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बिजली विभाग के घोटाले उजागर करेंगी संघर्ष समिति, ऊर्जा मंत्री के लगाएं आरोपों को किया खारिज
UP News: संघर्ष समिति ने कहा कि ड्राफ्ट स्टैंडर्ड बिडिंग डॉक्यूमेंट 2025 पब्लिक डोमेन में नहीं है, न ही भारत सरकार के विद्युत मंत्रालय ने राज्यों को सर्कुलेट करके आपत्ति मांगी है। ऐसे में लाखों करोड़ रुपये की परिसंपत्तियों को ड्राफ्ट डॉक्यूमेंट के आधार पर कैसे बेचा जा सकता है।
UP Electricity department scams (Photo: Social Media)
UP News: प्रदेश में बिजली निजीकरण घाटे के झूठे आंकड़ों और कर्मचारियों में भय का माहौल बनाकर किया जा रहा है। विधानसभा के मानसून सत्र से पहले सभी विधायकों को निजीकरण के पीछे हो रहे कथित घोटालों से अवगत कराया जाएगा। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने इन आरोप के साथ ही प्रदेश ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से ऊर्जा विभाग की कमान स्वयं संभालने और बिजली के निजीकरण के निर्णय को तत्काल रद्द करने की अपील की है।
ऊर्जा मंत्री के आरोपों को किया खारिज
संघर्ष समिति ने ऊर्जा मंत्री एके शर्मा के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर बिजली कर्मियों के खिलाफ अभद्र भाषा के इस्तेमाल के आरोपों को सिरे से खारिज किया है। समिति स्पष्ट किया कि बिजली कर्मियों ने अभद्र भाषा का प्रयोग नहीं किया और विदेश यात्रा को टोरेंट के निजीकरण से जोड़ने का आरोप भी पूर्णतया निराधार और भ्रम फैलाने वाला है। उन्होंने 22 जुलाई को ऊर्जा मंत्री से मिलने का समय मांगा था। उसमें 3 दिसंबर 2022 व 19 मार्च 2023 के समझौतों के क्रियान्वयन न होने और उत्पीड़न की कार्रवाइयों पर चर्चा की जा पाएं।
निजीकरण में घोटाले का लगाया आरोप
समिति ने दावा किया कि विरोध प्रदर्शन शांतिपूर्ण हुआ था। पुलिस अधिकारियों की मौजूदगी में हुआ था। जिसके मीडिया के पास वीडियो फुटेज उपलब्ध है। संघर्ष समिति ने पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण को लेकर गंभीर आरोप लगाए हैं। उसने कहा कि यह निजीकरण घाटे के झूठे आंकड़े देकर किया जा रहा है। पावर कॉर्पोरेशन की ऑडिटेड बैलेंस शीट विधायकों को भेजी जाएगी। उससे स्पष्ट होगा कि सब्सिडी की धनराशि और सरकारी विभागों के बिजली राजस्व के बकाए को जोड़कर घाटा दिखाया जा रहा है। जो निजीकरण की साजिश है।
विभाग के घोटाले एमएलए के समक्ष
संघर्ष समिति ने ड्राफ्ट स्टैंडर्ड बिडिंग डॉक्यूमेंट 2025 को भी कटघरे में खड़ा किया है। जिसे निजीकरण का आधार बनाया जा रहा है। समिति ने दावा किया कि आरएफपी डॉक्यूमेंट में एक लाख करोड़ रुपए की परिसंपत्तियों को बेचने की रिजर्व प्राइस मात्र 6500 करोड़ रखी गई है। जबकि परिसंपत्तियों का और रेवेन्यू पोटेंशियल का मूल्यांकन नहीं किया है। संघर्ष समिति ने कहा कि वे अगले 15 दिनों तक तमाम घोटालों को विधायकों के सामने रखेंगे। आज लगातार 243वें दिन बिजली कर्मियों ने प्रदेश भर के समस्त जनपदों और परियोजनाओं पर बिजली के निजीकरण और उत्पीड़नात्मक कार्रवाइयों के विरोध में प्रदर्शन जारी रखा है।
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