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गांव की गली से भाई की राजनीति तक: अखिलेश यादव की बुआ कमला देवी यादव का सादगीभरा सफर
सैफई की मिट्टी से उठी और राजनीति की चमक से दूर रहीं कमला देवी यादव, मुलायम सिंह यादव की बहन और अखिलेश यादव की बुआ हैं। सादगी, त्याग और संस्कार से भरा उनका जीवन आज भी सैफई परिवार की भावनात्मक पहचान है।
Kamla Devi Yadav (Image Credit-Social Media)
Kamla Devi Yadav: उत्तर प्रदेश की राजनीति में यादव परिवार का नाम सत्ता, संघर्ष और समाजसेवा तीनों का पर्याय रहा है। मुलायम सिंह यादव का यह परिवार जितना सुर्खियों में रहा, उतना ही इसके कुछ सदस्य मीडिया की चमक-दमक से दूर भी रहे। ऐसे ही शांत और सादगी भरे जीवन का उदाहरण हैं कमला देवी यादव। जो न केवल मुलायम सिंह यादव की बहन हैं, बल्कि अखिलेश यादव की वास्तविक बुआ भी हैं। हालांकि राजनीति में मायावती का नाम मुलायम सिंह यादव की बहन के तौर पर खासा चर्चित रहा। हालांकि वास्तविक बहन कमला देवी राजनीति की बड़ी हलचल से दूर रहकर भी वे पारिवारिक मूल्यों और जमीन से जुड़े जीवन का जीता-जागता प्रतीक बन चुकी हैं। आइए जानते हैं इनके बारे में विस्तार से -
सैफई के ग्राम्य परिवेश से शुरू हुई कहानी
कमला देवी यादव का जन्म इटावा जिले के सैफई गांव में हुआ, जो अब भारतीय राजनीति का एक प्रतीक बन चुका है। उनका बचपन बिल्कुल देहाती वातावरण में बीता। मिट्टी की खुशबू, गांव की खुली हवा और सादगी में पली-बढ़ी एक ऐसी लड़की, जिसने अपने भाई मुलायम सिंह को संघर्ष करते देखा। जब मुलायम युवावस्था में राजनीति में कदम रख रहे थे, तब कमला देवी घर की ज़िम्मेदारी निभा रही थीं।
वो उस दौर की महिला थीं, जो शिक्षा और आधुनिकता के संसाधनों से दूर रहते हुए भी जीवन के मूल्यों को गहराई से समझती थीं। मुलायम सिंह के शुरुआती दिनों में उन्होंने उनके परिवार की देखरेख में बड़ी भूमिका निभाई।
सियासत से रही दूरी, लेकिन हर मोड़ पर भाई का दिया साथ
भले ही वे राजनीति से दूर रहीं, मगर सैफई परिवार की आत्मा का हिस्सा हमेशा रही हैं। कहा जाता है कि जब भी मुलायम या अखिलेश किसी पारिवारिक समारोह या संकट में रहे, तो कमला देवी सबसे पहले आगे बढ़ीं। वे मीडिया के सामने नहीं आतीं, न भाषण देती हैं, लेकिन परिवार के भीतर उनकी राय का हमेशा सम्मान होता है।
उनका स्वभाव शांत और बेहद संयमी माना जाता है। गांव की परंपरा के अनुसार वे परिवार की बड़ी बहन की तरह सब पर स्नेह और अनुशासन दोनों रखती हैं।
गांव में बिताती हैं एक सादगी भरा जीवन
कमला देवी आज भी सैफई के पारिवारिक आवास के करीब रहती हैं। वे अपनी दिनचर्या ग्रामीण परिवेश में ही बिताती हैं। सुबह जल्दी उठना, घर के कामों में हाथ बंटाना, पूजा-पाठ करना और ज़रूरतमंदों की मदद करना। कई बार उन्हें स्थानीय लोग बड़ी मां कहकर संबोधित करते हैं।
लेकिन उनकी उपस्थिति न तो सोशल मीडिया पर हैं, न ही राजनीति के मंच पर। उनका जीवन पूरी तरह गोपनीय और पारिवारिक दायरे में सीमित है, लेकिन गांव में उनकी पहचान एक दयालु, धर्मपरायण और सम्मानित महिला के रूप में है।
अपने भाई के संघर्ष की गवाह हैं कमला यादव
जब मुलायम सिंह यादव राजनीति में उभर रहे थे। उस समय छात्र राजनीति से लेकर मुख्यमंत्री बनने तक कमला देवी ने परिवार के घरेलू मोर्चे को संभाला। कई पुराने साथी बताते हैं कि सैफई में मुलायम के शुरुआती दौर में परिवार की महिलाओं ने त्याग और सहयोग से ही घर को संभाला।
कमला देवी का मानना है कि 'राजनीति का सबसे बड़ा उद्देश्य समाज की भलाई है, लेकिन घर के भीतर संस्कार की राजनीति भी उतनी ही ज़रूरी है।' यही वजह है कि अखिलेश यादव जैसे आधुनिक नेता भी अपने पारिवारिक रिश्तों को उतना ही सम्मान देते हैं।
सादगी ही उनकी पहचान
कमला देवी का जीवन किसी प्रेरक कहानी से कम नहीं है। वे साधारण साड़ी पहनती हैं, बिना किसी दिखावे के पूजा-पाठ में लीन रहती हैं और गांव की बेटियों को शिक्षा के लिए प्रेरित करती हैं। अक्सर सैफई आने वाले मेहमानों को उनके हाथों से बना खाना मिलता है। गांव की बुजुर्ग महिलाएं कहती हैं कि 'मुलायम जी जितने सख्त नेता थे, कमला दीदी उतनी ही कोमल और दयालु इंसान हैं।'
अखिलेश के लिए ‘बुआ’ से ज़्यादा मां जैसी
अखिलेश यादव के बचपन में जब मुलायम सिंह राजनीति में व्यस्त रहते थे, तो कमला देवी ने कई बार मां जैसी भूमिका निभाई। वे आज भी अखिलेश के बच्चों से लेकर परिवार के सबसे छोटे सदस्य तक को उतना ही स्नेह देती हैं। राजनीति की जटिल दुनिया में जहां रिश्ते अक्सर औपचारिक हो जाते हैं, वहां अखिलेश की बुआ कमला देवी यादव उस भावनात्मक धरोहर की याद दिलाती हैं, जिसे आज भी सैफई परिवार सादगी, संस्कार और अपनेपन के साथ जीता है।
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