रील्स के आगे दुनिया और भी है......

एक रील में एक छोटी लड़की सास और बहू दोनों का ही रोल करती है और बड़े ही मीठे तरीके से...

Anshu Sarda Anvi
Published on: 31 Aug 2025 5:13 PM IST
Instagram reels addiction
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Instagram reels addiction

आखिर हम रील्स के साथ खुद को क्यों जोड़ लेते हैं? जब रीना वालिया एंड फैमिली की रील में उनको और उनके दोनों लड़कों को अपनी मां के साथ बातचीत करते देखते हैं एवं उनके घर के क्रियाकलापों को देखते हैं, तब हमें अपना और अपने बच्चों के साथ की गईं इस तरह की बातें या व्यवहार उसको देखने पर मजबूर कर देता है। क्योंकि हम उन्हें अपने और अपने बच्चों के एक अंश के रूप में देखते हैं और उनमें कहीं न कहीं अपनी छवि ढूंढते हैं। जब हम छवि मित्तल यानी कि बेबी, रोहिणी, मीरा अभि द्वारा अभिनीत रील्स देखते हैं तो हमें आज की वह पीढ़ी दिखाई देती है जो कि अपने-अपने कार्यक्षेत्र के साथ अपने न्यूक्लियर परिवार में भी सेटल है और जिनके घर में जो पूर्णकालिक हाउस हेल्पर होती है, वह पूरा घर संभालती है, जिनके भरोसे ये महिलाएं अपने स्टार्टअप या अपने ऑफिस के लिए बाहर निकलती हैं।

उनके अपने पड़ोसियों के साथ किस तरह के रिश्ते होते हैं यह भी उसे रील को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है। पूरी रील में एक हाउस हेल्पर किस तरह से अपने आप को उसे घर का सर्वेसर्वा समझती है और वह यह जताती है कि उस घर में वह जो करेगी और जो निर्णय लेगी वही होगा और वह जिस तरह का खाना बनाएगी, वैसा ही सबको खाना पड़ेगा।


हम उससे क्यों जुड़ जाते हैं क्योंकि हम कहीं न कहीं अपने परिवार में या अपने हाउस हेल्पर के साथ में इस तरह की कुछ बातें रोज होते देखा करते हैं। कपिल कानपुरिया एंड फैमिली की रील हमें लखनऊ और उसके आसपास की बोली और वातावरण के साथ जोड़ती है।

किस तरह से एक मल्टीनेशनल कंपनी में काम करने वाला जब अपने घर जाता है तो वह अपनी वहां की भाषा भी बोलता है और उसके वहां जाने के बाद उसकी मां और उसकी पत्नी के साथ उसकी जो नोंक-झोंक होती है, उन सबके साथ हम न केवल वहां की भाषा बल्कि वहां की संस्कृति और दैनिक चर्या एवं त्योहारों से भी जुड़ जाते हैं। गर्लियापा दो सिबलिंग्स की रील्स है, जिसमें बड़ी बहन एक मैच्योर वर्किंग वुमन है और उसकी छोटी बहन उसके साथ रहने आती है, वह कॉलेज जाने वाली और अपने ही खिलंदड़े स्वभाव और सपनों की दुनिया में जीने वाली लड़की है। कहीं न कहीं यह भी आपको अपने आप से जोड़ लेते हैं, जब हम याद करते हैं कि हम भी अपनी बहन के साथ किस तरह से नोंक-झोंक करते थे।


