Uttarakhand Trip Alert: उत्तराखंड में इन जगहों पर अभी जाना है खतरनाक, सावधानी जरूरी

Uttarakhand Trip Alert: उत्तराखंड की यात्रा पर निकलने का प्लान बना रहें हैं तो पहले ये समझना बेहद जरूरी है कि कौन सी जगहों पर जाना सुरक्षित नहीं साबित होगा।

Jyotsna Singh
Published on: 6 Sept 2025 8:00 AM IST
Uttarakhand Trip Alert
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Uttarakhand Trip Alert (Image Credit-Social Media)

Uttarakhand Trip Alert : उत्तराखंड की वादियां हमेशा से पर्यटकों के लिए रोमांच और सुकून का ठिकाना रही हैं। यहां की बर्फ से ढकी चोटियां, बहती नदियां, देवभूमि के धाम और प्राकृतिक नजारे हर किसी को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। लेकिन सच यह भी है कि यह धरती जितनी खूबसूरत है, उतनी ही संवेदनशील भी है। पहाड़ों पर कभी बादल फटते हैं, कभी अचानक बाढ़ आती है तो कभी भूस्खलन रास्ते रोक देता है। खासतौर से मानसून के मौसम में ये प्राकृतिक घटनाएं बढ़ जाती हैं। ऐसे में पर्यटक इन जगहों पर छुट्टियों को यादगार बनाने के इरादे से घर निकलते हैं, लेकिन मुसीबत में फंस जाते है।

हाल ही में उत्तरकाशी की हर्षिल घाटी में बादल फटने और अचानक आई बाढ़ ने यह साफ कर दिया है कि पहाड़ों पर इस समय कदम रखना आसान नहीं है। देखते ही देखते कई घर और दुकानें मलबे में बदल गए, सड़कें टूट गईं और खीरगाड़ नदी का उफान चारों तरफ तबाही का मंजर ले आया। सिर्फ यही नहीं लगातार ऐसी घटनाओं का सिलसिला जारी है। ऐसे हालात बताते हैं कि इन दिनों यदि आप उत्तराखंड की यात्रा पर निकलने का प्लान बना रहें हैं तो पहले ये समझना बेहद जरूरी है कि कौन सी जगहों पर जाना सुरक्षित नहीं साबित होगा -

उत्तरकाशी जहां आम हैं बादल फटने की घटनाएं


उत्तरकाशी, गंगोत्री धाम का प्रवेश द्वार माना जाता है। यह स्थान हमेशा से बादल फटने और अचानक आई बाढ़ की घटनाओं से चर्चा में रहा है। हाल ही में धराली गांव के पास जो तबाही हुई, उसने एक बार फिर यह जता दिया कि इस क्षेत्र में जरा-सी लापरवाही भी भारी पड़ सकती है। नदी-नालों का जलस्तर तेजी से बढ़ जाता है और मलबा देखते ही देखते पूरे इलाके को डूबो देता है। अभी यहां यात्रा करना यात्रियों के लिए किसी खतरे को न्योता देने जैसा है।

जोशीमठ जहां लगातार खिसक रही जमीन

चमोली जिले का जोशीमठ धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से बेहद अहम है। बद्रीनाथ धाम का शीतकालीन गद्दी स्थल होने के कारण यहां सालभर श्रद्धालुओं का आना-जाना लगा रहता है। लेकिन बीते कुछ समय से यह शहर गंभीर संकट में है। 2023 की शुरुआत में यहां की धरती खिसकने लगी और देखते-ही-देखते ⁷⁷ घरों और सड़कों में दरारें पड़ गईं। अनियोजित निर्माण, जल निकासी की गड़बड़ी और सड़क चौड़ीकरण ने इस संकट को और बढ़ा दिया। आज भी हालात पूरी तरह सामान्य नहीं हैं। कई घर असुरक्षित हैं और जमीन का धंसना रुक-रुककर जारी है। खास कर बारिश के मौसम ने यात्रियों के लिए यहां आना जोखिम से खाली नहीं है।

चमोली और रुद्रप्रयाग जहां हर बारिश के साथ गहराता जा रहा खतरा

चार धाम यात्रा का अहम हिस्सा माने जाने वाले चमोली और रुद्रप्रयाग जिले प्राकृतिक आपदाओं से सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं। इसरो की रिपोर्ट बताती है कि रुद्रप्रयाग पूरे देश में भूस्खलन के लिहाज से सबसे संवेदनशील जिला है। चमोली भी खतरनाक जिलों की सूची में शामिल है। बारिश होते ही यहां की ढलानें कमजोर पड़ जाती हैं और सड़कें मलबे से भर जाती हैं। हाल ही में रुद्रप्रयाग जिले के मुनकटिया इलाके में हुए बड़े भूस्खलन ने सोनप्रयाग और गौरीकुंड के बीच का रास्ता बंद कर दिया, जिससे केदारनाथ यात्रा अस्थायी तौर पर रोकनी पड़ी। वहीं दूसरी ओर अलकनंदा और मंदाकिनी नदियों का उफान भी स्थिति को और खतरनाक बना देता है।

