चंदौली में पितृपक्ष का शुभारंभ, गंगा तट पर तर्पण कर श्रद्धालुओं ने पूर्वजों को दी श्रद्धांजलि

Chandauli News: नरौली घाट पर श्रद्धालुओं ने तर्पण कर पितरों का आशीर्वाद लिया, पंडित मुन्ना मिश्रा ने बताया पितृदोष से मुक्ति और सुख-समृद्धि का महत्व

Sunil Kumar
Published on: 8 Sept 2025 4:01 PM IST
चंदौली में पितृपक्ष का शुभारंभ, गंगा तट पर तर्पण कर श्रद्धालुओं ने पूर्वजों को दी श्रद्धांजलि
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Chandauli News: पितृपक्ष का आगमन हुआ, और सोमवार को प्रथम दिवस, मानो प्रकृति भी पितरों के स्वागत में मौन हो गई हो। धानापुर के नरौली घाट पर गंगा की शांत धारा में दर्जनों श्रद्धालुओं ने अपने पूर्वजों के प्रति श्रद्धा और तर्पण का भाव प्रकट किया। यह सिर्फ एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं था, बल्कि पीढ़ियों के बीच प्रेम और सम्मान की एक अटूट कड़ी थी, जहाँ जीवित अपनी दिवंगत आत्माओं को याद कर रहे थे।

यह वार्षिक अनुष्ठान, जिसे पंडित मुन्ना मिश्रा के कुशल नेतृत्व में सम्पन्न किया गया, एक घंटे तक चला। इस दौरान गंगा की नाभि-मात्र जलधारा में खड़े होकर श्रद्धालुओं ने जौ, चावल, काले तिल, और पुष्पों के साथ कुश से बनी पैंती, त्रिकुश व मोटक का उपयोग किया। हर एक बूंद जल जो गंगा में गिरा, वह किसी पूर्वज के प्रति मौन श्रद्धांजलि थी, एक भावपूर्ण समर्पण था जो हर साल इस पावन अवसर पर किया जाता है।

पितरों का आशीर्वाद और पितृदोष से मुक्ति

पंडित मुन्ना मिश्रा ने इस अनुष्ठान के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि तर्पण एक ऐसा दुर्लभ अवसर है जो व्यक्ति को वर्ष में एक बार अपने पूर्वजों के प्रति अपना आभार व्यक्त करने का मौका देता है। उनका मानना है कि पंद्रह दिनों तक चलने वाली यह पूजा व्यक्ति को न केवल पितरों की कृपा का पूरा-पूरा लाभ देती है, बल्कि परिवार में साल भर सुख, शांति, और समृद्धि का वास भी सुनिश्चित करती है।

उन्होंने यह भी बताया कि यह क्रिया पितृदोष से मुक्ति पाने का एक शक्तिशाली साधन है, जिसे एक बड़ा दोष माना जाता है। पितृदोष के प्रकोप से व्यक्ति का जीवन उथल- पुथल से भर सकता है। तर्पण से व्यक्ति इस दोष से मुक्ति पाकर अपने जीवन को एक नई दिशा दे सकता है। पितरों के अलावा, इस अनुष्ठान में देवताओं, ऋषियों और यम को भी तर्पण दिया जाता है, जो इस क्रिया की पवित्रता और व्यापकता को दर्शाता है।

श्रद्धा और मौन प्रार्थना

अनुष्ठान के अंत में, सभी तर्पणकर्ताओं ने दिवंगत आत्माओं की शांति के लिए दो मिनट का मौन रखा। विशेष रूप से, स्वर्गीय नंदू रस्तोगी और स्वर्गीय बद्री सिंह की आत्मा की शांति के लिए ईश्वर से प्रार्थना की गई। उनके सगे-संबंधियों ने उन्हें भी तर्पण कर इस श्रद्धांजली को और भी भावपूर्ण बना दिया।

नए घाट की सुविधा और आभार

नरौली घाट पर पक्का घाट बन जाने से श्रद्धालुओं को इस बार काफी सुविधा हुई, जिससे उनके चेहरे पर खुशी और संतुष्टि साफ झलक रही थी। उन्होंने इस कार्य के लिए पूर्व सांसद और वर्तमान सैयदराजा विधायक सुशील सिंह का आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर भरत रस्तोगी, पप्पू पांडेय, वीरेंद्र मौर्य, राजा यादव सहित कई अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे, जिन्होंने इस पवित्र अनुष्ठान में भाग लिया।

यह आयोजन सिर्फ एक खबर नहीं, बल्कि श्रद्धा, प्रेम और सम्मान की एक जीवंत गाथा है जो हमें हमारी जड़ों से जोड़ती है। यह दिखाता है कि कैसे आधुनिकता की दौड़ में भी हम अपनी परंपराओं को सहेजकर रखे हुए हैं, और कैसे पूर्वजों का आशीर्वाद हमारे जीवन को आलोकित करता है।

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