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Stray Dogs In Delhi: दिल्ली की सड़कों पर 'कुत्तों' का आतंक, लाखों में पहुंच गई है इनकी आबादी
Stray Dogs In Delhi: दिल्ली-एनसीआर में लगातार आवारा कुत्तों की संख्या बढ़ रही है, जिस पर चिंता करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया।
Stray Dogs In Delhi
Stray Dogs In Delhi: सुप्रीम कोर्ट ने गत सोमवार को एक अहम फैसला सुनाया। इसके अनुसार दिल्ली और एनसीआर में सभी आवारा और लावारिस कुत्तों को सड़कों से हटाकर आश्रय स्थलों में रखने का आदेश दिया गया। साथ ही यह सुनिश्चित करने के लिए कहा गया कि दोबाला गलियों या सड़कों पर ये कुत्ते न लौटें। आपको बता दें कि कोर्ट ने रेबीज के बढ़ते खतरे और लोगों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए यह फैसला लिया है।
राजधानी में कुत्तों की आबादी हो रही अनियंत्रित
दिल्ली में आवारा कुत्तों की आबादी में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। साल 2009 में संयुक्त दिल्ली नगर निगम के सर्वे के अनुसार 5.60 लाख कुत्ते दर्ज किए गए थे। वहीं 2016 में दक्षिणी दिल्ली नगर निगम ने चार जोनों में 1.89 लाख कुत्तों की गिनती की। साल 2019 में विधानसभा की उप- समिति ने अनुमान लगाया कि आवारा कुत्तों की संख्या लगभग 8 लाख तक पहुंच गई है। वहीं अब यह माना जा रहा है कि यह आंकड़ा बढ़कर 10 लाख से ज्यादा हो चुका है। इनके अलावा लाखों पालतू कुत्ते भी मौजूद हैं।
हर साल लाखों लोग बन रहे शिकार
दिल्ली में हर साल एक लाख से ज्यादा लोग कुत्तों के हमले का शिकार हो रहे हैं। सिर्फ तीन बड़े अस्पतालों में ही 91,009 मामले दर्ज हुए हैं। सफदरजंग अस्पताल में रोजाना 700-800 लोग रेबीज का टीका लगवाने पहुंचते हैं, जबकि पहले यह संख्या 500-550 थी। यहां 24 घंटे टीकाकरण की सुविधा है और एनसीआर से भी मरीज यहां आते हैं।
आवारा कुत्तों से बुजुर्गों और बच्चों में बढ़ रहा डर
सोशल मीडिया पर पिछले दिनों हमने ऐसे कई मामले देखें, जहां आवारा कुत्तों का आंतक दिखाई दिया। इन मामलों से बुजुर्गों और बच्चों में कुत्तों से डर बैठ गया है। सड़कों पर आवारा कुत्तों का झुंड देखकर कई लोग अपना रास्ता बदलने पर मजबूर हो जाते हैं तो कुछ डर के मारे आगे नहीं बढ़ पाते हैं। वहीं कुछ मामले ऐसे भी हैं कि जहां कुत्तों के डर से कुछ लोगों ने अपने घरों से निकलना ही बंद कर दिया है।
आदेश पर समर्थन और विरोध दोनों
आवारा कुत्तों को लेकर आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर समाज में अलग-अलग राय सामने आई हैं। कुछ लोग इसे जनता की सुरक्षा के लिए जरूरी बता रहे हैं, वहीं पशु प्रेमियों का कहना है कि कुत्तों के अधिकारों की भी रक्षा होनी चाहिए। लेकिन इतना साफ है कि बढ़ते हमलों और रेबीज के मामलों ने लोगों में डर और चिंता पैदा कर दी है।
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