केदारनाथ मार्ग- मानसून में सबसे चुनौतीपूर्ण यात्रा


असंख्य शिव भक्तों के बीच केदारनाथ धाम धार्मिक आस्था का प्रतीक है। लेकिन बरसात के दिनों में इस धार्मिक स्थल पर पहुंचने का रास्ता सबसे जोखिम भरा हो जाता है। गौरीकुंड से सोनप्रयाग तक का ट्रैक अक्सर भूस्खलन की चपेट में आ जाता है। सरस्वती और मंदाकिनी नदियों का विकराल रूप यात्रियों को डराता है। 2013 की त्रासदी को कोई नहीं भूल पाया है, जब एक ही रात में बादल फटने और बाढ़ ने हजारों लोगों की जान ले ली थी। तब से प्रशासन लगातार निगरानी में है। लेकिन यहां मौसम कब रौद्र रूप रख ले, कोई नहीं जानता।

प्राकृतिक सौंदर्य से लदे पहाड़ क्यों हैं इतने असुरक्षित?

हिमालय की पहाड़ियां भूगर्भ विज्ञान की दृष्टि से बेहद युवा मानी जाती हैं। यही कारण है कि यहां की जमीन कभी एक जैसी नहीं रहती है। यहां लगातार बदलाव होते रहना आम बात मानी जाती है। खास तौर से मानसून के दौरान भारी बारिश मिट्टी को कमजोर कर देती है और ढलानों पर बसे गांवों में भूस्खलन की घटनाएं आम हो जाती हैं। इसके अलावा पहाड़ों को काट कर बनाए जा रहे अनियोजित निर्माण, सड़क चौड़ीकरण और पर्यावरण प्रदूषण के कारण जलवायु परिवर्तन ने यहां के हालात को और बद से बदतर बना दिया है। नदियों का उफान और ग्लेशियरों का पिघलना भी इस संवेदनशीलता को और बढ़ा रहे हैं।

यात्रा पर निकलने से पहले इन बातों का रखे ध्यान

अगर आप उत्तराखंड की यात्रा का प्लान कर रहे हैं तो सबसे पहले मौसम की जानकारी जरूर लें। यात्रा के दौरान भी मौसम विभाग की ताजा चेतावनियों पर नजर बनाए रखें। रास्तों की स्थिति को लेकर स्थानीय प्रशासन से जानकारी लें क्योंकि पहाड़ों में सड़कें कभी भी बंद हो सकती हैं। हालांकि अनावश्यक यात्रा से बचना ही समझदारी है। खासकर तब जब मौसम खराब हो। चार धाम यात्रा पर जाने वालों के लिए पंजीकरण कराना और नियमों का पालन करना बेहद जरूरी है। साथ ही हल्का सामान लेकर चलें और अपने पास एक आपातकालीन किट रखें जिसमें दवाइयां, टॉर्च, पावर बैंक, पानी और थोड़ा-बहुत सूखा भोजन जरूर हो। अगर आप पहली बार यात्रा पर जा रहे हैं तो स्थानीय गाइड के साथ ही रास्ता तय करें।

पर्यटकों से प्रशासन और स्थानीय लोगों की अपील

उत्तराखंड सरकार और आपदा प्रबंधन विभाग समय-समय पर यात्रियों को सतर्क रहने की अपील करते हैं। कई बार हालात बिगड़ने पर चार धाम यात्रा अस्थायी रूप से रोकनी पड़ती है। स्थानीय लोग भी पर्यटकों से यही आग्रह करते हैं कि वे मौसम और सड़क की स्थिति सामान्य होने तक इंतजार करें। लापरवाही और जल्दबाजी न सिर्फ आपकी बल्कि दूसरों की जिंदगी को भी खतरे में डाल सकती है।

उत्तराखंड अपनी खूबसूरती और आध्यात्मिक धरोहर के लिए जितना प्रसिद्ध है, उतना ही यह प्राकृतिक आपदाओं के लिहाज से नाजुक भी है। यहां यात्रा करना तभी सुरक्षित है जब आप पूरी तैयारी और सतर्कता के साथ निकलें। फिलहाल उत्तरकाशी, जोशीमठ, चमोली, रुद्रप्रयाग और केदारनाथ यात्रा मार्ग पर हालात सामान्य नहीं हैं। इन जगहों पर फिलहाल यात्रा करना खतरे से खाली नहीं है।

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