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Hardoi News: हरदोई रेलवे स्टेशन पर ओवर रेटिंग की शिकायत के बाद सीज हुआ कैटरिंग स्टॉल, प्रशासनिक लापरवाही या मिलीभगत?
Hardoi News: हरदोई रेलवे स्टेशन पर ओवर रेटिंग की शिकायत के बाद सीज की गई कैटरिंग स्टॉल 24 घंटे के भीतर ही खुल गई। यात्रियों को हुई असुविधा और अधिकारियों की भूमिका पर उठे सवाल।
हरदोई रेलवे स्टेशन पर ओवर रेटिंग की शिकायत के बाद सीज हुआ कैटरिंग स्टॉल, प्रशासनिक लापरवाही या मिलीभगत? (Photo- Newstrack)
Hardoi News: हरदोई रेलवे स्टेशन पर अधिकारियों के आदेशों की खुली अवहेलना सामने आई है। यात्री द्वारा की गई ओवर रेटिंग की शिकायत पर रेलवे प्रशासन ने एक कैटरिंग स्टॉल को 24 घंटे के लिए सीज किया था, लेकिन वह स्टॉल 24 घंटे भी बंद नहीं रहा और अगले ही दिन सुबह से खुल गया। यह मामला रेलवे प्रशासन की कार्यप्रणाली और जवाबदेही पर गंभीर सवाल खड़े करता है।
सोशल मीडिया पर की गई शिकायत से हड़कंप
15 जुलाई को परवेज नामक यात्री ने सोशल मीडिया के माध्यम से शिकायत की थी कि हरदोई रेलवे स्टेशन पर ₹15 की पानी की बोतल उसे ₹30 में बेची गई। यात्री ने इसका भुगतान ऑनलाइन किया था, जिसका प्रमाण भी मौजूद है। जैसे ही यह मामला रेल अधिकारियों तक पहुंचा, डीआरएम कार्यालय ने हरदोई स्टेशन प्रशासन को तत्काल कार्रवाई के निर्देश दिए।
प्लेटफार्म संख्या दो का कैटरिंग स्टॉल किया गया था सीज
शुक्रवार को प्लेटफार्म संख्या दो पर ललिता देवी नामक कैटरिंग स्टॉल को दोपहर 2:00 बजे सीज कर दिया गया। सीलिंग की कार्रवाई काली पन्नी और टेप के माध्यम से की गई थी और इसे 24 घंटे तक बंद रखने का आदेश था। इस दौरान स्टॉल का संचालन पूरी तरह से बंद होना था।
सुबह 6 बजे ही खुल गया स्टॉल, 24 घंटे की सीलिंग दिखी कागजी
स्थानीय यात्रियों और कर्मचारियों के अनुसार, यह स्टॉल शनिवार सुबह 6:00 बजे ही खुल गया था, जबकि इसे शनिवार दोपहर 2:00 बजे के बाद ही खुलना था। यह स्पष्ट करता है कि सीलिंग की कार्यवाही केवल दिखावा थी और अधिकारियों की या तो इसमें मिलीभगत है या गंभीर लापरवाही।
अन्य स्टॉल बंद रहे, यात्रियों को हुई भारी असुविधा
कार्यवाही के विरोध में प्लेटफार्म नंबर एक और तीन के कैटरिंग स्टॉल भी बंद कर दिए गए, जिससे यात्रियों को भोजन और पीने के पानी तक के लिए परेशान होना पड़ा। प्लेटफार्म एक पर केवल एक कैंटीन खुली रही, जो सभी यात्रियों की आवश्यकता पूरी नहीं कर सकी।
प्रशासन की भूमिका संदिग्ध, जांच की उठी मांग
अब सवाल यह है कि क्या यह कार्रवाई केवल डीआरएम ऑफिस को गुमराह करने के लिए की गई थी या फिर कैटरिंग संचालकों को अधिकारियों का कोई भय नहीं है? क्या अब रेल प्रशासन इस पर कोई कठोर कार्यवाही करेगा या फिर मिलीभगत की कहानी यूं ही चलती रहेगी? यह विषय अब उच्च स्तरीय जांच का विषय बन गया है।
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