काशी का चमत्कारी बैंक: यहाँ मनोकामना पूरी करने के लिए लेना होता है राम नाम का लोन, लाल बहादुर शास्त्री की माता जी भी ले चुकी हैं कर्ज

Kashi Ram Ramapati Bank History: वाराणसी के पवित्र दशाश्वमेध घाट के पास त्रिपुरा भैरवी क्षेत्र में स्थित राम रमापति बैंक की स्थापना 1926 में हुई थी। इस अद्वितीय संस्था की नींव स्वर्गीय दास छन्नूलाल जी ने बाबा सत्यराम दास जी के मार्गदर्शन में रखी थी।

Jyotsna Singh
Published on: 22 May 2025 7:53 PM IST
Kashi Spiritual Ram Ramapati Bank History 
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Kashi Spiritual Ram Ramapati Bank History 

Kashi Spiritual Ram Ramapati Bank History: जब भी हम 'बैंक' शब्द सुनते हैं, तो हमारे दिमाग में पैसे, खाता, ब्याज दरें और ऋण से जुड़ी व्यावसायिक गतिविधियों की छवि उभरती है। लेकिन उत्तर प्रदेश के वाराणसी में एक ऐसा अद्भुत और अनूठा बैंक है, जहां न तो धन का लेन-देन होता है और न ही किसी आर्थिक क्रेडिट स्कोर की जरूरत होती है। यहां ऋण (Loan) मिलता है, लेकिन भगवान श्रीराम के नाम पर। इस बैंक का नाम है राम रमापति बैंक। जो न केवल एक संस्था है, बल्कि श्रद्धा, साधना और आत्मिक शुद्धि का प्रतीक बन चुका है। यह बैंक 'जहां श्रद्धा है, वहां समाधान है। और जहां राम नाम है, वहां कल्याण है' की मान्यता से जुड़ा है। आइए जानते हैं कि यह बैंक कैसे काम करता है, इसका इतिहास क्या है, यहां लोन लेने की प्रक्रिया क्या है और इसका आध्यात्मिक महत्व कितना गहरा है।

राम रमापति बैंक एक आध्यात्मिक विरासत


वाराणसी के पवित्र दशाश्वमेध घाट के पास त्रिपुरा भैरवी क्षेत्र में स्थित राम रमापति बैंक की स्थापना 1926 में हुई थी। इस अद्वितीय संस्था की नींव स्वर्गीय दास छन्नूलाल जी ने बाबा सत्यराम दास जी के मार्गदर्शन में रखी थी। यह बैंक न तो आरबीआई से अधिकृत है और न ही यहां पैसों का कोई लेन-देन होता है। यह एक अध्यात्मिक संस्था है। जो श्रद्धालुओं की मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए उन्हें राम नाम लेखन का 'लोन' देती है।

राम रमापति बैंक में लोन क्या है?

यहां लोन का अर्थ वित्तीय सहायता नहीं है, बल्कि यह एक आध्यात्मिक प्रक्रिया है। जब कोई व्यक्ति किसी विशेष मनोकामना की पूर्ति के लिए इस बैंक से जुड़ता है, तो उसे राम नाम लेखन का कार्य सौंपा जाता है। यह लेखन साधना होती है आत्मा की शुद्धि और ईश्वर से जुड़ाव की।

क्या होती है लोन लेने की प्रक्रिया, कैसे जुड़ें राम रमापति बैंक से

इस बैंक से जुड़ने के लिए सबसे पहले आपको आवेदन प्रक्रिया से गुजरना होता है। आइए जानते हैं इस बारे में विस्तार से -


आवेदन प्रक्रिया

जो भी व्यक्ति इस आध्यात्मिक बैंक में खाता खोलना चाहता है। उसे बैंक में जाकर एक आवेदन पत्र भरना होता है। इस फॉर्म में उसे अपना नाम, पता और अपनी वह मनोकामना लिखनी होती है, जिसके लिए वह राम नाम लेखन का संकल्प लेना चाहता है।

लेखन सामग्री का वितरण

आवेदन स्वीकार हो जाने के बाद व्यक्ति को बैंक की ओर से एक लकड़ी की कलम, लाल स्याही की बोतल और कागज का बंडल दिया जाता है। यह लेखन किट उस 'ऋण' का माध्यम होती है। जिसे पूरा करके भक्त अपनी आस्था को भगवान राम के चरणों में अर्पित करता है।

राम नाम लेखन का नियम

व्यक्ति को कुल 1,25,000 बार 'राम' नाम लिखना होता है। यह कार्य 8 महीने और 10 दिन की समय सीमा में पूरा करना होता है। लेखन केवल सुबह 4 बजे से 7 बजे के बीच करना होता है।


