Hapur News: पुरे भारत में नही लगता यह मेला, आखिर हापुड़ में ही क्यों लगता हैं मेला, जानना हैं जरूरी

Hapur News: हापुड़ जिले में लगने वाला देश का एकमात्र शहीद मेले का शुक्रवार को आगाज हो गया।यह मेला हर साल दस मई को रामलीला मैदान में 1857 की क्रांति में शहीद हुए शहीदों की याद में एक माह तक लगता हैं।

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Published on: 11 May 2025 12:28 PM IST
Hapur News: पुरे भारत में नही लगता यह मेला, आखिर हापुड़ में ही क्यों लगता हैं मेला, जानना हैं जरूरी
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Hapur News

Hapur News: उत्तर प्रदेश केShaheed Mela organized in Hapur।यह मेला हर साल दस मई को रामलीला मैदान में 1857 की क्रांति में शहीद हुए शहीदों की याद में एक माह तक लगता हैं। इस शहीद मेले का शुभारम्भ समिति के अध्यक्ष ललित छावनी और अन्य पदाअधिकारियो ने फीता काटकर किया और शहीदों की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर शहीदों को श्रद्धांजलि दी। हर साल एक माह तक चलने वाले इस शहीद मेले में शहीदों की याद में सांस्कृतिक कार्यक्रम, कवि सम्मेलन, प्रदर्शनी जैसे तमाम कार्यक्रम किए जाते हैं।

इस वजह से लगता हैं यह मेला

बताया जाता है 90 सैनिकों की बटालियन में 85 सैनिकों ने बगावत का बिगुल फूंक दिया था। जिन सैनिकों में हापुड़ के चौधरी जबरदस्त खां भी शामिल थे। बगावत करने वाले सैनिकों का कोर्ट मार्शल हुआ। जब जबरदस्त खां के भाई उल्फत खां को पता चला कि उनके भाई को अंग्रेजी सरकार ने कैद कर दिया है । तब उन्होंने मेरठ से आगरा जाने वाली टेलीग्राम की लाइन को काट दिया। अंग्रेजी सरकार ने बगावत करने वाले सैनिक चौधरी जबरदस्त खां और उनके भाई उल्फत खां को हापुड़ में पीपल के पेड़ पर लटका कर फांसी दे दी थीं।

ब्रिटिश सरकार के विरूद्ध क्रांति में संलग्न होने के कारण चौधरी जबरदस्त खां एवं चौधरी उल्फत खां को उनके समर्थकों के साथ मृत्युदण्ड दिया गया। लेकिन उनकी शहादत को हापुड़ के निवासी आज भी याद करते हैं। हापुड़ में 1857 में शहीद होने वाले क्रांतिकारियों की याद में 1975 ई. से प्रतिवर्ष शहीद मेले का आयोजन किया जाता है। जो 10 मई से शुरू होकर एक माह तक चलता है। सम्पूर्ण देश में 1857 से सम्बद्ध इस प्रकार के मेले का आयोजन अन्य कहीं नही किया जाता। चौधरी जबरदस्त खां का परिवार मूलत असौड़ा गांव का रहने वाला था, जो अपनी जमींदारी होने के कारण बाद में हापुड़ के मोहल्ला भण्ड़ा पट्टी में रहने लगे।

अध्यक्ष ने कही यह बात

समिति के अध्यक्ष ललित छावनी वालों ने बताया कि दिल्ली रोड स्थित रामलीला मैदान के बाहर पीपल का पेड़ हैं। इसी पेड़ पर अंग्रेजों ने चार देशभक्त को फांसी दी थीं। दस मई को पत्रकार स्वर्गीय कैलाश आजाद ने अपने साथियों के साथ यहां पहलाशहीद दिवस मनाया था। 1976 से प्रतिवर्ष दस मई को शहीद मेला और प्रदर्शनी का आयोजन होता हैं।यह आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा देता हैं। पुरे भारत में केवल हापुड़ में ही शहीदो की यादो मे यह मेला एक माह के लिए लगाया जाता हैं।

यह लोग रहें मौजूद

कार्यक्रम में श्री चंडी मंदिर समिति के अध्यक्ष सजय गुप्ता, नानक चंद शर्मा, अनिल आजाद, फ़सीह चौधरी, आशुतोष आजाद, दीपक शर्मा, लोकेश छावनी, विशाल गुप्ता सहित अन्य गणमान्य लोग मौजूद रहें।

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Shalini singh

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