Agra News: आगरा बिजली व्यवस्था पर विवाद, टोरेंट पावर का ठेका रद्द करने की उठी मांग

Agra News: विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने लगाया आरोप, CAG ने आगरा बिजली बिडिंग को गलत बताया, पावर कॉरपोरेशन को अरबों का नुकसान।

Newstrack          -         Network
Published on: 8 Sept 2025 9:58 PM IST
Agra News: आगरा बिजली व्यवस्था पर विवाद, टोरेंट पावर का ठेका रद्द करने की उठी मांग
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Agra News: लखनऊ, विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश ने आगरा की बिजली व्यवस्था टोरेंट पावर को सौंपने के मामले में गंभीर आरोप लगाए हैं। समिति का दावा है कि कैग (CAG) ने दस साल पहले ही इस बिडिंग प्रक्रिया को गलत बताते हुए इसे रद्द करने की सिफारिश की थी, लेकिन उस रिपोर्ट को दबा दिया गया। इस कारण, पावर कॉरपोरेशन को हर साल अरबों रुपये का भारी नुकसान हो रहा है।

क्या है CAG रिपोर्ट का आरोप?

संघर्ष समिति ने बताया कि 2015 में CAG ने अपनी रिपोर्ट में स्पष्ट लिखा था कि आगरा फ्रेंचाइजी के लिए बिडिंग में उपयोग किए गए आंकड़े और आरक्षित दरें भ्रामक और गलत अवधारणाओं पर आधारित थीं। CAG ने सुझाव दिया था कि इस पूरी प्रक्रिया को रद्द कर देना चाहिए और सही आंकड़ों के आधार पर नई निविदाएं जारी करनी चाहिए।

CAG ने अपनी रिपोर्ट में एक और बड़ा खुलासा किया था। रिपोर्ट के अनुसार, दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम ने टोरेंट पावर को लाभ पहुंचाने के लिए T&D (ट्रांसमिशन और डिस्ट्रीब्यूशन) हानियों को 28.22% से बढ़ाकर 44.85% दिखाया। इससे टोरेंट पावर को बहुत सस्ती दरों पर बिजली मिल रही है, जिससे पावर कॉरपोरेशन को सालाना ₹1000 करोड़ का नुकसान हो रहा है।CAG ने अपनी रिपोर्ट में अनुमान लगाया था कि इस गलत अनुबंध के कारण पावर कॉरपोरेशन को 18 वर्षों में ₹4601 करोड़ का नुकसान होगा। संघर्ष समिति के अनुसार, पिछले 14 वर्षों में ही कॉरपोरेशन को ₹3432 करोड़ का नुकसान हो चुका है, जो CAG के अनुमान को सही साबित करता है।

संघर्ष समिति की मांगें

संघर्ष समिति ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से इस मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग की है। उनका कहना है कि इस घोटाले के दोषियों पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए और टोरेंट पावर के साथ हुआ यह समझौता तुरंत रद्द किया जाना चाहिए।समिति ने यह भी कहा कि जब आगरा और ग्रेटर नोएडा के निजीकरण में इस तरह के घोटाले सामने आए हैं, तो पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगमों के प्रस्तावित निजीकरण को भी तत्काल रोका जाना चाहिए। संगठन का तर्क है कि अगर पावर कॉरपोरेशन घाटे को लेकर इतना गंभीर है, तो उसे सबसे पहले आगरा का समझौता रद्द करना चाहिए, जो सीधे-सीधे घाटे का कारण बन रहा है।

निजीकरण के विरोध में आंदोलन जारी

संघर्ष समिति ने बताया कि पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगमों के निजीकरण के विरोध में उनका आंदोलन लगातार 285 दिनों से जारी है। आज भी राज्य के सभी जिलों में बिजली कर्मचारियों ने निजीकरण के खिलाफ प्रदर्शन किया। समिति ने चेतावनी दी है कि वे आने वाले दिनों में आगरा और नोएडा में हुए बिजली निजीकरण घोटालों के बारे में और खुलासे करेंगे।

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