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Ayodhya News: 'फसल सुधार के लिए जैव प्रौद्योगिकी का प्रयोग एवं विकास" पर एक दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का हुआ आयोजन

Ayodhya News: राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान लखनऊ के निदेशक डा. अजीत कुमार शासन ने कहा कि एग्रोबेक्टेरियम एक ऐसा जीवाणु है जो पौधों के साथ संबंध बनाकर उत्पादकता में सुधार करता है।

NathBux Singh
Published on: 22 May 2025 9:54 PM IST
One-day National Workshop on Application and Development of Biotechnology for Crop Improvement
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'फसल सुधार के लिए जैव प्रौद्योगिकी का प्रयोग एवं विकास" पर एक दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का हुआ आयोजन (Photo- Social Media)

Ayodhya News: आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय के सामुदायिक विज्ञान महाविद्यालय के ऑडिटोरियम में “फसल सुधार के लिए जैव प्रौद्योगिकी का प्रयोग एवं विकास” पर एक दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला आयोजित की गई। यह कार्यक्रम आचार्य नरेंद्र देव कृषि विवि और कंसोर्टियम इंडिया लिमिटेड नई दिल्ली के तत्वाधान में हुआ। कार्यक्रम का शुभारंभ सभी अतिथियों ने जल भरो के साथ किया। विवि के कुलपति कर्नल डा. बिजेंद्र सिंह ने सभी अतिथियों को स्मृति चिह्न एवं अंगवस्त्रम भेंटकर सम्मानित किया।


बुंदेलखंड में मक्का के उत्पादन में हुई बद्दोत्तरी

कार्यशाला को बतौर मुख्यअतिथि संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री के आर्थिक सलाहकार डा. के.वी. राजू ने कहा कि पिछले दो वर्षों में बुंदेलखंड में मक्का का उत्पादन तीन गुणा अधिक बढ़ा है। उन्होंने कहा कि बुंदेलखंड में अधिकांश भूमि को कम लागत में सुधारने का कार्य किया गया है। उन्होंने कहा कि फसलों के उत्पादन में वृद्धि के लिए वैज्ञानिकों एवं छात्र-छात्राओं को मिलकर प्रयास करना होगा। सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाओं, नवीनतम तकनीकियों, आधुनिक कृषि यंत्रों के साथ-साथ गुणवत्तायुक्त बीजों को किसानों तक पहुंचाने की जरूरत है।

डा. राजू ने कहा कि पिछले पांच वर्षों में ऑयल सीड का प्रोडक्शन तीन गुणा अधिक बढ़ा है। 2017 में उत्तर प्रदेश अर्थव्यवस्था में 17वें नंबर पर था लेकिन वर्तमान समय में प्रदेश की अर्थव्यवस्था तीसरे नंबर पर है। फसल उत्पादकता एवं किसानों की आय बढ़ाने को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा चलाई जा रही विभिन्न परियोजनाओं पर विस्तार से चर्चा की। राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान लखनऊ के निदेशक डा. अजीत कुमार शासन ने कहा कि एग्रोबेक्टेरियम एक ऐसा जीवाणु है जो पौधों के साथ संबंध बनाकर उत्पादकता में सुधार करता है। इससे पौधों की वृद्धि में बढ़ावा मिलता है। फसल की उत्पादकता में वृद्धि होती है साथ ही फसलों को बीमारियों से बचाने में भी मदद करता है।


कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे कुलपति कर्नल डा. बिजेंद्र सिंह ने कहा कि फसल उत्पादन में कमी का मुख्य कारण जलवायु परिवर्तन है। जलवायु परिवर्तन के कारण कभी सूखा तो कभी अत्यधिक बारिश से फसलें नष्ट हो रहीं हैं जिसका खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ता है। अचानक तापमान में बढ़ोतरी का असर सीधे फसलों की वृद्धि पर पड़ रहा है और उपज कम हो जाती है। डा. सिंह ने कहा कि फसल उत्पादन में वृद्धि के लिए विवि स्तर पर कई तकनीकियों का प्रयोग किया जा रहा है।

ऊतक संवर्धन द्वारा फसलों का उत्पादन

बताया कि फसलों की समय से बोआई, गुणवत्तायुक्त बीजों का प्रयोग, ग्रीष्मकालीन जुताई से जलधारण क्षमता में वृद्धि, जल संचय का प्रयोग, फसलों की सीधी बोआई, खेतों में लेबलिंग विधि आदि तकनीकियों के प्रयोग से विवि फसल उत्पादन को बढ़ा रहा है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद नई दिल्ली के पूर्व उप महानिदेशक डा. टी.आर. शर्मा ने देश की बढ़ती हुई जनसंख्या को देखते हुए बताया कि अधिकतम उत्पादन के लिए ऊतक संवर्धन एक अच्छी तकनीकि साबित हो सकती है। इसके प्रयोग से किसान स्वस्थ पौधों का उत्पादन कर सकते हैं जो रोगों और कीटों से मुक्त होते हैं। उन्होंने कहा कि अगर किसान ऊतक संवर्धन द्वारा फसलों का उत्पादन करते हैं तो उनकी आय में भी वृद्धि हो सकती है। बायोटेक कंसोर्टियम इंडिया लिमिटेड नई दिल्ली की मुख्य महाप्रबंधक डा. विभा आहूजा ने कहा कि राज्यों के साथ सक्रिय सहभागिता कर बायोटेक्नोलॉजी को खेतों तक पहुंचाना होगा।


जीपीबी विभाग के विभागाध्यक्ष डा. संजीत कुमार के संयोजन में कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम के सह संयोजक के रूप में डा. विनोद कुमार ने भूमिका निभाई। अधिष्ठाता डा. साधना सिंह ने सभी अतिथियों के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम का संचालन डा. जेबा जमाल ने किया। इस मौके पर विश्वविद्यालय के समस्त अधिष्ठाता, निदेशक, शिक्षक, कर्मचारी एवं छात्र-छात्राएं मौजूद रहे।

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