Shardiya Navratri 2025 Day 2: नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा

नवरात्रि 2025 Day 2 : शारदीय नवरात्रि 2025 का आरंभ 22 सितंबर को घटस्थापना (कलश स्थापना) के साथ होगा और यह 2 अक्टूबर को विजयदशमी के साथ समाप्त होगा।

Shivani Jawanjal
Published on: 7 Sept 2025 1:33 PM IST
Shardiya Navratri 2025 Day 2 Maa Brahmacharini Puja
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Shardiya Navratri 2025 Day 2 Maa Brahmacharini Puja 

Shardiya Navratri 2025 Day 2 Maa Brahmacharini Puja: शारदीय नवरात्रि का दूसरा दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा के लिए समर्पित होता है। मां ब्रह्मचारिणी तप, संयम और साधना की देवी मानी जाती हैं। उनके नाम का अर्थ है - 'ब्रह्म' यानी परम सत्य और 'चारिणी' यानी उसका पालन करने वाली। इस दिन की पूजा से इंसान को धैर्य, मानसिक शक्ति और सही रास्ते पर चलने की प्रेरणा मिलती है। यह दिन खासकर उन लोगों के लिए शुभ माना जाता है जो जीवन में कठिन समय का सामना कर रहे हैं। मां ब्रह्मचारिणी की आराधना से मन मजबूत होता है, आत्मविश्वास बढ़ता है और जीवन में शांति आती है। यह दिन हमें सिखाता है कि कठिनाइयों पर जीत पाने के लिए तप, धैर्य और संयम बहुत जरूरी हैं।

मां ब्रह्मचारिणी का स्वरूप


मां ब्रह्मचारिणी का स्वरूप बहुत शांत और सरल है। उनके दाहिने हाथ में जप की माला और बाएं हाथ में कमंडल होता है, जो साधना और तप का प्रतीक है। माना जाता है कि उनके चरणों में बैठकर साधक आत्मज्ञान और आध्यात्मिक शक्ति प्राप्त करता है। मां ब्रह्मचारिणी हमें यह सिखाती हैं कि धैर्य, आत्मबल और संयम के बिना जीवन में किसी भी बड़े लक्ष्य को पाना मुश्किल है।

मां ब्रह्मचारिणी की कथा

मां ब्रह्मचारिणी पर्वतराज हिमालय की पुत्री और मां शैलपुत्री का दूसरा रूप मानी जाती हैं। भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए उन्होंने वर्षों तक कठोर तप किया। पहले केवल फल-फूल खाए, फिर सूखे पत्तों पर जीवन बिताया और अंत में बिना जल और अन्न के उपवास किया। उनकी इस कठोर साधना के कारण उन्हें “तपश्चर्या की देवी” कहा जाता है। अंततः भगवान शिव उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर उन्हें पत्नी रूप में स्वीकार करते हैं।

दूसरे दिन का महत्व

नवरात्रि का दूसरा दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा के लिए बहुत खास माना जाता है। यह दिन आत्म-नियंत्रण, साधना और ब्रह्मचर्य का प्रतीक है। माना जाता है कि इस दिन श्रद्धा और भक्ति से मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से जीवन में धैर्य, संयम और आंतरिक शक्ति बढ़ती है। यह दिन खासकर विद्यार्थियों, साधकों और उन लोगों के लिए लाभदायक है जो अपने जीवन में बड़े लक्ष्य हासिल करना चाहते हैं। मां ब्रह्मचारिणी की कृपा से साधना सफल होती है और धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष यानी जीवन के चारों उद्देश्यों की प्राप्ति में मदद मिलती है।

दूसरे दिन का शुभ रंग

शारदीय नवरात्रि 2025 के दूसरे दिन जो 23 सितंबर 2025 को है, का रंग लाल (Red) है। इस दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। लाल रंग जोश, प्रेम और शक्ति का प्रतीक माना जाता है और यह रंग देवी को चढ़ाये जाने वाले चुनरी का रंग भी है। इसलिए दूसरे दिन नवरात्रि पर लाल रंग पहनना शुभ माना जाता है।

