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Politician Sunil Tatkare Wikipedia: रायगढ़ से दिल्ली तक, सत्ता, संगठन और सवालों के बीच एक जमीनी नेता
Politician Sunil Tatkare Wikipedia: महाराष्ट्र की राजनीति में सुनील तटकरे का प्रशासनिक अनुभव, सांगठनिक कौशल और विकासोन्मुखी दृष्टिकोण के लिए जाने जाते हैं।
Politician Sunil Tatkare (Image Credit-Social Media)
Politician Sunil Tatkare Wikipedia: महाराष्ट्र की राजनीति में सुनील दत्तात्रेय तटकरे एक ऐसा नाम हैं, जिन्होंने ग्राम पंचायत की गलियों से निकलकर संसद के उच्च सदन तक अपनी जगह बनाई है। वे महाराष्ट्र की राजनीति में अपने प्रशासनिक अनुभव, सांगठनिक कौशल और विकासोन्मुखी दृष्टिकोण के लिए जाने जाते हैं। हालांकि, उनके करियर में कुछ विवादों की छाया भी रही है, जो राजनीतिक विश्लेषण का विषय बनी रही। वर्तमान में वे रायगढ़ लोकसभा क्षेत्र से सांसद हैं और साथ ही महाराष्ट्र में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष की भूमिका भी निभा रहे हैं।
सादगी से शुरू हुआ जीवन, संघर्षों से सीखा सबक
सुनील तटकरे का जन्म 10 जुलाई 1955 को महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले के सुतारवाड़ी कोलाड गांव में हुआ था। एक साधारण गवली परिवार में जन्म लेने वाले तटकरे ने बचपन से ही ग्रामीण जीवन की चुनौतियों को नजदीक से देखा। पढ़ाई में रुचि होने के कारण उन्होंने पुणे के प्रसिद्ध फर्ग्यूसन कॉलेज से इंटरमीडिएट साइंस की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद वे एक सरकारी सड़क ठेकेदार के रूप में कार्यरत रहे, जिसने उन्हें परियोजनाओं और प्रशासन की बारीकियों से परिचित कराया।
कांग्रेस से राजनीति की शुरुआत और पहली जीत की कहानी
राजनीति में उनकी सक्रिय शुरुआत 1984 में हुई, जब उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की सदस्यता ली। वर्षों तक कार्यकर्ता के रूप में काम करने के बाद 1995 में उन्हें पहली बार श्रीवर्धन विधानसभा सीट से टिकट मिला और वे विधायक चुने गए। यह जीत उनके लिए एक बड़ा मोड़ थी, जिससे उनका राजनीतिक सफर रफ्तार पकड़ने लगा।
मंत्री के रूप में जिम्मेदारियों की लंबी सूची
सुनील तटकरे को सरकार में विभिन्न विभागों की जिम्मेदारियां दी गईं। जिनमें खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति, ऊर्जा और वित्त जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालय शामिल रहे। 2004 में खाद्य और नागरिक आपूर्ति मंत्री के रूप में कार्य करते हुए उन्होंने सार्वजनिक वितरण प्रणाली में सुधार की दिशा में काम किया। इसके बाद 2008 में ऊर्जा मंत्री बनाए गए और महाराष्ट्र की बिजली व्यवस्था को मजबूत करने की दिशा में नीतिगत फैसले लिए। 2009 में उन्हें राज्य का वित्त मंत्री नियुक्त किया गया, जहां उन्होंने बजट निर्माण, कर नीति और निवेश नीति जैसे संवेदनशील मुद्दों पर काम किया।
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी में नेतृत्व और बढ़ती जिम्मेदारी
वर्षों तक कांग्रेस के साथ सक्रिय रहने के बाद उन्होंने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) का दामन थामा और पार्टी के एक प्रभावशाली नेता के रूप में उभरे। उन्हें विधानसभा में पार्टी का नेता नियुक्त किया गया। जहां वे सरकार और विपक्ष के बीच संतुलन बनाने में कुशल माने गए। 3 जुलाई 2023 को उन्हें अजित पवार गुट की ओर से महाराष्ट्र प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया गया। जिससे स्पष्ट हो गया कि पार्टी उन्हें एक रणनीतिक नेतृत्वकर्ता के रूप में देखती है।
