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रजिस्ट्री से नहीं मिलती मिल्कियत! घर-जमीन खरीदने से पहले ये दस्तावेज़ ज़रूर जांचें
Registry Update : अगर आप घर या ज़मीन खरीदने की प्लानिंग कर रहे हैं तो आपके लिए ये खबर काफी महत्वपूर्ण हो सकती है क्योंकि इससे सम्बंधित बेहद अहम् फैसला सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया है।
Registry Update (Image Credit-Social Media)
House and Land Registry Update: यदि आप घर या ज़मीन खरीदने की योजना बना रहे हैं, तो सुप्रीम कोर्ट का ताज़ा फैसला आपके लिए एक चेतावनी की तरह है। कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा है कि केवल रजिस्टर्ड सेल डीड (Sale Deed) होना पर्याप्त नहीं है - यह सिर्फ लेन-देन का रिकॉर्ड है, न कि संपत्ति के मालिकाना हक का प्रमाण। मालिकाना अधिकार स्थापित करने के लिए संपत्ति से जुड़े सभी वैध दस्तावेजों की पुष्टि आवश्यक है।
क्या था मामला?
यह मामला भवन कोऑपरेटिव हाउसिंग सोसायटी से जुड़ा हुआ था, जहां 1982 में एक व्यक्ति ने 53 एकड़ जमीन को बेचने का दावा किया था। खरीदार के पास सेल डीड रजिस्टर्ड थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि सोसायटी के पास उस जमीन की असली मिल्कियत थी भी या नहीं। कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया कि बिना मालिकाना हक सिद्ध किए की गई रजिस्ट्री पर्याप्त नहीं मानी जाएगी।
रजिस्ट्री क्यों पर्याप्त नहीं है?
रजिस्टर्ड सेल डीड का मतलब होता है कि खरीद-बिक्री की जानकारी सरकारी रिकॉर्ड में दर्ज हो गई है। लेकिन अगर बेचने वाले के पास खुद संपत्ति का वैध मालिकाना हक नहीं है, तो रजिस्ट्री करवाने के बाद भी खरीदार कानूनी रूप से मालिक नहीं माना जाएगा।
इसका मतलब है कि रजिस्ट्री केवल एक प्रक्रिया है, न कि स्वामित्व का प्रमाण। असली मालिकाना हक साबित करने के लिए और दस्तावेजों की जरूरत होती है।
फैसले का क्या होगा असर?
सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला रियल एस्टेट सेक्टर में बड़ा बदलाव ला सकता है। अब केवल रजिस्ट्री नहीं, बल्कि टाइटल डीड (Title Deed), वैध स्वामित्व दस्तावेज और कानूनी स्थिति स्पष्ट होनी चाहिए। डेवलपर को भी अब साबित करना होगा कि जिस जमीन पर प्रोजेक्ट बना रहे हैं, उस पर उनका स्वामित्व वैध है।
इससे खरीदारों को सुरक्षा तो मिलेगी ही, साथ ही डेवलपर्स को भी हर जानकारी पारदर्शिता से देनी होगी। इससे फर्जीवाड़ा और संपत्ति विवादों पर भी रोक लगेगी।
खरीदारों को बरतनी होगी सावधानी :
अगर आप प्लॉट, फ्लैट या घर खरीदने जा रहे हैं, तो सिर्फ रजिस्ट्री देखकर सौदा न करें। खरीदने से पहले नीचे दिए गए जरूरी दस्तावेजों की अच्छे से जांच कर लें:
खरीद से पहले इन दस्तावेजों को जरूर देखें :
• टाइटल डीड : संपत्ति का असली स्वामित्व किसके पास है, यह दर्शाता है।
• पिछली सेल डीड (यदि हो) : इससे पता चलेगा कि किससे किसने संपत्ति खरीदी थी।
• पजेशन लेटर और अलॉटमेंट लेटर : डेवलपर या सोसाइटी द्वारा दी गई वैधता।
• वसीयत (अगर संपत्ति विरासत में मिली हो) : यह साबित करती है कि वारिस को ही संपत्ति मिली है।
• प्रॉपर्टी टैक्स रसीदें : यह दिखाती हैं कि संपत्ति पर सरकारी टैक्स ठीक से भरा गया है।
रजिस्ट्री की क्या है अहमियत?
जब आप कोई संपत्ति खरीदते हैं, तो रजिस्ट्री इसे सरकार की नजर में दर्ज करती है। यह साबित करता है कि एक सौदा हुआ है, लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि आप मालिक बन गए हैं। यही दस्तावेज़ आपके पक्ष में सबसे बड़ा सबूत बन सकता है अगर भविष्य में कोई बहस होती है। इसके अलावा, यह प्रक्रिया सरकार को टैक्स वसूलने में भी मदद करती है और फर्जी दस्तावेजों पर रोक लगाती है।
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