प्रत्येक लेखन सत्र से पहले स्नान करना आवश्यक होता है। संपूर्ण लेखन अवधि के दौरान शाकाहारी भोजन करना अनिवार्य है। पूर्ण श्रद्धा, ध्यान और एकाग्रता के साथ यह कार्य किया जाना चाहिए।

पूर्णता और समर्पण

जब भक्त 1.25 लाख बार राम नाम लिख लेता है, तो वे सभी लिखे गए पन्नों को बैंक में जमा करता है। बैंक इस लेखन को 'लोन चुकता' मानता है। जमा किए गए पन्नों को सुरक्षित रूप से संग्रहित किया जाता है।

आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व

राम रमापति बैंक एक साधारण संस्था नहीं बल्कि यह भक्त और भगवान के बीच एक गहरा संबंध स्थापित करता है। यह न केवल आत्मा की शुद्धि का मार्ग है बल्कि यह व्यक्ति को जीवन के संघर्षों से ऊपर उठकर अध्यात्म की ओर उन्मुख करता है। हर रोज राम नाम लिखना एक प्रकार का ध्यान (Meditation) बन जाता है। यह नकारात्मक विचारों से मुक्ति देता है और मानसिक शांति प्रदान करता है। यह प्रक्रिया व्यक्ति में अनुशासन, तप, संयम और ईश्वर के प्रति समर्पण की भावना उत्पन्न करती है।

मनोकामनाएं और आस्था


मान्यता है कि यहां आने वाले भक्तों की हर तरह की मनोकामनाएं पूरी होती हैं। जो कि विविध होती है। नौकरी की प्राप्ति, बीमारी से मुक्ति, परीक्षाओं में सफलता, विवाह में बाधाएं दूर करना, पारिवारिक कलह को समाप्त करना, संतान प्राप्ति जैसी कई समस्याएं लेकर भक्त इस बैंक में आते हैं। बैंक का मानना है कि जब कोई व्यक्ति सच्चे मन से राम नाम लेखन करता है, तो उसकी प्रार्थना अवश्य सुनी जाती है।

सिनेहस्तियों और राजनेताओं की भी जुड़ी है आस्था

राम रमापति बैंक की ख्याति केवल आम जनता तक सीमित नहीं है। बॉलीवुड अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा के परिवार के सदस्य यहां आकर राम नाम लिख चुके हैं। भारत के पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की माता जी ने भी इस बैंक से लोन लिया था और राम नाम लेखन कर अपनी मनोकामना पूरी की थी। इन उदाहरणों से स्पष्ट होता है कि यह संस्था न केवल स्थानीय लोगों की आस्था का केंद्र है, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी इसका महत्व है।

बैंक का समय और व्यवस्था

राम रमापति बैंक रोजाना दोपहर 12 बजे से शाम 4 बजे तक खुला रहता है।

विशेष पर्व जैसे राम नवमी या अन्य धार्मिक आयोजनों पर इसकी समय सीमा बढ़ाई जाती है।

बैंक में आज भी हजारों भक्तों द्वारा जमा किए गए पन्नों को सहेज कर रखा गया है। जिन्हें देखकर श्रद्धा की शक्ति का एहसास होता है।

राम रमापति बैंक का समकालीन महत्व

वर्तमान समय में, जब लोग तनाव, चिंता और जीवन की भागदौड़ से जूझ रहे हैं, राम रमापति बैंक एक सरल, सुलभ और आध्यात्मिक समाधान प्रस्तुत करता है। यह हमें यह सिखाता है कि आस्था, अनुशासन और ईश्वर का नाम ही जीवन की जटिलताओं को हल करने का एक मार्ग हो सकता है। सोशल मीडिया और डिजिटल मीडिया पर इस बैंक की ख्याति तेजी से फैल रही है। युवा वर्ग से लेकर वरिष्ठ नागरिक तक इस आध्यात्मिक लोन योजना से जुड़ने के इच्छुक हैं।

राम रमापति बैंक कोई वित्तीय संस्था नहीं, बल्कि यह आत्मिक उन्नति का केंद्र है। यहां लोन न तो ब्याज के साथ चुकाया जाता है और न ही किश्तों में, बल्कि इसे राम नाम की साधना से अर्पित किया जाता है। यह बैंक न केवल वाराणसी की आध्यात्मिक विरासत को समृद्ध करता है, बल्कि पूरी दुनिया को यह संदेश देता है कि ईश्वर का नाम ही सर्वोच्च शक्ति है। अगर आप कभी वाराणसी जाएं। तो एक बार इस अद्भुत बैंक का दर्शन अवश्य करें। यह अनुभव आपको भक्तिभाव से भर देगा और जीवन में नई ऊर्जा का संचार करेगा।

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