बिजली निजीकरण का विफल प्रयोग उत्तर प्रदेश पर न थोपा जाए, कर्मचारियों की मुख्यमंत्री से अपील

Electricity Privatization: निजीकरण के खिलाफ बिजली कर्मचारी लगातार 270वें दिन आंदोलनरत हैं। रविवार को अवकाश के दिन जनसंपर्क अभियान चलाया।

Prashant Vinay Dixit
Published on: 24 Aug 2025 5:50 PM IST
बिजली निजीकरण का विफल प्रयोग उत्तर प्रदेश पर न थोपा जाए, कर्मचारियों की मुख्यमंत्री से अपील
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Electricity Privatization

Electricity Privatization: विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से अपील कर कहा कि राज्य में बिजली निजीकरण को रोक दिया जाएं। सीमित ने कहा कि यह प्रयोग देश के दूसरे राज्यों में बुरी तरह विफल रहा है। इसे प्रदेश की गरीब जनता पर नहीं थोपा जाना चाहिए। निजीकरण के खिलाफ बिजली कर्मचारी लगातार 270वें दिन आंदोलनरत हैं। रविवार को अवकाश के दिन जनसंपर्क अभियान चलाया।

प्रदेश मेें रिकॉर्ड बिजली आपूर्ति

संघर्ष समिति ने मुख्यमंत्री से कहा कि उनके मार्गदर्शन में बिजली कर्मचारियों ने रिकॉर्ड बिजली आपूर्ति की है। अब लाइन फॉल्ट को मानक से कम कर दिया है। महाकुंभ के दौरान 65 दिनों तक लगातार बिजली दी और भीषण गर्मी में बेहतर आपूर्ति बनाए रखी है। संघर्ष समिति ने कहा कि बिजली के क्षेत्र में निजीकरण का प्रयोग एक विफल मॉडल है। ओडिशा का 1999 में बिजली वितरण का निजीकरण किया गया, जो एक साल में विफल हो गया। अमेरिकी कंपनी एईएस काम छोड़कर भाग गई। 2015 में रिलायंस पावर का लाइसेंस खराब प्रदर्शन के कारण रद्द कर दिया गया।

देश में निजीकरण सफल नहीं

टाटा पावर को 2020 में जिम्मेदारी दी गई, लेकिन 15 जुलाई 2025 को ओडिशा नियामक आयोग ने खुद संज्ञान लेते हुए खराब प्रदर्शन के लिए टाटा की चारों कंपनियों को नोटिस जारी किया है। संघर्ष समिति ने बताया कि बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गया, भागलपुर और समस्तीपुर में एक साल बाद ही निजीकरण रद्द कर दिया यह पूरी तरह असफल रहा था। महाराष्ट्र के औरंगाबाद, जलगांव, नागपुर और झारखंड के रांची, जमशेदपुर आदि शहर का प्रयोग निरस्त किया जा चुका है।

प्रदेश में निजीकरण सफल नहीं

समिति ने कहा कि प्रदेश में निजीकरण का प्रयोग सफल नहीं रहा है। ग्रेटर नोएडा में किसानों और उपभोक्ताओं की शिकायतें आम हैं, सरकार खुद निजी कंपनी का लाइसेंस रद्द करने के लिए कोर्ट में मुकदमा लड़ रही है। आगरा में टोरेंट पावर समझौते का उल्लंघन कर रही है। संघर्ष समिति ने कहा कि निजी कंपनियां मुनाफे के लिए काम करती हैं। इसलिए आम जनता के हित में निजीकरण के प्रयोग को रद्द किया जाए। कर्मचारियों ने जनसंपर्क कर लोगों को निजीकरण से होने वाले नुकसान के बारे में जानकारी दी है।

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