लोकसभा चुनाव में संघर्ष और ऐतिहासिक जीत
2014 में उन्होंने रायगढ़ से लोकसभा चुनाव लड़ा लेकिन हार का सामना करना पड़ा। हालांकि उन्होंने हार को सीख में बदला और 2019 में एक बार फिर मैदान में उतरे। इस बार उन्होंने शिवसेना के वरिष्ठ नेता अनंत गीते को हराया और लगभग 31,438 वोटों के अंतर से जीत दर्ज की। यह जीत उनके राजनीतिक जीवन की एक अहम उपलब्धि रही, जिसने उन्हें राष्ट्रीय स्तर की राजनीति में स्थापित कर दिया।
संसद में प्रभावी उपस्थिति और जनहित के मुद्दे
सांसद बनने के बाद उन्होंने रायगढ़ और कोकण क्षेत्र के विकास से जुड़े कई मुद्दों को संसद में उठाया। रेल कनेक्टिविटी से लेकर आदिवासी क्षेत्रों की स्वास्थ्य सेवाओं, शिक्षा सुविधाओं और आपदा प्रबंधन के मुद्दों पर वे निरंतर सक्रिय रहे। उन्होंने कोकण क्षेत्र के पर्यावरणीय संतुलन को बनाए रखते हुए विकास कार्यों की मांग की और केंद्रीय मंत्रालयों से योजनाओं के लिए विशेष फंड आवंटन की पैरवी की।
सामाजिक सरोकारों में भी रहा गहरा जुड़ाव
राजनीति के साथ-साथ सुनील तटकरे सामाजिक मुद्दों पर भी मुखर रहे हैं। उन्होंने सिंचाई परियोजनाओं के माध्यम से किसानों को राहत दिलाने की कोशिश की और ग्रामीण रोजगार को बढ़ावा देने के लिए स्वरोजगार योजनाओं की वकालत की। महिला सशक्तिकरण और शिक्षा के क्षेत्र में भी उनका रुझान दिखा है। उनकी छवि एक ऐसे नेता की है, जो जनता के बीच जाकर उनकी समस्याओं को सुनता और हल करने का प्रयास करता है।
परिवार की राजनीतिक विरासत - बेटी अदिति तटकरे की भूमिका
सुनील तटकरे की बेटी अदिति सुनील तटकरे भी राजनीति में सक्रिय हैं और महाराष्ट्र विधानसभा की सदस्य हैं। वे अपने क्षेत्र में महिला सशक्तिकरण और शिक्षा को लेकर सक्रिय रहती हैं। इस तरह, तटकरे परिवार अब महाराष्ट्र की राजनीति में एक सक्रिय राजनीतिक इकाई बन चुका है। जिसकी अगली पीढ़ी भी नेतृत्व की ओर अग्रसर है।
राजनीतिक सफर में उठे सवाल
हालांकि, उनके राजनीतिक सफर पर कुछ गंभीर आरोपों की छाया भी रही है। भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने उनके खिलाफ आय से अधिक संपत्ति और भूमि हड़पने के मामले में खुली जांच की अनुमति राज्य सरकार से मांगी है। वहीं, प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने भी उनके खिलाफ संपत्ति से जुड़े एक मामले में जांच शुरू की है। सुनील तटकरे इन आरोपों को राजनीति से प्रेरित बताते रहे हैं और हर जांच में सहयोग देने का आश्वासन दिया है।
वर्तमान में महत्वपूर्ण भूमिका में सक्रिय
आज सुनील तटकरे रायगढ़ से लोकसभा सांसद हैं और साथ ही राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष के रूप में महाराष्ट्र की राजनीति को दिशा देने का कार्य कर रहे हैं। उनके पास संसदीय अनुभव और सांगठनिक कौशल का जो संयोजन है, वह उन्हें पार्टी के लिए एक मजबूत स्तंभ बनाता है।
सुनील तटकरे की राजनीति अनुभव, संतुलन और जनसंवाद का प्रतीक है। वे प्रशासनिक दक्षता के साथ-साथ संगठन में विश्वास और जनता के बीच संवाद कायम रखने की क्षमता रखते हैं। राजनीतिक जीवन में उन पर लगे आरोप उनके विरोधियों के लिए मुद्दा जरूर बने हैं, लेकिन उनके समर्थक उन्हें एक ज़मीनी नेता के रूप में देखते हैं। जिसने जनता के विश्वास से राजनीति की ऊंचाइयां पाई हैं। आने वाले समय में उनकी भूमिका महाराष्ट्र और केंद्र की राजनीति में बेहद महत्वपूर्ण होगी।
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