नागरिक ही शहर की आवारा बिल्लियों की आबादी को कुछ हद तक कंट्रोल रख रहे हैं। वालंटियर्स बिल्लियों को पकड़ कर, उनकी नसबंदी करके छोड़ देते हैं।

मुंबई आप जाएँ तो कुत्तों की कमी और बिल्लियों की भरमार पर जरूर ध्यान दीजिएगा। दादर में सब्जी की दुकान में किसी टोकरी में आराम करती बिल्ली या चर्चगेट के पास किसी फुटपाथ की रेलिंग पर लाइन से बैठी बिल्लियों या कोलाबा की किसी गली में बिल्लियों को खाना खिलते लोगों को देख कर चौंकिएगा नहीं, ये मुम्बई की अलग पहचान है।

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Shweta Srivastava

Shweta Srivastava

Content Writer

मैं श्वेता श्रीवास्तव 15 साल का मीडिया इंडस्ट्री में अनुभव रखतीं हूँ। मैंने अपने करियर की शुरुआत एक रिपोर्टर के तौर पर की थी। पिछले 9 सालों से डिजिटल कंटेंट इंडस्ट्री में कार्यरत हूँ। इस दौरान मैंने मनोरंजन, टूरिज्म और लाइफस्टाइल डेस्क के लिए काम किया है। इसके पहले मैंने aajkikhabar.com और thenewbond.com के लिए भी काम किया है। साथ ही दूरदर्शन लखनऊ में बतौर एंकर भी काम किया है। मैंने लखनऊ यूनिवर्सिटी से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया एंड फिल्म प्रोडक्शन में मास्टर्स की डिग्री हासिल की है। न्यूज़ट्रैक में मैं लाइफस्टाइल और टूरिज्म सेक्शेन देख रहीं हूँ।

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