Premanand Ji Maharaj: तुम हमें मारोगे तो भी हम तुम्हारा भला चाहेंगे, प्रेमानंद का ट्रोलर्स को जवाब

Premanand Ji Maharaj: प्रेमानंद जी महाराज ने हाल ही में ट्रोलर्स को दिए अपने उत्तर से एक बार फिर यह सिद्ध कर दिया की आध्यात्मिकता का असली रूप क्या होता है।

Jyotsna Singh
Published on: 8 Aug 2025 9:32 AM IST
Premanand Ji Maharaj
X

Premanand Ji Maharaj (Image Credit-Social Media)

Premanand Ji Maharaj: सोशल मीडिया के इस युग में जहां आलोचना और ट्रोलिंग आम हो गई है वहीं कुछ संतजन ऐसे भी हैं जो ट्रोलिंग के बदले में घृणा नहीं बल्कि करुणा और शुभकामनाएं बांटते हैं। ऐसे ही प्रसिद्ध आध्यात्मिक गुरु हैं प्रेमानंद महाराज। जिन्होंने ने हाल ही में ट्रोलर्स को दिए अपने उत्तर से एक बार फिर यह सिद्ध कर दिया की आध्यात्मिकता का असली रूप क्या होता है। उनका कहना है कि, 'अगर हम बुराई करने वालों के जैसे बुराई करने लगे तो हम भी उन्हीं के जैसे बन जाएंगे।' उनका यह संदेश न केवल सहिष्णुता और सहानुभूति की मिसाल है बल्कि आज के युवाओं के लिए एक गहन आत्म मंथन का विषय भी बन गया है।

आलोचना पर करुणा और शालीनता से जवाब ही संत का असली धर्म

जब सोशल मीडिया पर प्रेमानंद महाराज के कुछ बयानों को लेकर ट्रोलिंग शुरू हुई तब उन्होंने ना तो प्रतिकार किया ना किसी को दोषी ठहराया। उन्होंने नम्रता और सहृदयता से जवाब देते हुए कहा कि 'हम अपना परोपकार बंद नहीं करेंगे तुम हमें मारोगे तो भी हम तुम्हारा परोपकार करेंगे तभी तो हमारी साधुता है। तभी तो हमारी अच्छाई है।'


यह कथन उस संत परंपरा की परिपाटी है जिसमें क्षमा दया और सहिष्णुता सर्वोपरि मानी जाती है। प्रेमानंद जी का यह दृष्टिकोण आज के समय में विशेष रूप से प्रासंगिक है। जब छोटी-छोटी बातों पर लोग नफरत फैला देते हैं।

आलोचना का मूल कारण एक महिला के सवाल से उठा

विवाद की शुरुआत उस समय हुई जब एक महिला ने प्रेमानंद महाराज से विवाह को लेकर एक प्रश्न पूछा कि, महाराज जी आजकल के बच्चे चाहे अपनी पसंद से शादी करें या माता पिता की पसंद से दोनों ही स्थिति में परिणाम अच्छे नहीं आते। ऐसा क्यों इस प्रश्न के उत्तर में महाराज जी ने आज के समाज में नैतिक मूल्यों की गिरावट विशेष कर युवाओं के चरित्र और जीवन शैली को लेकर चिंता जताई। उन्होंने कहा 'आज के बच्चों का आचरण पवित्र नहीं रहा। पहले की माताएं बहने सर से पल्ला नहीं गिरने देती थी आज की पीढ़ी की पोशाक के आचरण और रिश्तो का तरीका बहुत बदल गया है।

नैतिकता की गिरावट पर उठाए सवाल


प्रेमानंद महाराज जी ने इस संदर्भ में कई सशक्त उदाहरण देकर यह समझाने की कोशिश की कि, आज की युवाओं की स्थिरता और व्यभिचार प्रवृत्ति विवाह संस्था को कमजोर कर रही है। उन्होंने कहा व्यवहार व्यभिचार में बदल रहा है। अगर चार लड़कों से मिलने की आदत पड़ गई तो एक पति को स्वीकारने की क्षमता नहीं रह जाती। यही बात पुरुषों पर भी लागू होती है। प्रेमानंद जी का यह वक्तव्य विवादास्पद होते हुए भी समाज में चल रही एक वास्तविक स्थिति, रिश्तो की सतही समझ और मूल्य हीन आधुनिक संस्कृति की ओर इशारा करता है।