इसी तरह से बहुत सी रील्स हमारी अपनी रियल लाइफ में लोकप्रिय हैं। उसमें धीरज सरना और फैमिली की रील भी है, जिसमें वह अपनी पत्नी को बीवी कहकर बुलाता है और उन दोनों के बीच जिस तरह के आपस के इमोशनल झगड़े दिखाए जाते हैं या तकरार और बहसबाजी दिखाई जाती है वह हर घर में होती है। क्योंकि उसमें पति हमेशा अपनी अतीत की जिंदगी, अपने कॉलेज, अपने मम्मी-पापा के साथ वाली जिंदगी, अपने स्कूल और अपने दोस्तों वाली जिंदगी को याद करता है और उसी में ही उसको सच्ची खुशी दिखाई देती है और वह उनकी यादों में ही रहता है। जबकि उसकी पत्नी आगे का सोचती है, कुछ आधुनिक तरीके से, कुछ प्रैक्टिकल तरीके से जिंदगी में सोचती है। उसके दोनों बच्चे भी उस रील को आगे बढ़ाने में सहायक होते हैं। ऐसी बहुत सी रील्स हैं जो बहुत लोकप्रिय हैं। एक रील में एक ही पात्र अलग-अलग महिलाओं का अभिनय करके, अलग-अलग पात्रों को जी कर समाज के ऊपर , परिवार के ऊपर इस तरह का व्यंग्य करती है कि हम खुद समझ लेते हैं कि वह क्या कहना चाह रही है।

एक रील में एक छोटी लड़की सास और बहू दोनों का ही रोल करती है और बड़े ही मीठे तरीके से सास -बहू की नोंक-झोंक को दिखा रही होती है। ऐसे ही और कितनी सारी रील्स हैं, जिसमें मां- बेटी की जोड़ी के डांस की रील बहुत ज्यादा लोकप्रिय हुई है और कहीं पर एक राजस्थान के दंपति की रील्स हैं, जो कि अपने बोलने के अंदाज और व्यंग्य के लिए बहुत लोकप्रिय रही है। ये सभी बड़े ही लोकप्रिय होती हैं क्योंकि हम कहीं न कहीं स्वयं को इन रील्स के साथ , उनकी एक झलक के साथ खुद को जोड़ लेते हैं। इसी तरह से फनी गोट, कृष्ण यादव, उत्तरांजलि, योगेश मीणा, द वायरल फीवर, कामवाली वर्सेस देसी पेरेंट्स आदि ऐसी बहुत सी रील्स हैं जो कि हमें कहीं ना कहीं छूती हैं और हमारी सोच को भी कहीं न कहीं प्रभावित करती हैं। आखिर क्यों हम इन रील्स के चक्रव्यूह में, आकर्षण में बंधते चले जाते हैं?


इंस्टाग्राम रील्स सिर्फ़ एक ट्रेंड नहीं है बल्कि यह 2025 का सबसे शक्तिशाली एंगेजमेंट इंजन है। इसके 2 अरब से ज़्यादा यूज़र्स हर महीने इसके शॉर्ट-फॉर्म वीडियो देखते हैं। इंस्टाग्राम छोटे रील्स को प्राथमिकता देता है और 90 सेकंड से कम समय के वीडियो उपलब्ध कराता है।आंकड़ों की मानें तो इंस्टाग्राम की 38.5% फ़ीड अब रील्स होती हैं जो कि विश्व की वयस्क आबादी के 11.6% हिस्से तक पहुंचती है। यह बात अब हम सब जानते हैं कि सभी वर्गों में, सभी आयु के लोगों में, महिलाओं, पुरुषों , युवाओं और बच्चों में, छोटे-बड़े शहरों में सब में रील्स बनाने का एक अलग ही क्रेज हो चुका है। और कभी-कभी यह रील बनाना इतना खतरनाक सिद्ध होता है कि उसको पुलिस या अदालत के चक्कर काटना पड़ता है। कभी-कभी रील बनाने वाले अधिक लाइक और व्यूज पाने के लिए कुछ इस तरह के खतरनाक स्टंट करते हैं जिसमें कि वे खुद अपनी जान से हाथ धो बैठते हैं। अभी हाल ही फॉलोवर कम होने के कारण एक युट्यूबर लड़की ने आत्महत्या कर ली। तो रील्स का नशा कुछ इस तरह का है कि वह आपको रियल लाइफ से दूर कर देता है।

