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कर्ज में डूबे परिवार ने खाया जहर, मां-बेटी की मौत, पिता और बेटी की हालत नाजुक

बिजनौर के थाना नूरपुर के गांव टेंडरा में कर्ज से परेशान एक परिवार ने जहर खा लिया, जिसमें मां और बड़ी बेटी की मौत हो गई। पिता और छोटी बेटी की हालत गंभीर है। पुलिस मामले की जांच कर रही है। आर्थिक तंगी और साहूकारों के दबाव ने परिवार को यह कदम उठाने पर मजबूर किया।

Faisal Khan
Published on: 26 Jun 2025 12:41 PM IST (Updated on: 27 Jun 2025 12:27 AM IST)
Debt-dropped family suffers poison mother-daughter dies father and daughters condition critical
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Debt-dropped family suffers poison mother-daughter dies father and daughter's condition critical

बिजनौर के थाना नूरपुर के गांव टेंडरा में साहूकारों के कर्ज से परेशान एक परिवार ने जहर खा लिया। मां और एक बेटी की मौत हो गई, जबकि पिता और छोटी बेटी की हालत गंभीर है। पुलिस जांच में जुटी है। बिजनौर जिले के थाना नूरपुर में दर्दनाक घटना सामने आई, जहां कर्ज से परेशान एक ही परिवार के चार लोगों ने जहर खा लिया। बताया गया कि मां और एक बेटी की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि पिता और दूसरी बेटी की हालत नाजुक बनी हुई है।


यह मामला नूरपुर क्षेत्र के टेंडरा गांव का है, जहां साहूकारों से कर्ज लेकर जूझ रहे पुखराज के परिवार ने जहर खाकर जान देने की कोशिश की। इनमें मां रमेशिया और बड़ी बेटी अनीता की मौत हो गई जबकि पिता पुखराज और छोटी बेटी सुनीता को हायर सेंटर रेफर किया गया है।


जानकारी के अनुसार परिवार लंबे समय से साहूकारों से लिए कर्ज और लगातार हो रहे दबाव से मानसिक तनाव में था। आर्थिक तंगी ने परिवार को इतना तोड़ दिया कि सामूहिक जहर खाने जैसा कदम उठाना पड़ा। घटना की सूचना मिलते ही पुलिस के आला अधिकारी मौके पर पहुंचे। शवों को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया है और जहर खाने के कारणों की विस्तृत जांच शुरू हो गई है।

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Harsh Sharma

Harsh Sharma

Content Writer

हर्ष नाम है और पत्रकारिता पेशा शौक बचपन से था, और अब रोज़मर्रा की रोटी भी बन चुका है। मुंबई यूनिवर्सिटी से मास कम्युनिकेशन में ग्रेजुएशन किया, फिर AAFT से टीवी पत्रकारिता की तालीम ली। करियर की शुरुआत इंडिया न्यूज़ से की, जहां खबरें बनाने से ज़्यादा, उन्हें "ब्रेकिंग" बनाने का हुनर सीखा। इस समय न्यूज़ ट्रैक के लिए खबरें लिख रहे हैं कभी-कभी संजीदगी से, और अक्सर सिस्टम की संजीदगी पर हल्का-फुल्का कटाक्ष करते हुए। एक साल का अनुभव है, लेकिन जज़्बा ऐसा कि मानो हर प्रेस कॉन्फ्रेंस उनका पर्सनल डिबेट शो हो।

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