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Kanpur Dehat News: संविधान को बंधक बनाकर, प्रेस की स्वतंत्रता कुचलकर और विपक्ष को जेल में डालकर की गई तानाशाही- कमलावती सिंह
Kanpur Dehat News: जिला अध्यक्ष रेणुका सचान ने कहा आपातकाल एक ऐसी त्रासदी और वीभत्स दास्तां थी, जब देश को प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने बंधक बना लिया।
भारतीय जनता पार्टी कानपुर देहात आपातकाल काला दिवस संगोष्ठी (Photo- Newstrack)
Kanpur Dehat News: भारतीय जनता पार्टी कानपुर देहात आपातकाल काला दिवस संगोष्ठी शुक्ला गेस्ट हाउस बरौर में कार्यक्रम संपन्न हुआ। मुख्य अतिथि प्रदेश उपाध्यक्ष एवं राज्य मंत्री दर्जा प्राप्त कमलावती सिंह विशिष्ट अतिथि श्रीकांत पाठक जिला अध्यक्ष रेणुका सचान कार्यक्रम संयोजक डॉक्टर सतीश शुक्ला द्वारा महापुरुषों पर पुष्प अर्पण किये। कानपुर देहात के लोकतंत्र सेनानियों को अंग वस्त्र एवं भगवान का चित्र प्रदान किए गए लोकतंत्र सेनानी बंसलाल कटियार, महेश भदोरिया, प्रेम शंकर सचान, संतोष धीरज, सचान सहित दो दर्जन से अधिक लोकतंत्र सेनानियों का स्वागत किया गया अपने संबोधन में मुख्य वक्ता कमलावती सिंह ने कहा 'आपातकाल का मुख्य कारण इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक फैसले को बताया जाता है।'
उस फैसले में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को चुनाव प्रचार अभियान में कदाचार का दोषी करार दिया गया था। 25 जून 1975 को इंदिरा गांधी द्वारा थोपा गया आपातकाल भारत के लोकतंत्र पर एक काला अध्याय था। संविधान को बंधक बनाकर, प्रेस की स्वतंत्रता कुचलकर और विपक्ष को जेल में डालकर तानाशाही की गई। आपातकाल एक ऐसी त्रासदी और वीभत्स दास्तां थी, जब देश को प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने बंधक बना लिया। 21 महीने का एक ऐसा क्रूर और बर्बर आतंक का कालखंड जब पीएम इंदिरा गांधी ने संविधान को अपने कारागार में क़ैद कर दिया। भारत के महान लोकतन्त्र की शनै:शनै: हत्या की जाने लगी। ये वो दौर था जब इंदिरा गांधी सरकार के विरोध में उठने वाली किसी आवाज़ को बंद कर देने की घोषणा हो चुकी थी।
संविधान, कानून, अधिकार सब कुछ इंदिरा गांधी और उनके पालित सियासी गुंडों के हाथों की कठपुतली हो गए थे। जब चाहे, जिसे चाहे उसे ‘मीसा’ के तहत जेल में डालने और उस पर नृशंस अत्याचार करने की खुली छूट थी। पूरा देश गांधी खानदान के लिए चारागाह बन चुका था। विशिष्ट अतिथि श्रीकांत पाठक ने कहा इंदिरा गांधी सरकार द्वारा उठाया गया यह कदम देश में कई ऐतिहासिक घटनाओं की वजह बना। स्वतंत्र भारत के इतिहास में यह सबसे विवादास्पद समय था।
25 जून 1975 को घोषणा के बाद 21 मार्च 1977 तक यानी की करीब 21 महीने तक भारत में आपातकाल लागू रहा। जिला अध्यक्ष रेणुका सचान ने कहा आपातकाल एक ऐसी त्रासदी और वीभत्स दास्तां थी, जब देश को प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने बंधक बना लिया। 21 महीने का एक ऐसा क्रूर और बर्बर आतंक का कालखंड जब पीएम इंदिरा गांधी ने संविधान को अपने कारागार में क़ैद कर दिया। भारत के महान लोकतन्त्र की शनै:शनै: हत्या की जाने लगी। ये वो दौर था जब इंदिरा गांधी सरकार के विरोध में उठने वाली किसी आवाज़ को बंद कर देने की घोषणा हो चुकी थी। संविधान, कानून, अधिकार सब कुछ इंदिरा गांधी और उनके पालित सियासी गुंडों के हाथों की कठपुतली हो गए थे।
डॉ सतीश शुक्ला ने कहा प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 25 जून 1975 की अर्द्ध रात्रि को ही आपातकाल घोषित कर दिया। इसी के साथ शुरू हो गया देश को खुली जेल में बदलने का वीभत्स खेल। देश की न्यायपालिका के हाथ-पांव बांध दिए गए। समूचे विपक्ष और जनता को सलाखों के पीछे भेजने का क्रम शुरू हो गया। प्रेस सेंसरशिप लगाकर पत्रकारिता की हत्या की जाने लगी। कोई प्रतिरोध में बोलता और लिखता तो उसके हिस्से जेल की सज़ा का फरमान जारी हो जाता।
जयप्रकाश नारायण, अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी, मोरारजी देसाई, जॉर्ज फर्नांडीस, जयपुर की महारानी गायत्री देवी, राजमाता विजयाराजे सिंधिया समेत समूचे विपक्षी नेताओं को क्रमशः गिरफ्तार कर जेल भेजा जाने लगा। कांग्रेस ने डॉक्टर भीमराव अंबेडकर द्वारा रचित संविधान को खत्म करने की पूरी तैयारी कर ली थी लेकिन देश की जनता ने कांग्रेस को जमीन पर ला दिया इस दौरान पूर्व जिला अध्यक्ष बंसलाल कटियार कार्यक्रम संयोजक डॉक्टर सतीश शुक्ला मदन पांडे रामजी मिश्रा सौरभ मिश्रा सत्यम सिंह चौहान बृजेंद्र सिंह मलखान सिंह फूल सिंह कठेरिया शिवपाल सिंह शिव प्रसाद मिश्रा अमित राजपूत महेश शंखवार आदि रहे।
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