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Chandauli News: मनरेगा मजदूरों के हक के लिए अजय राय की हुंकार, जनप्रतिनिधियों से संसद-विधानसभा में आवाज उठाने की अपील
Chandauli News: ऑल इंडिया पीपुल्स फोरम के राज्य कार्य समिति सदस्य अजय राय ने जनप्रतिनिधियों से अपील की है कि वे मनरेगा मजदूरों की लम्बित मजदूरी और पक्के कार्यों के भुगतान के मुद्दे को संसद और विधानसभा में पुरजोर तरीके से उठाएं।
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Chandauli News: उत्तर प्रदेश के चंदौली जिले में मनरेगा मजदूरी का संकट गहराया, भुगतान के लिए दर-दर भटक रहे गरीब। ऑल इंडिया पीपुल्स फोरम (एआईपीएफ) के राज्य कार्य समिति सदस्य अजय राय ने चंदौली के जनप्रतिनिधियों से अपील की है कि वे मनरेगा मजदूरों की लम्बित मजदूरी और पक्के कार्यों के भुगतान के मुद्दे को संसद और विधानसभा में पुरजोर तरीके से उठाएं। उन्होंने सपा सांसद से सवाल किया कि चंदौली में मनरेगा घोटाले पर जांच की मांग करने से पहले उन्हें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि काम करने के बावजूद मजदूरों को कई महीनों से उनकी मजदूरी क्यों नहीं मिली है।
दो साल से अटका पक्के कार्यों का भुगतान, गांवों का विकास बाधित
अजय राय ने कहा कि मनरेगा योजना के तहत गांवों में जो भी पक्के कार्य हुए हैं, उनका पैसा करीब दो साल से बकाया है। गरीब प्रधान कर्ज लेकर काम कराकर परेशान हैं और गांवों का विकास पूरी तरह से रुक गया है। उन्होंने यह भी कहा कि मजदूरों को मनरेगा के तहत पर्याप्त काम नहीं मिल रहा है।
जनप्रतिनिधियों की मंशा पर सवाल, सुप्रीम कोर्ट के आदेश की याद दिलाई
अजय राय ने जनप्रतिनिधियों की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा कि अगर वे चाहते तो मनरेगा मजदूरों की मजदूरी और पक्के कार्यों के भुगतान की मांग संसद में उठा सकते थे, लेकिन उनकी असली मंशा कुछ और ही लगती है। उन्होंने कहा कि मनरेगा घोटाले की जांच के नाम पर सिर्फ कोरम पूर्ति की जा रही है।
शीर्ष अदालत का स्पष्ट आदेश, मजदूरी में देरी अस्वीकार्य
अजय राय ने 2018 में एक एनजीओ द्वारा दायर रिट पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का जिक्र करते हुए कहा कि मजदूरों को काम पूरा होने के 15 दिनों के भीतर अपना भुगतान पाने का अधिकार है। यदि कोई कमी है, तो यह राज्य सरकारों और ग्रामीण विकास मंत्रालय की जिम्मेदारी है। उन्होंने शीर्ष अदालत के आदेश को दोहराया कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के तहत मजदूरी के भुगतान में कोई भी देरी स्वीकार्य नहीं है और इसमें किसी भी तरह की लालफीताशाही का बहाना नहीं बनाया जा सकता है।
केंद्र सरकार को तत्काल कार्रवाई करने का निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में केंद्र सरकार को ग्रामीण विकास मंत्रालय के माध्यम से राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों के साथ परामर्श करके श्रमिकों की मजदूरी और मुआवजे के भुगतान के लिए तत्काल एक समयबद्ध कार्यक्रम तैयार करने का निर्देश दिया था। न्यायालय ने स्पष्ट रूप से कहा था कि कानून और अनुसूची दो के तहत एक मजदूर काम किए जाने की तारीख से दो सप्ताह के भीतर अपना मेहनताना पाने का हकदार है, और यदि भुगतान में देरी होती है तो वह मुआवजे का भी हकदार होगा।
नौकरशाही की देरी बर्दाश्त नहीं, मनरेगा को प्रभावी बनाने की मांग
अजय राय ने कहा कि नौकरशाही की ओर से होने वाली देरी या लालफीताशाही मजदूरों को मजदूरी के भुगतान से इनकार करने का बहाना नहीं हो सकती। उन्होंने ग्रामीण विकास मंत्रालय से मनरेगा अधिनियम को और अधिक प्रभावशाली बनाने के लिए आवश्यक कदम उठाने और सरकार से पर्याप्त बजट आवंटित करने की मांग की ताकि मजदूरों को समय पर उनका मेहनताना मिल सके और गांवों का विकास सुचारू रूप से चल सके।
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