आपने भी देखा होगा कि सोशल मीडिया पर जब लोग अपनी बाहर की कहानियाँ पोस्ट करते हैं, तो उसे देखने वालों को एक फोमो हो सकता है। उन रील्स को देखकर हमारा भी अपना मन करता है कि हम भी अपने दोस्तों या सहकर्मियों के साथ बाहर जाएं। इस तनाव भरी और अकेली होती दुनिया में दरअसल, रील्स हमें तुरंत संतुष्टि देती हैं। एक के बाद एक नए वीडियो देखने से हमारा दिमाग डोपामाइन नामक एक रसायन छोड़ता है, जो हमें खुशी और संतुष्टि का एहसास कराता है। यह सब देखने के साथ ही रोमांच बढ़ता है और हम लगातार रील्स देखने को मजबूर हो जाते हैं। एक दूसरी सबसे बड़ी वजह यह है कि रील्स को स्क्रॉल करने की कोई लिमिट नहीं, इस वजह से एक वीडियो देखने के बाद हम दूसरे वीडियो को स्क्रॉल कर देखने लगते हैं कि अभी और भी कई दिलचस्प वीडियो देखने बाकी हैं और हम इन रील्स के चक्रव्यूह में फंस जाते हैं।

एक दिलचस्प बात। केरल के रिजवान की रील ने 55 करोड़ से ज्यादा व्यूज हासिल किएं हैं और उम्मीद है कि ये क्लिप जल्दी ही 600 मिलियन व्यूज क्रॉस कर लेगी । आखिर ऐसा क्या था उस रील में....मोहम्मद रिजवान एक फुटबॉल खिलाड़ी हैं। एक दिन वह झरने के पास पिकनिक करने पहुंचे, अपने साथ फुटबॉल भी ले गए थे, उन्होंने झरने के सामने एक फ्री किक लगाई...फुटबॉल उछलकर झरने से टकराती हुई चट्टान में फंस गई। रिजवान को इंतजार था कि उनकी फुटबॉल बहते हुए वापस आएगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। रील देखने में ऐसा कुछ विशेष नजर भी नहीं आता है। लेकिन एकदम नेचुरल रील लोगों को भा गई.... गिनीज ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड की तरफ से रिजवान को नए रिकॉर्ड का सर्टिफिकेट भी दे दिया गया है।

रील्स को सार्वजनिक और निजी रूप से साझा किया जा सकता है। रील्स उपयोगकर्ता को रचनात्मक होने, अपनी प्रतिभा दिखाने और दूसरों के साथ जुड़ने का तरीका प्रदान करता है और साथ ही मनोरंजन और जानकारी का मिश्रण प्रदान करती हैं तथा नए विचारों को व्यक्त करने का अवसर देती है। लेकिन जब रील्स देखने की लत लग जाती है, जो लोगों के मानसिक और सामाजिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है । समय की बर्बादी लोगों को अन्य महत्वपूर्ण गतिविधियों से दूर कर सकता है। दूसरों के जीवन के साथ अपनी तुलना करने से लोग निराश और असुरक्षित महसूस कर सकते हैं। रील्स देखने की लत और अन्य नकारात्मक प्रभावों से बचने के लिए, लोगों को रील्स का उपयोग जिम्मेदारी से और संतुलित तरीके से करना चाहिए।

मोबाइल स्क्रीन पर फिसलतीअंगुलियां हीं रील्स की ताकत को बढ़ाती है। स्थिति अब वहां तक पहुंच चुकी है, जहां हम रील्स के गुलाम हो चुके हैं। अब हमारा अपना कोई निजी समय ही नहीं रहा। दिन में जो भी वक्त बचता है, वह रील्स के नाम हो जाता है। घर में, ऑफिस में, सफर पर – जहां कहीं भी दो-चार मिनट का समय मिला लोग उसे रील्स में खपा देते हैं। बस-ट्रेन में बहुत कम लोग खिड़की से बाहर देख रहे होते हैं, जो सहयात्री को देख मुस्कुराएं, क्योंकि सभी तो रील्स की दुनिया में खोए हैं। रील्स अब ऐसा तिलिस्म है कि परिवार में साथ होते हुए लोग साथ नहीं होते। सामाजिकता खत्म कर दी है इसने। ऐसी स्थिति आ जाती है, जहां फिर खुशी के लिए रील्स जरूरी हो जाती है। इससे तनाव, चिंता और डिप्रेशन जैसी शिकायतें हो सकती हैं। रील्स के आगे दुनिया और भी है, जिसे ढूंढना जरूरी है।

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