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Chandauli News: चंदौली पुलिस का 'ऑपरेशन कन्विक्शन' जारी, चार दोषियों को मिली सज़ा
Chandauli News: चंदौली पुलिस के ‘ऑपरेशन कन्विक्शन’ के तहत चार आरोपियों को अलग-अलग मामलों में सजा
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Chandauli News: चंदौली जिले में पुलिस ने न्याय दिलाने की अपनी मुहिम, 'ऑपरेशन कन्विक्शन' को और भी मज़बूत कर दिया है। यह अभियान उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक के निर्देशों पर चलाया जा रहा है। इस अभियान के तहत, पुलिस वैज्ञानिक ढंग से जाँच करती है, पुख्ता सबूत जुटाती है और लोक अभियोजक के साथ मिलकर अदालत में मामलों की मज़बूती से पैरवी करती है। इसी का नतीजा है कि अब अपराधियों को जल्द से जल्द सज़ा मिल रही है।
हाल ही में, इस अभियान की वजह से चार अलग-अलग मामलों में चार दोषियों को अदालत ने सज़ा सुनाई है। ये मामले कई साल पुराने थे, लेकिन पुलिस और न्यायपालिका की कड़ी मेहनत से इन पर फैसला आ सका। इन मामलों में गोकशी, पशु क्रूरता और मादक पदार्थों की तस्करी जैसे गंभीर अपराध शामिल हैं। यह दिखाता है कि पुलिस कितनी लगन से काम कर रही है ताकि कोई भी अपराधी कानून के शिकंजे से बच न सके।
पुलिस अधीक्षक आदित्य लांग्हे और अपर पुलिस अधीक्षक अनंत चंद्रशेखर के नेतृत्व में, पुलिस की मॉनिटरिंग सेल, जिसमें निरीक्षक मुकेश तिवारी और एपीओ विपिन कुमार जैसे अधिकारी शामिल हैं, ने इन मामलों में अहम भूमिका निभाई। उनकी प्रभावी पैरवी और गवाहों के पुख्ता बयानों ने न्याय की जीत सुनिश्चित की। यह खबर इन सभी मामलों का विस्तृत विवरण देती है, जिससे पता चलता है कि किस तरह न्याय व्यवस्था की गति को तेज़ किया जा रहा है।
मामला 1: गोकशी और पशु क्रूरता का दोषी
साल 2012 में, कंदवा थाना क्षेत्र में गोकशी और पशु क्रूरता निवारण अधिनियम के तहत एक मामला दर्ज किया गया था। यह मामला भगवान दास उर्फ पिंटू कुमार नामक व्यक्ति के खिलाफ था। उस पर धारा 3/5ए/8 गोवध निवारण अधिनियम और 11 पशु क्रूरता निवारण अधिनियम के तहत आरोप लगाए गए थे।मामले की जांच बहुत सावधानी से की गई। पुलिस ने वैज्ञानिक तरीके से सबूत इकट्ठा किए और हर छोटे-बड़े पहलू पर ध्यान दिया। इसके बाद, मामला अदालत में पहुंचा, जहाँ पुलिस ने पूरे सबूतों के साथ अपनी बात रखी। हेड कॉन्स्टेबल दलीप राम, जो इस मामले के पैरोकार थे, ने अदालत में पुलिस की तरफ से प्रभावी ढंग से पैरवी की। गवाहों ने भी सच बताया, जिससे मामला और भी मज़बूत हो गया।
इस लंबी कानूनी प्रक्रिया के बाद, आखिरकार 1 सितंबर 2025 को, माननीय न्यायालय की पीठासीन अधिकारी इंदूरानी (सिविल जज जू0डी0/जे0एम0 चंदौली) ने अपना फैसला सुनाया। उन्होंने दोषी भगवान दास उर्फ पिंटू कुमार को दोषी ठहराया। उसे 10 दिन की जेल की सज़ा सुनाई गई, जो उसने पहले ही काट ली थी। इसके अलावा, अदालत उठने तक की सज़ा और 5000 रुपये का जुर्माना भी लगाया गया। अगर वह यह जुर्माना नहीं भरता है, तो उसे 10 दिन की अतिरिक्त जेल काटनी होगी। यह फैसला साफ दिखाता है कि पुराने से पुराने मामले भी न्याय से बच नहीं सकते।
मामला 2: एक और गोकशी के दोषी को सज़ा
यह मामला साल 2004 का है, जो चंदौली थाने में दर्ज किया गया था। इस मामले में, शमीम खां नामक एक व्यक्ति के खिलाफ गोकशी और पशु क्रूरता के आरोप लगाए गए थे। उसके खिलाफ अपराध संख्या 49/2004 के तहत धारा 3/5ए/8 गोवध निवारण अधिनियम और 11 पशु क्रूरता निवारण अधिनियम के तहत मुकदमा चलाया गया।इस मामले की पैरवी के लिए भी पुलिस की टीम ने कड़ी मेहनत की। हेड कॉन्स्टेबल अजय कुमार, जो इस केस के पैरोकार थे, ने लोक अभियोजक के साथ मिलकर अदालत में प्रभावी ढंग से अपनी बात रखी। उन्होंने सारे सबूतों और गवाहों के बयानों को अदालत के सामने पेश किया, जिससे आरोपी के खिलाफ पुख्ता मामला बन गया।
