बिजली निजीकरण का निर्णय रद्द करने की मांग, चंडीगढ़ मॉडल को बताया विफल

Electricity Privatization: बिजली निजीकरण का कदम उठाने का कोई औचित्य नहीं है। समिति ने बताया कि चंडीगढ़ में निजीकरण के बाद मात्र छह महीनों में बिजली आपूर्ति पूरी तरह से पटरी से उतर गई है।

Prashant Vinay Dixit
Published on: 18 Aug 2025 9:58 PM IST
Electricity Privatization in UP
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Electricity Privatization in UP (Photo: Social Media)

Electricity Privatization: विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने राज्य सरकार से विद्युत वितरण निगमों के प्रस्तावित बिजली निजीकरण को रद्द करने की मांग की है। समिति ने तर्क दिया कि चंडीगढ़ और ओडिशा सहित देश के कई हिस्सों में बिजली के निजीकरण का प्रयोग पूरी तरह से विफल रहा है। समिति ने सीएम योगी को संबोधित करते हुए कहा कि जब चंडीगढ़ में हाल ही में हुआ बिजली का निजीकरण विफल रहा है।

बिजली निजीकरण चंडीगढ़ का मॉडल

उत्तर प्रदेश में बिजली निजीकरण का कदम उठाने का कोई औचित्य नहीं है। समिति ने बताया कि चंडीगढ़ में निजीकरण के बाद मात्र छह महीनों में बिजली आपूर्ति पूरी तरह से पटरी से उतर गई है। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने बताया कि पूर्वांचल और दक्षिणांचल निगमों के निजीकरण के लिए बनाए गए दस्तावेज़ (RFP) में चंडीगढ़ को एक "टेस्ट केस" के रूप में दिखाया गया था। हालांकि चंडीगढ़ में 1 फरवरी 2025 को निजी कंपनी को सौंपे जाने के बाद बिजली कटौती आम समस्या हो गई है, जो अक्सर दो से छह घंटे तक होती है।

बड़े नुकसान की निजीकरण से आशंका

समिति ने बताया कि इस गर्मी में लोग बिना बिजली के परेशान हो रहे हैं। समिति ने चंडीगढ़ की मेयर हरप्रीत कौर बाबला और चंडीगढ़ रेजिडेंट एसोसिएशन वेलफेयर फेडरेशन के अध्यक्ष हितेश पुरी के बयानों का भी हवाला दिया है। उनके अनुसार बिजली निजीकरण के बाद आम उपभोक्ताओं की शिकायतें सुनने वाला कोई नहीं है। निजी कंपनी की हेल्पलाइन निष्क्रिय पड़ी है। संघर्ष समिति ने आरोप लगाया कि प्रदेश में पूर्वांचल और दक्षिणांचल निगमों की लगभग 1 लाख करोड़ रुपये की संपत्तियों को बेचने के लिए चंडीगढ़ मॉडल की तर्ज़ पर मात्र 6500 करोड़ रुपये की रिजर्व प्राइस रखी गई है।

बिजली निजीकरण के पुराने अनुभव

समिति ने राज्य सरकार को आगरा और ग्रेटर नोएडा में बिजली निजीकरण के पुराने अनुभवों की समीक्षा करने की सलाह दी है। संघर्ष समिति ने बताया कि ग्रेटर नोएडा में निजी कंपनी का प्रदर्शन खराब रहा है। उत्तर प्रदेश सरकार खुद निजीकरण का करार रद्द कराने के लिए सर्वोच्च न्यायालय में मुकदमा लड़ रही है। समिति के अनुसार आगरा में टोरेंट पावर कंपनी ने पावर कॉर्पोरेशन का 2200 करोड़ रुपये का राजस्व हड़प लिया है, जिससे कॉर्पोरेशन को 10,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। समिति के पदाधिकारियों ने बताया कि निजीकरण के विरोध में प्रदेश भर में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किए जा रहे हैं।

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