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संघर्ष समिति की सीएम योगी से अपील, कहा ज्वाइंट वेंचर से प्रदेश में महंगी होगी बिजली
Electricity Privatization: उत्तर प्रदेश में ओबरा और अनपरा बिजली परियोजनाओं को लेकर विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने मुख्यमंत्री योगी से ज्वाइंट वेंचर की बजाय राज्य विद्युत उत्पादन निगम को सौंपने की अपील की है।
Electricity Privatization
Electricity Privatization: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने ओबरा और अनपरा में नई बिजली परियोजनाओं को ज्वाइंट वेंचर के बजाय राज्य विद्युत उत्पादन निगम को सौंपने की मांग की है। समिति ने दावा किया कि ऐसा करने से बिजली की लागत में 35-40 पैसे प्रति यूनिट तक की कमी आएगी। यह मांग मध्य प्रदेश सरकार द्वारा हाल ही में लिए गए एक निर्णय के बाद उठाई गई है। उसने अमरकंटक बिजली घर में ज्वाइंट वेंचर को समाप्त कर दिया है। नई इकाई को अपने उत्पादन निगम को सौंपने का फैसला किया है।
मध्य प्रदेश के निर्णय का उदाहरण
संघर्ष समिति ने मध्य प्रदेश सरकार के 28 मार्च 2023 के फैसले का हवाला दिया है। उसमें अमरकंटक ताप बिजली घर में 660 मेगावाट की नई इकाई एसईसीएल (कोल इंडिया लिमिटेड) के साथ ज्वाइंट वेंचर में लगाने का निर्णय लिया गया था। हालांकि ढाई साल बाद मध्य प्रदेश के बिजली कर्मचारियों के विरोध के चलते कैबिनेट ने निर्णय को संशोधित किया, अब परियोजना को राज्य के विद्युत उत्पादन निगम को देने का फैसला किया है।
उत्तर प्रदेश में भी समान स्थिति
संघर्ष समिति ने बताया कि उत्तर प्रदेश में भी मध्य प्रदेश जैसी ही स्थिति है। 27 जुलाई 2023 को, यूपी कैबिनेट ने 2x800 मेगावाट की ओबरा डी और 2x800 मेगावाट की अनपरा ई परियोजनाओं को एनटीपीसी के साथ ज्वाइंट वेंचर में लगाने का निर्णय लिया था। संघर्ष समिति ने कहा कि एक ही परिसर में राज्य के उत्पादन निगम की पहले से चल रही इकाइयों के साथ ज्वाइंट वेंचर में नई परियोजनाएं लगाना पूरे देश में कहीं नहीं हुआ है, जो विवाद का कारण है।
अभी परिचालन संबंधी समस्याएं
संघर्ष समिति ने मध्य प्रदेश सरकार द्वारा ज्वाइंट वेंचर रद्द करने के पीछे बताए गए छह मुख्य बिंदुओं का उल्लेख किया। उसने बताया कि परियोजनाएं राज्य के उत्पादन निगम द्वारा बनाई जाती हैं, तो कई साझा सुविधाओं (common facilities) के कारण उत्पादन लागत 35-40 पैसे प्रति यूनिट तक कम हो जाएगी। समिति ने आगे कहा कि एक परिसर में दो अलग स्वामित्व वाली परियोजनाएं होने से भविष्य में परिचालन संबंधी दिक्कतें और कानूनी विवाद उत्पन्न हो सकते हैं।
कोयला लिंकेज और राख निपटान की चुनौती
संघर्ष समिति ने बताया कि ओबरा डी और अनपरा ई परियोजनाओं के लिए कोयला खदान के पास से लिंकेज नहीं मिला है। इससे कोयले को 500-700 किलोमीटर दूर से लाना पड़ेगा, जिससे ज्वाइंट वेंचर में बिजली की लागत बहुत बढ़ जाएगी। इसके अलावा एक ही परिसर में राख का निपटान बड़ी चुनौती होगी। समिति ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से तत्काल मामले में हस्तक्षेप करने की अपील की है। मध्य प्रदेश सरकार ने अपना निर्णय बदला, वही स्थितियां उत्तर प्रदेश में भी हैं।
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