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Hapur News: एचपीडीए की योजना पर उठे सवाल, बिल्डर ने 11 अधिकारियों को भेजा नोटिस
Hapur News: दिल्ली रोड पर बनी इस महंगी योजना में आवासीय और वाणिज्यिक भूखंड तो आवंटित कर दिए गए, लेकिन प्लॉटों तक पहुंचने के लिए न तो सर्विस रोड बनाई गई और न ही हाईवे से कोई वैध मार्ग छोड़ा गया।
HPDA controversy
Hapur News :-प्रदेश सरकार के दावों के विपरीत हापुड़-पिलखुवा विकास प्राधिकरण (एचपीडीए) की लापरवाही एक बार फिर सामने आई है। दिल्ली रोड स्थित आनंद विहार आवासीय योजना में गंभीर खामियों का आरोप लगाते हुए नामचीन बिल्डर ने प्राधिकरण के उपाध्यक्ष (वीसी) सहित 11 अधिकारियों को नोटिस थमा दिया है। इससे प्राधिकरण और संबंधित विभागों में हड़कंप मच गया है।
बिना रास्ता बनाए बांटे करोड़ों के प्लॉट
दिल्ली रोड पर बनी इस महंगी योजना में आवासीय और वाणिज्यिक भूखंड तो आवंटित कर दिए गए, लेकिन प्लॉटों तक पहुंचने के लिए न तो सर्विस रोड बनाई गई और न ही हाईवे से कोई वैध मार्ग छोड़ा गया। अब जब कारोबारी निर्माण कार्य शुरू करने लगे तो वन विभाग ने पेड़ काटने और रास्ता देने से साफ इंकार कर दिया।
वन विभाग ने रोकी राह
दिल्ली के सोबती बिल्डवेल लिमिटेड के प्रतिनिधि लाखन सिंह ने बताया कि उन्होंने करीब 30 करोड़ रुपये की लागत से प्लॉट खरीदा है। प्लॉट के सामने 19 पेड़ और पावर लाइन का बड़ा प्लेटफार्म है, जिसे हटाए बिना निर्माण संभव नहीं। लेकिन वन विभाग ने पत्र जारी कर स्पष्ट किया कि यह भूमि उनकी है और यहां से प्लॉट पर रास्ता नहीं बनाया जा सकता। यही समस्या दो दर्जन से अधिक कारोबारियों के सामने खड़ी है।
बिल्डर का आरोप "धोखा दिया प्राधिकरण ने"
कंपनी के एमडी चरनपाल सिंह सोबती ने कहा,"हमने 10 हजार वर्ग मीटर भूमि खरीदी है, जिस पर दो 25-25 मंजिला टावर और सामने शॉपिंग कॉम्प्लेक्स का निर्माण प्रस्तावित है। हमने 30 करोड़ का प्लॉट लिया, करोड़ों का अतिरिक्त निवेश किया। प्राधिकरण ने बिना रास्ता छोड़े प्लॉट बेचकर हमारे साथ धोखा किया। अब हम प्लॉट सरेंडर नहीं करेंगे, रास्ता लेकर रहेंगे।"
एचपीडीए का पक्ष – "आवंटी के आरोप निराधार" वहीं, प्राधिकरण के प्रभारी सचिव अमित कादयान ने कहा,"आवंटी के आरोप निराधार हैं। वन विभाग का रास्ते से कोई संबंध नहीं है। 1960 की अधिसूचना के अनुसार यह भूमि सिर्फ पौधारोपण हेतु आरक्षित थी। सड़क और जमीन पीडब्ल्यूडी के अधीन है। आवंटी को प्लॉट लेने से पहले लोकेशन देखनी चाहिए थी। पेड़ काटने की अनुमति नियम अनुसार ली जा सकती है। फिर भी यदि आवंटी को परेशानी है, तो चाहे वह प्लॉट सरेंडर भी कर सकते हैं।"
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