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Jhansi News: छत्तीसगढ़ संपर्क क्रांति 400 किमी बिना जांच दौड़ती रही, 1700 यात्रियों की जान खतरे में; बम की सूचना देने वाली महिला का सुराग नहीं

Jhansi News: ट्रेन में बम की सूचना देने वाली महिला का अब तक कोई पता नहीं चल सका है, जिससे खुफिया एजेंसियों की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हो गए हैं।

Gaurav kushwaha
Published on: 5 July 2025 9:13 PM IST
Jhansi News: छत्तीसगढ़ संपर्क क्रांति 400 किमी बिना जांच दौड़ती रही, 1700 यात्रियों की जान खतरे में; बम की सूचना देने वाली महिला का सुराग नहीं
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छत्तीसगढ़ संपर्क क्रांति 400 किमी बिना जांच दौड़ती रही  (photo: social media )

Jhansi News: हजरत निजामुद्दीन से दुर्ग जाने वाली छत्तीसगढ़ संपर्क क्रांति एक्सप्रेस में बम रखे होने की सूचना मिलने के बावजूद ट्रेन लगभग 400 किलोमीटर तक बिना जांच के चलती रही, जिससे इसमें सवार करीब 1700 रेलयात्रियों की जान खतरे में पड़ गई। हैरानी की बात यह है कि ट्रेन में बम की सूचना देने वाली महिला का अब तक कोई पता नहीं चल सका है, जिससे खुफिया एजेंसियों की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हो गए हैं।

क्या था मामला?

बीती रात एक महिला ने रेल मदद हेल्पलाइन पर सूचना दी कि हजरत निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन पर तीन-चार युवक आपस में बात कर रहे थे कि हजरत निजामुद्दीन से चलकर दुर्ग जाने वाली छत्तीसगढ़ संपर्क क्रांति एक्सप्रेस में बम रखा है। यह सूचना तुरंत रेलवे को दी गई।

सूचना मिलते ही रेलवे सुरक्षा बल (RPF) और राजकीय रेलवे पुलिस (GRP) अलर्ट हो गए। हालांकि, यह ट्रेन हजरत निजामुद्दीन से चलने के बाद सीधे झांसी में रुकती है। बम की सूचना के बावजूद, ट्रेन को बीच रास्ते में नहीं रोका गया। ट्रेन को करारी क्रॉस करने के बाद रोका गया और फिर रात 11:32 बजे वीरांगना लक्ष्मीबाई झांसी स्टेशन के प्लेटफॉर्म नंबर दो पर लाया गया।

स्टेशन पर पहुंचने पर पूरे प्लेटफॉर्म और रेलवे स्टेशन को छावनी में तब्दील कर दिया गया था। यात्रियों को बताया गया कि ट्रेन में मॉक ड्रिल करवाया जा रहा है। पूरी ट्रेन की गहन जांच के बाद, ट्रेन को लगभग एक घंटे की देरी से अपने गंतव्य स्थान के लिए रवाना किया गया।

400 किलोमीटर तक क्यों नहीं हुई जांच?

सबसे बड़ा सवाल यह है कि दिल्ली से झांसी तक यह ट्रेन फरीदाबाद, मथुरा, आगरा, धौलपुर और ग्वालियर जैसे कई महत्वपूर्ण स्टेशनों से होकर गुजरती है। बावजूद इसके, किसी भी स्टेशन पर ट्रेन को रोककर जांच क्यों नहीं की गई? रेलवे प्रशासन ने जीआरपी हेडक्वार्टर लखनऊ को सूचना ज़रूर दी थी, लेकिन ट्रेन को बिना स्टॉपेज रोके जाने का निर्णय नहीं लिया गया। इसका नतीजा यह हुआ कि ट्रेन 400 किलोमीटर तक संभावित खतरे के साथ दौड़ती रही, जिससे 1700 से अधिक यात्रियों की जान जोखिम में रही।

अफवाह या साजिश?

22 कोच वाली इस ट्रेन में छह स्लीपर, पांच थर्ड एसी, तीन फर्स्ट और सेकेंड एसी, जनरल और दिव्यांग कोच, और एक पेंट्रीकार सहित पूरे ट्रेन की जांच की गई। रेलवे और सुरक्षा एजेंसियों के अधिकारियों ने स्वीकार किया कि ट्रेन चलने के कुछ ही देर बाद उन्हें सूचना मिल गई थी। अब यह जांच का विषय है कि ट्रेन को पहले क्यों नहीं रोका गया और सुरक्षा को इतनी देर तक क्यों टाला गया।

ट्रेन भले ही अपने गंतव्य के लिए रवाना हो चुकी है, लेकिन सुरक्षा बलों की जांच अभी भी जारी है। यह केवल एक अफवाह थी या किसी बड़ी साजिश की शुरुआत - इसका जवाब जांच के बाद ही मिलेगा। हालांकि, इतना तय है कि रेलवे को अब अपने रियल टाइम रिस्पॉन्स सिस्टम पर गंभीरता से काम करने की आवश्यकता है ताकि भविष्य में ऐसी किसी भी चूक से बचा जा सके और यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।

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Monika

Monika

Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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