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बिजली कर्मचारियों ने प्रदेश भर में काली पट्टी बांधकर किया काम, निजीकरण का टेंडर निकलते ही जेल भरो आंदोलन की चेतावनी
Lucknow News: समिति ने कहा कि विज्ञापन में निजीकरण को विश्वसनीय प्रबंधन बताया गया है, जो ऊर्जा निगमों में विगत 22 वर्षों से कार्यरत आईएएस अधिकारियों की विफलता को उजागर करता है। संघर्ष समिति ने पूछा कि अगर आईएएस प्रबंधन असफल रहा है, तो उन्हीं के माध्यम से निजीकरण में सफलता की क्या गारंटी है ?
Employees protest against electricity privatization (Photo: Social Media)
Lucknow News: उत्तर प्रदेश में बिजली वितरण निगमों के निजीकरण के खिलाफ विरोध तेज होता जा रहा है। शनिवार को विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति उत्तर प्रदेश के आह्वान पर पूरे प्रदेश मे काली पट्टी बांधकर विरोध प्रदर्शन किया। इस दौरान बिजली कर्मचारियों, अभियंताओं और तकनीकी कर्मचारियों ने दिनभर काली पट्टी बांधकर काम किया और निजीकरण के खिलाफ प्रांतव्यापी विरोध दर्ज कराया। प्रदेश के सभी जनपदों और परियोजनाओं में विरोध प्रदर्शन आयोजित किए गए
जेल भरो आंदोलन की तैयारी तेज
इस प्रदर्शन के दौरान कर्मचारियों ने निजीकरण नहीं सहेंगे जैसे नारों के साथ सरकार के फैसले का विरोध किया। इस प्रदर्शन के दौरान संघर्ष समिति द्वारा प्रस्तावित जेल भरो आंदोलन की तैयारियों को अंतिम रूप दिया गया। बड़ी संख्या में बिजली कर्मचारियों ने स्वेच्छा से जेल जाने के लिए पंजीकरण कराया और आंदोलन को निर्णायक बनाने का संकल्प लिया। संघर्ष समिति ने उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण को लेकर दिए गए विज्ञापन पर तीखी प्रतिक्रिया दी।
आईएएस अधिकारियों की विफलता
समिति ने कहा कि विज्ञापन में निजीकरण को विश्वसनीय प्रबंधन बताया गया है, जो ऊर्जा निगमों में विगत 22 वर्षों से कार्यरत आईएएस अधिकारियों की विफलता को उजागर करता है। संघर्ष समिति ने पूछा कि अगर आईएएस प्रबंधन असफल रहा है, तो उन्हीं के माध्यम से निजीकरण में सफलता की क्या गारंटी है ? समिति ने ऊर्जा मंत्री अरविंद कुमार शर्मा के बयान पर कटाक्ष किया, जिसमें उन्होंने कहा था कि बेहतर प्रबंधन और तकनीक के लिए निजीकरण किया जा रहा है। संघर्ष समिति ने निजीकरण प्रक्रिया को भ्रष्टाचार से ग्रसित बताया।
निजी घरानों से मिलीभगत का आरोप
उन्होंने कहा ट्रांजैक्शन कंसल्टेंट की नियुक्ति में हितों के टकराव को नजरअंदाज किया गया, अमेरिका में पेनल्टी झेल चुकी कंपनी ग्रांट थॉर्टन को नियुक्त किया गया, उसने झूठा शपथ पत्र दिया है। इसके अलावा पॉवर कॉरपोरेशन की निदेशक (वित्त) निधि नारंग पर निजी घरानों से मिलीभगत का आरोप लगाते हुए कहा कि उन्हें तीन बार सेवा विस्तार दिया गया, उन्होंने निजी कंपनियों के पक्ष में आरएफपी दस्तावेज तैयार करवाए। इन दस्तावेजों पर विद्युत नियामक आयोग ने आपत्तियां दर्ज कर अस्वीकार कर दिया है, फिर भी शासन ने विशेष लाभ का प्रचार कर विज्ञापन छपवा दिए।
प्रदेश भर में हुआ व्यापक विरोध
यह विरोध प्रदर्शन सिर्फ राजधानी तक सीमित नहीं रहा, बल्कि वाराणसी, आगरा, मेरठ, कानपुर, गोरखपुर, अलीगढ़, मथुरा, बरेली, झांसी, बांदा, नोएडा, गाजियाबाद, सुल्तानपुर, सहारनपुर, मुजफ्फरनगर और अन्य परियोजनाओं में बड़ी संख्या में बिजली कर्मचारियों ने भाग लिया। संघर्ष समिति ने चेतावनी दी है कि यदि सरकार ने निजीकरण की प्रक्रिया पर रोक नहीं लगाई, तो टेंडर होते ही संपूर्ण प्रदेश में सामूहिक जेल भरो आंदोलन शुरू किया जाएगा।
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