मां ब्रह्मचारिणी का प्रिय भोग


मां ब्रह्मचारिणी को दूध, चीनी और पंचामृत का भोग चढ़ाना बहुत शुभ माना जाता है। पंचामृत का अर्थ है 'पांच अमृत', और यह हिंदू पूजा-पाठ में विशेष महत्व रखता है। इसे पांच पवित्र चीजों से बनाया जाता है जैसे दूध, दही, घी, शहद और शक्कर। इन सभी को अच्छे से मिलाकर पंचामृत तैयार किया जाता है और मां को अर्पित किया जाता है। माना जाता है कि इस भोग से साधक को शांति, सुख और सकारात्मक ऊर्जा की प्राप्ति होती है। इसके अलावा इस दिन शक्कर से बनी वस्तुएं और फल भोग के रूप में अर्पित किए जाते हैं।

मां ब्रह्मचारिणी की आराधना विधि

सबसे पहले गणेश जी की पूजा करें और विधिवत मंत्रों से उन्हें याद करें।

फिर मां ब्रह्मचारिणी की प्रतिमा या तस्वीर को सजाएं और मंडप स्थापित करें।

कलश में जल डालें, उसे सप्त पुष्पों से सजाएं और मां को अर्पित करें।

मां को पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, शक्कर) से स्नान कराएं।

मां को लाल या सफेद चुनरी से आच्छादित करें।

मंत्र जाप करें:"ॐ प्रणपते नमः।" "या देवी सर्वभूतेषु शक्ति रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥"

दीपक जलाएं, कपूर आरती करें और मां की भक्ति गीत गाएं।

अंत में भोग लगाएं जिसमें शकर या शक्कर से बनी वस्तुएं शामिल हों।

मां ब्रह्मचारिणी का मंत्र

मां ब्रह्मचारिणी के लिए सबसे प्रचलित और शक्तिशाली बीज मंत्र है - "ॐ ऐं ह्रीं क्लीं ब्रह्मचारिण्यै नमः॥"। इस मंत्र का 108 बार जाप करना बहुत शुभ माना जाता है। माना जाता है कि इस मंत्र के जाप से जीवन में धैर्य, संयम, तपस्या और मानसिक शांति की प्राप्ति होती है। यह मंत्र साधक को कठिनाइयों का सामना करने की शक्ति देता है और ज्ञान में वृद्धि करता है। नवरात्रि के दूसरे दिन इस मंत्र का जाप करना विशेष रूप से लाभकारी माना जाता है।

शुभ मुहूर्त

2025 के नवरात्रि के दूसरे दिन यानी 23 सितंबर 2025 के लिए शुभ मुहूर्त ब्रह्म मुहूर्त है जो सुबह 4:35 बजे से लेकर 5:22 बजे तक है। तथा अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 11:49 से 12:38 बजे तक है । इन मुहूर्तों में मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से विशेष फल प्राप्त होते हैं।

दूसरे दिन का आध्यात्मिक महत्व

मां ब्रह्मचारिणी की पूजा और ध्यान से जीवन में संतुलन, संयम और धैर्य बढ़ता है। माना जाता है कि उनके ध्यान से हृदय चक्र सक्रिय होता है जिससे मन में प्रेम, करुणा और धैर्य की भावना गहरी होती है। मां ब्रह्मचारिणी का स्वरूप तपस्या और मानसिक स्थिरता का प्रतीक है। उनकी पूजा से मन शांत होता है, आत्मविश्वास बढ़ता है और जीवन में सकारात्मकता आती है। कहा जाता है कि उनकी साधना से व्यक्ति का आत्मबल और साहस बढ़ता है, जिससे वह कठिन परिस्थितियों का सामना धैर्यपूर्वक कर पाता है।

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