1 सितंबर 2025 को, माननीय न्यायिक मजिस्ट्रेट, चंदौली, ने इस मामले में फैसला सुनाया। उन्होंने शमीम खां को दोषी पाया और उसे जेल में बिताई गई अवधि के लिए सज़ा दी। इसके अलावा, उस पर 5000 रुपये का जुर्माना भी लगाया गया। यदि वह इस जुर्माने का भुगतान नहीं करता है, तो उसे 3 दिन की अतिरिक्त कारावास की सज़ा भुगतनी होगी। यह फैसला यह साबित करता है कि चाहे आरोपी किसी भी जिले या राज्य का हो, कानून उसे पकड़ ही लेता है।
मामला 3: 30 साल पुराने एनडीपीएस केस का फैसला
यह मामला 1995 का है, जो मुगलसराय (अब दीन दयाल उपाध्याय नगर) थाने में दर्ज किया गया था। यह एक एनडीपीएस (मादक पदार्थ) से जुड़ा मामला था, जिसमें दुर्गा प्रसाद गुप्ता नामक व्यक्ति पर आरोप लगाए गए थे। उसके खिलाफ अपराध संख्या 36/1995 के तहत धारा 8/21 एनडीपीएस एक्ट के तहत मुकदमा चलाया गया।
यह केस बहुत पुराना था, लेकिन पुलिस ने इसे बंद नहीं किया। हेड कॉन्स्टेबल राजेश राय, जो इस केस के पैरोकार थे, ने इस मामले में भी कड़ी पैरवी की। उन्होंने वर्षों पुराने रिकॉर्ड्स और सबूतों को फिर से खंगाला और गवाहों के साथ मिलकर मामले को अदालत में पेश किया।
2 सितंबर 2025 को, माननीय न्यायिक मजिस्ट्रेट, चंदौली, ने इस मामले में फैसला सुनाया। उन्होंने दुर्गा प्रसाद गुप्ता को दोषी करार दिया। उसे जेल में बिताई गई अवधि की सज़ा दी गई और 5000 रुपये का जुर्माना भी लगाया गया। अगर वह जुर्माना नहीं भरता है, तो उसे 3 दिन की अतिरिक्त जेल काटनी होगी। यह फैसला दिखाता है कि कानून की प्रक्रिया धीमी हो सकती है, लेकिन न्याय जरूर मिलता है।
मामला 4: एक और एनडीपीएस केस में सजा
यह मामला भी एनडीपीएस एक्ट से संबंधित था और 2006 में चंदौली थाने में दर्ज किया गया था। इस मामले में बचाऊ हरिजन नामक व्यक्ति पर धारा 8/20 एनडीपीएस एक्ट के तहत आरोप लगाए गए थे।इस मामले में भी, पुलिस की मॉनिटरिंग सेल ने शानदार काम किया। हेड कॉन्स्टेबल अजय कुमार ने इस मामले की भी प्रभावी ढंग से पैरवी की। उन्होंने सारे सबूतों और गवाहों के बयानों को मज़बूती से अदालत के सामने रखा।
2 सितंबर 2025 को, माननीय मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, चंदौली, श्रीमती इशरत परवीन फारुकी ने अपना फैसला सुनाया। उन्होंने बचाऊ हरिजन को दोषी ठहराया और उसे अदालत उठने तक की सज़ा और 2000 रुपये का जुर्माना लगाया। यदि वह जुर्माना नहीं भरता है, तो उसे 2 दिन की अतिरिक्त जेल की सज़ा भुगतनी होगी। यह भी दिखाता है कि भले ही छोटे अपराध हों, कानून किसी को नहीं बख्शता।
अपराधियों के लिए चेतावनी
चंदौली पुलिस का 'ऑपरेशन कन्विक्शन' सिर्फ एक अभियान नहीं, बल्कि न्याय सुनिश्चित करने की एक नई पहल है। इन फैसलों से यह साफ हो जाता है कि चाहे अपराध कितना भी पुराना क्यों न हो, अगर पुलिस और न्यायपालिका मिलकर काम करें तो अपराधी बच नहीं सकते।पुलिस महानिदेशक के मार्गदर्शन में, चंदौली पुलिस वैज्ञानिक जाँच, पुख्ता सबूतों के संकलन और प्रभावी पैरवी के दम पर अपराधों पर अंकुश लगाने की दिशा में एक नया कीर्तिमान स्थापित कर रही है। यह न सिर्फ अपराधियों के लिए एक कड़ी चेतावनी है, बल्कि आम जनता में कानून और न्याय व्यवस्था के प्रति विश्वास को भी बढ़ा रहा है।
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