Etah News: श्रावण माह में धार्मिक भावनाओं की अनदेखी: एटा नगर में खुलेआम बिक रहा प्रतिबंधित मीट, प्रशासन मौन

Etah News: श्रावण मास में योगी सरकार के निर्देशों की अवहेलना करते हुए एटा नगर में खुलेआम प्रतिबंधित मीट बेचा जा रहा है। प्रशासन की चुप्पी पर उठ रहे सवाल।

Sunil Mishra
Published on: 22 July 2025 9:24 PM IST
Religious sentiments unseen in the month of Shravan: banned meat openly sold in Eta Nagar, administration silent
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श्रावण माह में धार्मिक भावनाओं की अनदेखी: एटा नगर में खुलेआम बिक रहा प्रतिबंधित मीट, प्रशासन मौन (Photo- Newstrack)

Etah News: एटा (उत्तर प्रदेश)। सावन माह के पवित्र अवसर पर जब समूचा हिन्दू समाज शिव उपासना में लीन रहता है, वहीं एटा जनपद से धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाली चौंकाने वाली तस्वीरें सामने आई हैं। योगी सरकार के सख्त निर्देशों के बावजूद, एटा नगर के किदवई नगर मोहल्ले में खुलेआम प्रतिबंधित मीट की बिक्री की जा रही है।

प्रतिबंध के बावजूद अवैध मीट की खुलेआम बिक्री

रविवार सुबह करीब 8 बजे पत्रकारों की टीम जब मौके पर पहुंची, तो देखा कि एक दुकान का शटर आधा खुला था और भीतर भारी भीड़ मौजूद थी। इसी दौरान एक महिला काली थैली में मीट लेकर बाहर निकलती दिखी। अंदर की तस्वीरें लेने पर स्पष्ट हुआ कि प्रतिबंधित पशुओं का मीट वहां लटकाया गया है और बिक्री की जा रही है।

बिना लाइसेंस, बिना अनुमति: कौन दे रहा है संरक्षण?

बड़ी बात यह है कि एटा जिले में न तो स्लॉटर हाउस की कोई वैध अनुमति है और न ही प्रतिबंधित पशुओं के वध की कोई आधिकारिक व्यवस्था। इसके बावजूद खुलेआम यह कारोबार चल रहा है, जिससे स्पष्ट होता है कि कहीं न कहीं इस गैरकानूनी धंधे को संरक्षण मिल रहा है।

पुलिस का गैरजिम्मेदाराना जवाब

जब इस मामले में अपर पुलिस अधीक्षक राजकुमार सिंह से पूछा गया, तो उन्होंने कहा, “जहां दुकानें खुल रही हैं वहां से कांवरिए नहीं गुजरते।” यह बयान न सिर्फ गैरजिम्मेदाराना है बल्कि शासन की मंशा पर भी प्रश्नचिन्ह खड़ा करता है।

प्रशासन की चुप्पी बनी सवाल

यह स्पष्ट है कि जिला प्रशासन, नगर निगम, पुलिस विभाग और पशु चिकित्सा विभाग की जिम्मेदारी बनती है कि ऐसे मामलों पर सख्त कार्रवाई हो। लेकिन इन विभागों की लापरवाही या मिलीभगत के कारण ही ऐसे गंभीर मामलों में कोई ठोस एक्शन नहीं हो रहा।

आस्था पर आघात या प्रशासन की अनदेखी?

श्रावण जैसे पवित्र माह में इस प्रकार की गतिविधियाँ हिन्दू आस्था पर कुठाराघात हैं। शासन द्वारा जारी निर्देशों की खुलेआम अवहेलना हो रही है। अब देखने वाली बात यह होगी कि प्रशासन इस मामले में क्या कार्रवाई करता है, या फिर यह मामला भी अन्य विवादों की तरह ठंडे बस्ते में चला जाएगा।

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