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विश्व का बदलता हुआ राजनीतिक परिदृश्य
Super Power Countries: आज के समय में विश्व वैज्ञानिक चमत्कार के साथ-साथ शक्ति को भी नमन कर रहा है और विश्व की तीन महाशक्तियाँ अमेरिका, रूस और चीन हैं।
Super Power Countries (Image Credit-Social Media)
Super Power Countries in the World: अतीतकाल से ही विज्ञान के चमत्कार होते रहें हैं और उसी का परिणाम है कि आज सम्पूर्ण विश्व में तकनीकी, विज्ञान, उद्योग आदि चरमसीमा पर पहुँच चुके हैं। इस विज्ञान की देन के लिए डाक्टर अब्दुल कलाम, सी0वी0 रमन, अल्बर्ट आइंस्टीन, न्यूटन, थामस अल्वा एडिसन, स्टीफन हॉकिन्स आदि समस्त वैज्ञानिकों को शत-शत नमन। परन्तु अब सम्पूर्ण विश्व में चमत्कार के साथ-साथ शक्ति को भी नमन किया जाता है। यदि हम शक्ति के सन्दर्भ में चर्चा करें तो विश्व की तीन महाशक्तियाँ अस्तित्व में है, यथा अमेरिका, रूस और चीन।
प्रथम महाशक्ति, अमेरिका 36.2 ट्रीलियन डालर के अत्यधिक कर्ज के कारण आर्थिक रूप से गम्भीर संकट में है। इसलिए ट्रम्प अपनी आर्थिक स्थिति को सुधारने हेतु विश्व के अन्य देशों पर विभिन्न प्रकार के कर लगाने का प्रयास करते रहें हैं। द्वितीय महाशक्ति रूस, यूक्रेन के साथ हो रहे युद्ध के कारण अत्यधिक त्रस्त है।
तृतीय महाशक्ति चीन ने इन सब परिस्थितियों का अत्यधिक लाभ उठाया है, जिससे उसकी रूस से मित्रता में प्रगाढ़ता आई। परिणामस्वरूप आज चीन, अमेरिका का सामना करने की सामर्थ्य रखता है, इसलिए अमेरिका, चीन को किसी भी प्रकार से अपने प्रभाव में लेने में सक्षम नहीं है। चीन अपनी आगामी योजना में अब भारत को तथा उसके चहुँ ओर स्थापित देशों, यथा - नेपाल, भूटान, म्यांमार, बंग्लादेश, मालदीव, श्रीलंका, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, मारीशस आदि पर अपना प्रभुत्व स्थापित करने का प्रयास कर रहा है। उपरोक्त तथ्यों पर यदि चिंतन किया जाए तो भारत का भविष्य अत्यधिक संकट में है। इस संकट से मुक्त होने के दो ही विकल्प शेष हैं - सर्वप्रथम भारत को स्वयं में विश्व की चौथी महाशक्ति बनने का प्रयास करना चाहिए।
द्वितीय विकल्प भारत के समक्ष यह है कि वह विश्व का सर्वाधिक वृहद उद्योग का केन्द्र हैं, जिसपर चीन के साथ-साथ अन्य समस्त देश भी लाभ लेने का प्रयास कर रहें हैं। जबकि भारत को यह प्रयास करना चाहिए कि केवल मित्र देशों को ही यहाँ व्यापार करने की सुविधा उपलब्ध कराएं। चीन, स्वयं को आर्थिक रूप से सशक्त करने हेतु, भारत के बाजार का अत्यधिक लाभ लेना चाहेगा। अब भारत को अपनी कूटनीतिपूर्ण रणनीति से इस विषय पर निर्णय लेना होगा।
कुछ समय पूर्व ही रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने भारत, रूस और चीन को सामूहिक रूप से कार्य करने का सुझाव दिया है। रूस की इस पहल का, भारत को स्वागत करना चाहिए और रूस की सहायता लेकर चीन से अपने आन्तरिक संबंधो को सुदृण करने का प्रयास करते हुए स्वयं को एक महाशक्ति के रूप में स्थापित करने की चेष्टा करनी चाहिए। हमें यह प्रयास करना होगा कि ब्रह्मोस मिसाईल के सुपर सोनिक संस्करण का निर्माण भारत में हो। आज चीन ने विश्व के सबसे आधुनिक विमानों का तथा एआई (कृत्रिम बुद्धि) से नियंत्रित स्वचलित आधुनिकतम् हथियारों का भी विकास कर लिया है। भारत के साथ मित्रता के फलस्वरूप निश्चितः आधुनिक विमानों का निर्माण स्थल तथा एआई संचालित शस्त्रों का ज्ञान भी भारत को प्राप्त होगा। जिससे प्रेरित होकर भारत के वैज्ञानिक, भारत को एक महाशक्ति के रूप में स्थापित करने में सक्षम हो जाएंगे।
इस कार्य के सफल निष्पादन हेतु, प्रधानमंत्री मोदी को एक महत्वपूर्ण निर्णय यह लेना होगा कि भारत-रूस-चीन के गठबंधन को सशक्त करने हेतु एक चतुर राजनीतिज्ञ को इस कार्य में संलग्न करना होगा। इस प्रयास के सकारात्मक परिणाम, भारत को अवश्य ही प्राप्त होंगे, क्योंकि रूस पूर्व से ही भारत का विश्वसनीय साथी रहा है। ऐसा होने के पश्चात भारत भी विश्व की चतुर्थ महाशक्ति के रूप में स्थापित हो जाएगा और हमारे ऊपर से चीन का भय समाप्त हो जाएगा।
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