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जिसने सड़क को बनाया मंच, वही बन गई मौत का कारण, 114 साल के मैराथन रनर फौजा सिंह सड़क हादसे में हार गए जिंदगी
Fauja Singh Dies at 114: दुनिया के सबसे उम्रदराज मैराथन रनर फौजा सिंह का 114 साल की उम्र में सड़क दुर्घटना में निधन हो गया। जिस सड़क पर उन्होंने इतिहास रचा, वही उनकी आखिरी राह बन गई।
Fauja Singh Dies at 114
Fauja Singh Dies At 114: दुनिया के सबसे उम्रदराज मैराथन रनर फौजा सिंह अब इस दुनिया में नहीं रहे। सोमवार (14 जुलाई) को पंजाब में एक सड़क दुर्घटना में 114 साल की उम्र में उनका निधन हो गया। यह खबर जैसे ही सामने आई, खेल जगत से लेकर आम लोगों तक हर कोई सदमे में आ गया कि जिस सड़क पर फौजा सिंह ने इतिहास रचा, अब वहीं उनकी मौत की वजह भी बन गई।
हाईवे पर दर्दनाक हादसा, नहीं बच पाए 'टर्बन टॉर्नेडो'
1 अप्रैल, 1911 को पंजाब के जालंधर जिले के ब्यास गांव में जन्मे फौजा सिंह सोमवार दोपहर जालंधर-पठानकोट हाईवे पर टहलने निकले थे, लेकिन तभी वो सड़क हादसे का शिकार हो गए। रिपोर्ट के मुताबिक, उन्हें एक कार ने टक्कर मार दी, जिसकी वजह से सिर में गंभीर चोटें आईं। फौजा सिंह को अस्पताल ले जाया गया, लेकिन शाम 7:30 बजे उन्होंने दम तोड़ दिया।
फौजा सिंह ने 100 की उम्र में रचा इतिहास
जहां दुनिया 60 के बाद रिटायरमेंट की सोचती है, वहां फौजा सिंह ने 89 की उम्र में दौड़ को गंभीरता से लिया। उन्होंने पहली बार साल 2000 में लंदन मैराथन में हिस्सा लिया था। उन्होंने लंदन, न्यूयॉर्क और टोरंटो जैसे शहरों में कुल 9 मैराथन दौड़ीं। उनका बेस्ट टाइम टोरंटो में 5 घंटे 40 मिनट 4 सेकंड था। 2011 में जब उन्होंने टोरंटो मैराथन में हिस्सा लिया, तो उनकी उम्र 100 साल थी, जिसकी वजह से उन्हें 'द टर्बन टॉर्नेडो' कहा जाने लगा।
फौजा सिंह की लोकप्रियता
फौजा सिंह न सिर्फ रेस में भाग लेते थे, बल्कि वो ओलंपिक टॉर्चबेयर भी रह चुके हैं। 2004 एथेंस और 2012 लंदन गेम्स में। वह डेविड बेकहम और मोहम्मद अली जैसे दिग्गजों के साथ एक मशहूर स्पोर्ट्स ब्रांड के विज्ञापन में भी नजर आ चुके हैं।
राज्यपाल भी हुए भावुक
फौजा सिंह के निधन से देश में शोक की लहर है। पंजाब के राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया ने शोक व्यक्त करते हुए कहा, "114 की उम्र में भी उनकी उपस्थिति में एक अलग ही ऊर्जा होती थी। दिसंबर 2024 में 'नशा मुक्त - रंगला पंजाब' मार्च में उनके साथ चलना मेरे लिए सौभाग्य था।"
फौजा सिंह की कहानी- संघर्ष, प्रेरणा और जीत
फौजा सिंह ने सही मायनो में यह साबित किया है कि उम्र सिर्फ एक नंबर है। अपने बेटे और पत्नी को खोने के बाद, उन्होंने जिंदगी को नई रफ्तार दी और दौड़ के रास्ते पर चले, जिससे उन्होंने न सिर्फ इतिहास रचा, बल्कि युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत भी बने हुए थे। वह भले ही अब इस दुनिया में नहीं रहे, लेकिन उनका हौसला, संघर्ष और प्रेरणा हमेशा आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करना रहेगा।
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