मोबाइल संस्कृति पर गहरी चिंता

उन्होंने विशेष रूप से मोबाइल और इंटरनेट के माध्यम से फैल रही अश्लीलता और अनैतिकता की भी आलोचना की। उन्होंने कहा कि, 'आजकल के मोबाइल में गंदी बातें हो रही हैं। इस कारण आज अच्छी बहू या पत्नी मिलना मुश्किल हो गया है। उनका यह वक्तव्य उस चिंता को दर्शाता है जिसे आज कई अभिभावक भी महसूस करते हैं। तकनीक के दुरुपयोग से बच्चों की मानसिकता और आचरण पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।

विवाह को लेकर भारतीय परंपरा का स्मरण

प्रेमानंद जी ने भारतीय विवाह परंपरा का उदाहरण देते हुए कहा कि, हमारे देश में पति के लिए जान देने की परंपरा रही है। विवाह एक पवित्र बंधन है। पाणिग्रहण के बाद पत्नी को प्राण माना जाता है। यह भी स्पष्ट किया कि पहले क्या हुआ, वह हुआ। लेकिन विवाह के बाद तो सुधर जाना चाहिए। अपनी आदतों को नियंत्रित करना चाहिए। यह संदेश आज की पीढ़ी के लिए अत्यंत आवश्यक है। जो आत्म निरीक्षण और सुधार की ओर प्रेरित करता है।

ट्रोलर्स को दिया प्रेम पूर्ण जवाब - 'भगवान आपकी बुद्धि ठीक रखे'


प्रेमानंद महाराज ने न केवल उन्हें ट्रोल करने वालों को क्षमा किया, बल्कि उनके कल्याण की भी प्रार्थना की। उन्होंने कहा 'हम अपनी अच्छाई को दृढ़ रखेंगे। आप हमें मारोगे तो भी हम आपके लिए भगवान से प्रार्थना करेंगे कि आप स्वस्थ रहो आपकी बुद्धि ठीक रहे। आपको कष्ट ना हो। यह कथन दर्शाता है कि सच्चा साधु बदले की भावना से नहीं करुणा से संचालित होता है। भारत की आध्यात्मिक परंपरा में संतों और महात्माओं ने हमेशा अहंकार निंदा और द्वेष के बदले क्षमा दया और करुणा का मार्ग अपनाया है। हालांकि प्रेमानंद महाराज के विचार कुछ लोगों को कठोर या पुराने लग सकते हैं, लेकिन उनका उद्देश्य किसी वर्ग विशेष को नीचा दिखाना नहीं बल्कि समाज में गिरते मूल्यों की ओर ध्यान आकर्षित करना है। वे चाहते हैं कि युवा पीढ़ी अपने आचरण पहनावे और रिश्तो में शुद्धता लाय। ताकि वैवाहिक जीवन सफल और सुखमय हो। प्रेमानंद महाराज का यह संदेश आज की दुनिया में एक मार्ग दर्शन की तरह है। जहां बुराई का उत्तर बुराई से नहीं अच्छाई से देना चाहिए। जहां आलोचना का जवाब आत्म मंथन और क्षमता से दिया जाए। जहां सामाजिक विकृति को सुधारने के लिए कठोरता नहीं करुणा और सत्य का सहारा लिया जाना चाहिए।

1 / 8
Your Score0/ 8
Praveen Singh

Praveen Singh

Mail ID - [email protected]

Journalist (Director) - Newstrack, I Praveen Singh Director of online Website newstrack.com. My venture of Newstrack India Pvt Ltd.

Next Story

AI Assistant

Online

👋 Welcome!

I'm your AI assistant. Feel free to ask me anything!