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Jhansi News: कोर्ट के आदेश के बाद भी अपनी जमीनें कब्जामुक्त नहीं करा पाया नगर निगम
Jhansi News: नगर निगम न तो अपनी जमीनों से अवैध कब्जेदारों को हटाकर अपना कब्जा ले सका और न ही इन लोगों से अपडेट क्षतिपूर्ति वसूली कर सका।
कोर्ट के आदेश के बाद भी अपनी जमीनें कब्जामुक्त नहीं करा पाया नगर निगम (photo: social media )
Jhansi News: नगर निगम की हजारों वर्गमीटर बेशकीमती जमीनें असरदार लोगों के कब्जे में हैं, पर नगर निगम इन्हें कब्जामुक्त नहीं करा सका। ऐसा तब है, जब कई मामलों में अदालत द्वारा लगभग 10 से 15 साल पहले इन जमीनों को कब्जामुक्त कराने के निर्णय दिए गए थे। इसके बाद भी नगर निगम न तो अपनी जमीनों से अवैध कब्जेदारों को हटाकर अपना कब्जा ले सका और न ही इन लोगों से अपडेट क्षतिपूर्ति वसूली कर सका।
उल्लेखनीय है कि पुरानी झांसी,झांसी खाल, नगरिया कुंआ,परकोटे की जमीनें, खुशीपुरा, तालपुरा, नईबस्ती व बाहर ओरछा गेट में नगर निगम की बेशकीमती जमीनों पर बेतहाशा कब्जे हैं। इन कब्जों के संबंध में सिटी मजिस्ट्रेट की अदालत में बीते वर्षों में अतिचारियों की बेदखली करते हुए नगर निगम का कब्जा लेने संबंधी निर्णय सुनाए गए। साथ ही नगर निगम को अपनी जमीनों से अवैध कब्जेदारों को बेदखल करते हुए
अपडेट क्षतिपूर्ति के
वसूली आदेश भी दिए गए। इसके बाद भी कई वर्ष बीत गए, पर नगर निगम द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई। यहां बताना जरूरी है कि राई का ताजिया स्थित नजूल की भूमि 600 वर्गमीटर है। इस जमीन से 17 जनवरी 2009 को नगर मजिस्ट्रेट की अदालत ने नगर निगम को अपना कब्जा लेने को कहा। साथ ही कब्जेदार से क्षतिपूर्ति राशि वसूलने की बात भी कही, इसके बाद भी मामला ठंडे बस्ते में पड़ा रहा। वहीं, नई बस्ती में 1945 वर्गफीट जमीन सिटी वॉल संख्या-1 अंदर ओरछा गेट, खुशीपुरा में 124 वर्गमीटर भूमि, खुशीपुरा में ही 755 वर्गमीटर भूमि, नईबस्ती में 132 वर्गमीटर भूमि है, जिसे भी कब्जामुक्त नहीं कराया गया। इसके अलावा छनियापुरा और तालपुरा की जमीनों को कब्जामुक्त नहीं कराया जा सका है।
इन जमीनों को वर्ष 2018 में प्रभारी अधिकारी वाद ने नगर आयुक्त को पत्र लिखकर नगर निगम की जमीनों पर अवैध कब्जों व अदालत द्वारा दिए गए निर्णयों का तिथिवार उल्लेख करते हुए जमीनों पर काबिज अवैध कब्जेदारों को बेदखल करने व जमीनों पर कब्जा लेने की बात कही। इसके बाद कई साल बीत चुके हैं, पर कार्रवाई के नाम पर कुछ नहीं किया गया। ऐसे में अतिक्रमणकारियों के हौसले बुलंद हैं। मजे की बात तो यह है कि इन अतिक्रमणकारियों पर कोई कार्रवाई न होती देख अन्य अतिक्रमणकारियों ने नगर निगम की भूमि पर अपना अधिकार जमाना शुरू कर दिया है। अब हालात यह है कि शहर व परकोटे की जमीनों के साथ नगर निगम में शामिल ग्राम सभाओं की जमीनों पर भी बेतहाशा कब्जे हो रहे हैं।
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