Hapur News: फर्जीवाड़े में फंसे अधिवक्ता कृष्णकांत गुप्ता को दोहरी सजा, वकालत से निष्कासन और जुर्माना

Hapur News: हापुड़ जनपद में वकालत जगत को हिला देने वाला एक गंभीर मामला सामने आया है। अधिवक्ता कृष्णकांत गुप्ता, जो पिछले 35 वर्षों से जिला शासकीय अधिवक्ता के पद पर तैनात थे, को अब न केवल इस पद से बर्खास्त कर दिया गया है

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Published on: 4 Aug 2025 6:36 PM IST
Hapur News: फर्जीवाड़े में फंसे अधिवक्ता कृष्णकांत गुप्ता को दोहरी सजा, वकालत से निष्कासन और जुर्माना
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Hapur News: उत्तर प्रदेश के हापुड़ जनपद में वकालत जगत को हिला देने वाला एक गंभीर मामला सामने आया है। अधिवक्ता कृष्णकांत गुप्ता, जो पिछले 35 वर्षों से जिला शासकीय अधिवक्ता के पद पर तैनात थे, को अब न केवल इस पद से बर्खास्त कर दिया गया है, बल्कि बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने उन्हें वकालत से भी निष्कासित कर दिया है। इसके साथ ही ₹1 लाख का जुर्माना भी लगाया गया है।

पूरा मामला तब सामने आया जब हापुड़ बार एसोसिएशन के वरिष्ठ अधिवक्ता सुशांत बंसल ने एक प्रेसवार्ता में इसका खुलासा किया। उन्होंने आरोप लगाया कि कृष्णकांत गुप्ता ने फर्जी दस्तावेजों और झूठी जानकारियों के आधार पर शासन और जिला प्रशासन को गुमराह किया तथा जिला शासकीय अधिवक्ता का पद प्राप्त किया। इस अनियमितता को गंभीरता से लेते हुए सुशांत बंसल ने इसकी शिकायत न्याय विभाग और शासन के उच्चाधिकारियों से की।जांच के बाद 11 सितंबर 2023 को न्याय विभाग ने गुप्ता को पद से बर्खास्त कर दिया।

इसके बाद बार काउंसिल ऑफ इंडिया की अनुशासन समिति ने अपने स्तर पर जांच करते हुए उन्हें वकालत के लिए अयोग्य मानते हुए उनकी अधिवक्ता सदस्यता भी समाप्त कर दी।सुशांत बंसल ने यह भी आरोप लगाया कि गुप्ता ने अपने प्रभाव का दुरुपयोग करते हुए पुलिस एवं प्रशासनिक अधिकारियों को झूठे मामलों में भ्रमित किया, निर्दोष व्यक्तियों के खिलाफ झूठे मुकदमे दर्ज करवाए, और लंबे समय तक अवैध उगाही की। यह आरोप बेहद गंभीर हैं और वकालत जैसे सम्मानित पेशे पर एक बड़ा सवाल खड़ा करते हैं।

हालांकि, हापुड़ बार एसोसिएशन के अध्यक्ष संजय कंसल और सचिव वीरेंद्र सिंह सैनी ने इस मामले में स्पष्ट किया है कि उन्हें बार काउंसिल ऑफ इंडिया की ओर से कोई औपचारिक पत्र नहीं प्राप्त हुआ है, अतः अभी कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं दी जा सकती।यह मामला न केवल एक व्यक्ति विशेष की नैतिक और कानूनी गिरावट को दर्शाता है, बल्कि वकालत पेशे में पारदर्शिता और जवाबदेही की आवश्यकता को भी उजागर करता है। यह जरूरी है कि इस तरह के मामलों में कठोर कार्रवाई हो ताकि न्याय व्यवस्था पर जनता का विश्वास बना रहे।

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Shalini Rai

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