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Jhansi News: रेलवे पार्सल अब निजी हाथों में, छपरा मेल का कोच ₹4.70 करोड़ में लीज पर
Jhansi News: इस कदम से रेल प्रशासन उत्साहित है और अधिकारियों का दावा है कि इससे न सिर्फ रेलवे की आय बढ़ेगी, बल्कि सामान भेजने वालों को भी पहले से बेहतर सुविधाएँ मिलेंगी।
रेलवे पार्सल अब निजी हाथों में (photo: social media )
Jhansi News: रेलवे ने अपनी आमदनी बढ़ाने और यात्रियों को बेहतर सुविधाएँ प्रदान करने के उद्देश्य से पार्सल सेवा को निजी हाथों में सौंपने की तैयारी शुरू कर दी है। झांसी रेल मंडल ने इस पहल की शुरुआत कर दी है, जहाँ पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर पाँच ट्रेनों में यह व्यवस्था लागू की गई है। इस कदम से रेल प्रशासन उत्साहित है और अधिकारियों का दावा है कि इससे न सिर्फ रेलवे की आय बढ़ेगी, बल्कि सामान भेजने वालों को भी पहले से बेहतर सुविधाएँ मिलेंगी। अब यात्रियों को सामान भेजने या यात्रा के दौरान अधिक सामान बुक कराने में परेशानी नहीं होगी।
झांसी मंडल द्वारा नए तरीकों से राजस्व बढ़ाने का प्रयास तेजी से किया जा रहा है। यात्रियों की लगातार मिल रही शिकायतों के बाद ही रेलवे ने यह महत्वपूर्ण फैसला लिया है। मंडल रेल प्रबंधक दीपक कुमार सिन्हा के मार्गदर्शन और वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधक (कोचिंग) अमन वर्मा तथा वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधक (फ्रंट) नीरज भटनागर के नेतृत्व में झांसी मंडल ने परिसंपत्ति प्रबंधन के तहत विभिन्न मदों में नीलामी के लिए संपत्तियों को सफलतापूर्वक अपलोड कर नीलामी आयोजित की है।
झांसी मंडल में मेल व एक्सप्रेस ट्रेनों के पार्सल कोच अब लीज पर
इस संबंध में झांसी रेल मंडल के पीआरओ मनोज कुमार सिंह ने बताया कि झांसी मंडल में मेल व एक्सप्रेस ट्रेनों के पार्सल कोच अब लीज पर दिए जा रहे हैं। उनका कहना है कि पार्सल कोच लीज पर लेने वाली निजी कंपनी अपनी कमाई बढ़ाने के लिए सामान भेजने वालों की सुविधा का पूरा ध्यान रखेगी। उन्होंने बताया कि पारदर्शिता सुनिश्चित करने और अधिक से अधिक कंपनियों को टेंडर में भाग लेने का अवसर देने के लिए पार्सल कोच को लीज पर देने हेतु ई-टेंडर निकाला जाएगा। टेंडर हासिल करने वाली कंपनी को संबंधित ट्रेन में पार्सल का काम मिलेगा।
पायलट प्रोजेक्ट के तहत, ट्रेन क्रमांक 11123 छपरा मेल का फ्रंट एसएलआर (सेकंड क्लास कम लगेज रेक) कोच इंदौर की मेसर्स बालाजी ट्रांसपोर्टर को दो साल के लिए ग्वालियर से बनारस तक के लिए लीज पर दिया गया है। इसमें कानपुर की एक कंपनी भी शामिल है। इन दोनों कंपनियों से कुल 4 करोड़ 70 लाख रुपये का राजस्व प्राप्त होगा, जिसकी लाइसेंसी फीस जमा करवा ली गई है। इसी तरह, बुंदेलखंड एक्सप्रेस का पार्सल कोच ग्वालियर से बनारस, ट्रेन क्रमांक 12547 का पार्सल कोच ग्वालियर से साबरमती, ट्रेन क्रमांक 22198 का पार्सल कोच झांसी से कोलकाता, और ताज एक्सप्रेस का पार्सल कोच झांसी से दिल्ली के लिए दो साल के लिए लीज पर दिए जाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है।
टेंडर हासिल करने वाली कंपनी को संबंधित ट्रेन में पार्सल का काम
पीआरओ ने यह भी बताया कि टेंडर हासिल करने वाली कंपनी को संबंधित ट्रेन में पार्सल का काम मिलेगा और अस्थायी तौर पर लगने वाले पार्सल के दो अतिरिक्त कोच को भी अब स्थायी कर दिया जाएगा। इससे रेलवे की आमदनी बढ़ने की उम्मीद है। महत्वपूर्ण बात यह है कि निजी हाथों में जाने के बाद भी पार्सल की दर में कोई वृद्धि नहीं होगी, रेलवे द्वारा निर्धारित किराया ही वसूला जाएगा।
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