Basti News: बस्ती में खाद के लिए किसान बेहाल, अधिकारी दावों में मशगूल, आधी रात से लाइन में लगे हैं अन्नदाता

Basti News: किसानों ने बताया कि उन्होंने अपने जीवन की पूंजी धान की फसल में लगा दी, लेकिन यूरिया की भारी किल्लत के कारण फसल सूखने के कगार पर है।

Amril Lal
Published on: 2 Aug 2025 7:16 PM IST
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Basti News: बस्ती जिले में इन दिनों किसान यूरिया खाद के लिए दर-दर भटक रहे हैं। समितियों पर रात 3 बजे से लंबी-लंबी लाइनें लग रही हैं लेकिन फिर भी किसानों को खाद नहीं मिल पा रही है। किसानों का आरोप है कि प्रशासनिक लापरवाही के कारण धान की फसल बर्बाद हो रही है, जबकि अधिकारी कैमरे से दूर रहकर यह कह रहे हैं कि खाद की कोई कमी नहीं है।

किसान परेशान, धान की फसल संकट में

जहां केंद्र और प्रदेश सरकार किसानों की आय दुगनी करने के वादे कर रही हैं, वहीं बस्ती में किसान भुखमरी के कगार पर पहुंचते दिख रहे हैं। किसानों ने बताया कि उन्होंने अपने जीवन की पूंजी धान की फसल में लगा दी, लेकिन यूरिया की भारी किल्लत के कारण फसल सूखने के कगार पर है। एक किसान फूट-फूटकर रो पड़ा—"सुबह तीन बजे से लाइन में लगे हैं, अभी तक खाद नहीं मिली। बहुत परेशानी हो रही है।"

किसान बोले - ना प्रशासन सुन रहा, ना अधिकारी

किसानों ने साफ आरोप लगाए कि जिले में प्रशासन की तरफ से खाद की उचित व्यवस्था नहीं की गई है। समितियों पर खाद नदारद है, लाइन में लगे किसान बार-बार लौटाए जा रहे हैं। किसानों की मानें तो कई समितियों पर खाद का अवैध भंडारण और अधिक मूल्य पर बिक्री भी चल रही है, लेकिन प्रशासन आंख मूंदे बैठा है।


अधिकारी के दावे: खाद की कोई कमी नहीं

बस्ती के अपर जिलाधिकारी प्रीतपाल सिंह चौहान ने कैमरे पर बोलने से इनकार किया लेकिन जानकारी दी कि –

चारों तहसीलों में एसडीएम, लेखपाल व कृषि विभाग के अधिकारी खाद वितरण पर निगरानी में लगाए गए हैं।

समितियों पर छापेमारी के निर्देश दिए गए हैं ताकि कोई खाद को महंगे दामों पर न बेच सके।

निजी दुकानों पर भी स्टॉक और बिक्री मूल्य की जांच के आदेश दिए गए हैं।

खाद की नई रैक आज शाम तक बस्ती पहुंचने की बात कही गई है।

किसान बोले: "दावे बहुत हैं, लेकिन ज़मीनी हकीकत कुछ और है" किसानों का कहना है कि अधिकारी सिर्फ दावे और निर्देशों की खानापूरी कर रहे हैं, लेकिन जमीन पर न कोई वितरण हो रहा, न कोई निगरानी। यदि जल्द व्यवस्था नहीं हुई तो किसानों की पूरी फसल चौपट हो जाएगी और वे कर्ज में डूब जाएंगे।

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Shashi kant gautam

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