UP Power Employees Protest: संघर्ष समिति की मुख्यमंत्री से ऊर्जा विभाग अपने पास रखने की अपील, बिजली निजीकरण पर उठाए गंभीर सवाल

UP Power Employees Protest: समिति का दावा है कि निगमों को निजी एजेंडे के तहत बदनाम किया जा रहा है।

Prashant Vinay Dixit
Published on: 27 July 2025 5:49 PM IST (Updated on: 27 July 2025 5:54 PM IST)
Power Employees Agitation
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Power Employees Agitation (image from Social Media)

UP Power Employees Protest:उत्तर प्रदेश की विद्युत व्यवस्था को लेकर प्रदेशभर में प्रदर्शन जारी है। संघर्षरत विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने रविवार को सीएम योगी से आग्रह किया है कि वे ऊर्जा विभाग का प्रभार अपने पास रखें और बिजली निजीकरण की प्रक्रिया को तत्काल प्रभाव से रद्द कर दे। समिति के अनुसार सीएम निजीकरण की प्रक्रिया को रद्द करके स्वयं ऊर्जा विभाग की जिम्मेदारी संभालते हैं, तो प्रदेश के बिजली कर्मी दोगुने उत्साह से उपभोक्ताओं को बेहतर सेवा देने के लिए तत्पर रहेंगे।

मुख्यमंत्री ऊर्जा विभाग अपने पास रखे

संघर्ष समिति ने आरोप लगाया कि निजीकरण के एजेंडे के तहत उत्तर प्रदेश के ऊर्जा निगमों को जानबूझकर बदनाम किया जा रहा है। प्रदेश में सर्वाधिक बिजली आपूर्ति करने का रिकॉर्ड निगमों के नाम है। समिति ने कहा कि यह उत्तर प्रदेश का गौरव है। इसको बदनाम करना दुर्भाग्यपूर्ण है। रविवार को समिति की कोर कमेटी की बैठक में एक प्रस्ताव पारित कर मुख्यमंत्री से ऊर्जा विभाग अपने पास रखने की अपील की गई। समिति ने बताया कि सीमित संसाधनों के बावजूद बिजली कर्मियों ने भीषण गर्मी में रिकॉर्ड आपूर्ति की है।

ऊर्जा मंत्री कर्मियों का विश्वास खो चुके

उपभोक्ता सेवा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है। इसके बावजूद बिजली कर्मचारी निजीकरण के विरोध में आंदोलनरत हैं। संघर्ष समिति ने ऊर्जा मंत्री अरविंद शर्मा पर निशाना साधते हुए कहा कि वह बिजली कर्मियों का विश्वास खो चुके हैं। ऊर्जा मंत्री और पावर कॉर्पोरेशन के अध्यक्ष के बीच चल रहे टकराव में आम जनता पिस रही है। ऐसे में मुख्यमंत्री को हस्तक्षेप कर ऊर्जा विभाग अपने पास रखना चाहिए। बिजली संघर्ष समिति ने बताया कि 2017 में 41 प्रतिशत तक पहुंच चुकी लाइन लॉस अब 15 प्रतिशत से नीचे आ चुकी है।

आरडीएसएस योजना से लाभ मिला

यह आगामी वर्ष में राष्ट्रीय मानकों से भी नीचे चली जाएगी। केंद्र सरकार की आरडीएसएस योजना के तहत प्रदेश को 44,000 करोड़ की राशि भी प्राप्त हुई है, जिसका सही उपयोग कर वितरण व्यवस्था को और बेहतर किया जा सकता है। निजीकरण से गरीब उपभोक्ताओं पर भारी असर पड़ेगा, लेकिन समिति ने चेतावनी देकर कहा कि निजीकरण के बाद बिजली महंगी हो जाएगी। यह किसानों, गरीबों व घरेलू उपभोक्ताओं की पहुंच से बाहर हो जाएगी। इससे उत्तर प्रदेश के गरीब उपभोक्ताओं को एक बार फिर लालटेन युग में लौटना पड़ेगा।

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