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Chandauli News: नौगढ़ में सरकारी उपेक्षा का दंश, आपदा पीड़ित बेघर, इंतज़ार कब तक?
Chandauli News: पिछली बरसात में कई लोगों के आशियाने दैवी आपदा की भेंट चढ़ गए थे। हैरानी की बात यह है कि कुछ पीड़ितों को महज चार हज़ार रुपये की सहायता राशि देकर इतिश्री कर ली गई
Chandauli News
Chandauli News: चंदौली जिले के सुदूर वनांचल और अति पिछड़े नौगढ़ क्षेत्र में सरकारी तंत्र की घोर लापरवाही और उदासीनता का खामियाजा यहां के निवासियों को भुगतना पड़ रहा है। दैवी आपदा में गिरे मकानों की दुर्दशा और सहायता राशि के नाम पर हो रही मनमानी ने स्थानीय लोगों के सब्र का बांध तोड़ दिया है। यह हाल तब है जब पिछली बरसात बीत चुकी है और नई वर्षा ऋतु दस्तक दे रही है, लेकिन सैकड़ों परिवार आज भी बेघर हैं और उन्हें सरकारी मदद का कोई अता-पता नहीं है।
आपदा पीड़ितों की बदहाली: किसी को चार हज़ार, कोई खाली हाथ
पिछली बरसात में कई लोगों के आशियाने दैवी आपदा की भेंट चढ़ गए थे। हैरानी की बात यह है कि कुछ पीड़ितों को महज चार हज़ार रुपये की सहायता राशि देकर इतिश्री कर ली गई, जबकि एक बड़ी संख्या ऐसी भी है जिसे आज तक एक पैसा भी नहीं मिला। यह विसंगति नौगढ़ में सरकारी व्यवस्था के खोखले दावों की पोल खोलती है। जिनके पास पहले से ही कुछ नहीं था, उनका सब कुछ छिन जाने के बाद भी उन्हें दर-दर भटकना पड़ रहा है।
मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री आवास योजनाएं भी बेअसर
सरकार की महत्वाकांक्षी मुख्यमंत्री आवास योजना और प्रधानमंत्री आवास योजना भी नौगढ़ में सफेद हाथी साबित हो रही हैं। पिछली बरसात में जिन लोगों के मकान गिरे थे, उनमें से अधिकांश को अभी तक इन योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाया है। यह स्थिति तब है जब सरकार हर गरीब को छत देने का दावा करती है। सवाल उठता है कि जब ज़रूरतमंदों तक मदद नहीं पहुंच रही, तो इन योजनाओं का औचित्य क्या है?
सरकारी तंत्र की संवेदनहीनता: बड़े हादसे का इंतज़ार?
स्थानीय निवासियों का आरोप है कि नौगढ़ में कोई भी कार्य तब तक नहीं होता जब तक कोई बड़ा हादसा न हो जाए। यह दर्शाता है कि यहां के संबंधित अधिकारी और कर्मचारी कितने संवेदनहीन हो चुके हैं। वे सरकार की जनकल्याणकारी मंशा को पलीता लगा रहे हैं और अपनी मनमानी से जनता को परेशान कर रहे हैं। क्या नौगढ़ में सरकार को किसी बड़े हादसे का इंतजार है ताकि उसके बाद ही कोई ठोस कदम उठाया जाए? यह एक गंभीर सवाल है जिसका जवाब जिला प्रशासन को देना होगा। नौगढ़ के इन बेघर परिवारों को न्याय कब मिलेगा, यह देखना बाकी है।
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