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प्रेरणादायक कहानी: जीवन में मिलने वाले तीन अनोखे गुरुओं से सीख
Motivational Story: तीन अनोखे गुरु: चोर, कुत्ता और बच्चा – जीवन को दिशा देने वाली प्रेरणादायक कथा
Three life teachers Inspirational Story
Motivational Story: बहुत समय पहले, किसी नगर में एक प्रभावशाली महन्त रहते थे जिनसे शिक्षा हेतु दूर-दूर से लोग आकर उनके शिष्य बनते थे। एक दिन एक शिष्य ने महन्त से सवाल किया स्वामीजी आपके गुरु कौन है आपने किस गुरु से शिक्षा प्राप्त की है?महन्त सुनकर मुस्कुराकर बोले, मेरे बहुत से गुरु हैं ! फिर भी मै अपने तीन गुरुओं के बारे में अवश्य बताऊंगा ।मेरा पहला गुरु एक चोर था एक बार मैं रास्ता भटक कर दूर किसी गाव में पहुँचा तो बहुत देर हो गयी थी सब दुकाने और घर बंद हो चुके थे अन्त में मुझे एक आदमी मिला जो एक दीवार में सेंध लगाने की कोशिश कर रहा था।
मैंने उससे पूछा कि मैं कहाँ ठहर सकता हूं, तो वह बोला की आधी रात गए इस समय आपको कहीं कोई आसरा मिलना मुश्किल है लेकिन आप चाहे तो मेरे साथ आज की रात ठहर सकते हैं मैं एक चोर हूँ अतः यदि एक चोर के साथ रहने में आपको कोई आपत्ति ना हो तो आप रह सकते हैं।वह इतना अच्छा व्यक्ति था कि मैं उसके साथ एक रात कि जगह एक महीने रह गया ! वह हर रात मुझे कहता कि मैं अपने काम पर जाता हूँ,आप आराम से प्रार्थना करो।
जब वह आता तो मैं पूछता कि कुछ मिला तुम्हें? तो वह कहता की आज तो कुछ नहीं मिला पर अगर भगवान ने चाहा तो जल्द ही जरुर मिलेगा वह कभी निराश और उदास नहीं होता और हमेशा मस्त रहता।कुछ दिन बाद मैं उसको धन्यवाद करके वापस आपने घर आ गया।जब मुझे ध्यान करते वर्षों बीत गए और कुछ भी नहीं हो रहा था तो कई बार मैं निराश होकर साधना छोड़ने की ठान और तब मुझे उस चोर की याद आती जो रोज कहता था कि भगवान ने चाहा तो जल्द ही कुछ जरुर मिलेगा और इस तरह मैं पुनः ध्यान और साधना में लीन हो जाता।
मेरा दूसरा गुरु एक कुत्ता था। एक गर्मी वाले दिन मैं कही जा रहा था और प्यासा होने के कारण पानी के तलाश में घूम रहा था कि सामने से एक कुत्ता दौड़ता हुआ आया। वह भी बहुत प्यासा था। पास ही एक नदी थी।उस कुत्ते ने आगे जाकर नदी में झांका तो अपनी परछाई देखकर भौंकता और पीछे हट जाता,लेकिन प्यासा होने के कारण वापस लौट आता। अंततः,अपने डर के बावजूद वह नदी में कूद पड़ा और उसके कूदते ही वह परछाई भी गायब हो गई। उस कुत्ते को देख मुझे सीख मिली कि सफलता उसे ही मिलती है जो व्यक्ति डर का मुकाबला साहस से करता है।
मेरा तीसरा गुरु एक छोटा बच्चा है। मैं एक गाँव से गुजर रहा था तो देखा एक छोटा बच्चा जलती हुई मोमबत्ती पास के एक मन्दिर में रखने जा रहा था , मैंने उससे पूछा की क्या यह मोमबत्ती तुमने जलाई है ?वह बोला,जी मैंने ही जलाई है ; तो मैंने उससे कहा की एक क्षण था जब यह मोमबत्ती बुझी हुई थी और फिर एक क्षण आया जब यह जल गई क्या तुम मुझे वह स्त्रोत दिखा सकते हो जहाँ से वह ज्योति आई ?वह बच्चा हँसा और मोमबत्ती फूंक मारकर बुझाते हुए बोला,आपने अब ज्योति को जाते हुए देखा कि कहाँ गई वह आप ही मुझे बताओ। मेरा अहंकार टूट गया और उसी क्षण मुझे अपनी मूढ़ता का अनुभव हुआ।शिष्य होने का अर्थ है पूर्ण से खुले होना हर समय हर ओर से सीखने को तैयार रहना।कभी किसी कि बात का बुरा नहीं मानना चाहिए,यह जीवन हमें आये दिन किसी न किसी रूप में किसी गुरु से मिलाता है यह हमपर निर्भर करता है कि हम उस महन्त की तरह एक शिष्य बनकर प्रत्येक से मिलने वाली शिक्षा को ग्रहण कर पा रहे हैं की नहीं..!!
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