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Hapur News : मोनाड विश्वविद्यालय डिग्री घोटाला: मुख्य आरोपी बिजेंद्र सिंह हुड्डा की जमानत याचिका खारिज, न्यायालय ने कहा- "यह शैक्षिक आतंकवाद है"
Hapur News : इस मामले में अन्य नौ आरोपियों की याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित रख लिया गया है, जिसकी घोषणा जल्द होने की उम्मीद है।
मोनाड विश्वविद्यालय डिग्री घोटाला: मुख्य आरोपी बिजेंद्र सिंह हुड्डा की जमानत याचिका खारिज (photo: social media )
Hapur News: जनपद हापुड़ के न्यायालय ने मोनाड विश्वविद्यालय में हुए बहुचर्चित फर्जी मार्कशीट और डिग्री घोटाले में मुख्य आरोपी और विश्वविद्यालय के मालिक बिजेंद्र सिंह हुड्डा की जमानत याचिका को खारिज कर दिया है। इस मामले में अन्य नौ आरोपियों की याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित रख लिया गया है, जिसकी घोषणा जल्द होने की उम्मीद है।
इस मामले की सुनवाई कर रहे जनपद न्यायाधीश अजय कुमार द्वितीय ने बेहद सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि “देश पहले से ही आतंकवाद, नशे की लत और आर्थिक संकट जैसी चुनौतियों से जूझ रहा है। अब फर्जी मार्कशीट और डिग्रियों के रूप में एक नया ‘शैक्षिक आतंकवाद’ उभरकर सामने आ रहा है, जो राष्ट्र की आर्थिक और नैतिक जड़ों को खोखला कर रहा है।”
एसटीएफ ने किया था बड़ा खुलासा
जिला शासकीय अधिवक्ता (डीजीसी) गौरव नागर ने जानकारी दी कि 18 मई 2025 को यूपी एसटीएफ ने मोनाड विश्वविद्यालय में छापेमारी कर इस पूरे रैकेट का पर्दाफाश किया था। छानबीन में पता चला कि आरोपी बिजेंद्र सिंह हुड्डा अपने सहयोगी संदीप सहरावत के साथ मिलकर हरियाणा में फर्जी मार्कशीट तैयार करता था। 17 मई को संदीप का साथी राजेश भारी मात्रा में फर्जी दस्तावेज लेकर विश्वविद्यालय पहुंचा था, जिसके बाद एसटीएफ ने कार्रवाई की।
छापेमारी के दौरान एसटीएफ को सैकड़ों फर्जी डिग्रियां, मार्कशीट और प्रोविजनल सर्टिफिकेट मिले। इनमें एलएलबी, बी फार्मा, डी फार्मा और बी टेक जैसी डिग्रियां भी शामिल थीं।
1,372 फर्जी दस्तावेज, कीमत 50 हजार से 4 लाख तक
डीजीसी नागर के अनुसार, अब तक की जांच में 1,372 फर्जी डिग्रियां और 262 फर्जी माइग्रेशन/प्रोविजनल सर्टिफिकेट जारी होने की पुष्टि हुई है। इनकी कीमत 50 हजार रुपये से लेकर 4 लाख रुपये तक प्रति छात्र वसूली जा रही थी। चौंकाने वाली बात यह रही कि कई छात्रों का विश्वविद्यालय में नामांकन तो था, लेकिन परीक्षा में सम्मिलित होने का कोई रिकॉर्ड नहीं मिला।
बिजेंद्र सिंह हुड्डा का आपराधिक इतिहास
कोर्ट को बताया गया कि बिजेंद्र सिंह हुड्डा पहले चर्चित बाइक बोट घोटाले में आरोपी संजय भाटी का सहयोगी रह चुका है और उसे कैश इंचार्ज बनाया गया था। उसके खिलाफ एनसीआर क्षेत्र में 118 आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं और वह 5 लाख रुपये का इनामी अपराधी भी रह चुका है।
जमानत का विरोध
डीजीसी गौरव नागर ने कोर्ट में हुड्डा की जमानत याचिका का कड़ा विरोध करते हुए तर्क दिया कि ऐसे संगठित अपराधों से मेधावी छात्रों का भविष्य खतरे में पड़ रहा है और देश की शिक्षा प्रणाली पर गंभीर प्रश्नचिह्न लग रहा है। कोर्ट ने इन तथ्यों को गंभीरता से लेते हुए हुड्डा की जमानत याचिका को सिरे से खारिज कर दिया।
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