वर्दी के पीछे छिपा साम्राज्य! 92 करोड़ की संपत्ति पर विजिलेंस ने कसा शिकंजा

कानपुर में गठित एसआईटी (स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम) की जांच में यह खुलासा हुआ है कि पुलिस अधिकारी ऋषिकांत शुक्ला के पास 92 करोड़ की संपत्ति है

Avanish Kumar
Published on: 4 Nov 2025 8:26 PM IST
Corrupt Police Officer Rishikant Shukla
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Corrupt Police Officer Rishikant Shukla 

Kanpur Police: पूर्व पुलिस आयुक्त की रिपोर्ट के आधार पर पुलिस विभाग में बड़ी कार्रवाई शुरू हो गई है। कानपुर में कई अहम पदों पर रह चुके वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ऋषिकांत शुक्ला पर भ्रष्टाचार और अनुचित लाभ लेने के गंभीर आरोप लगे हैं। शासन के आदेश पर उनके विरुद्ध विजिलेंस जांच प्रारंभ कर दी गई है और प्राथमिक कार्रवाई के तहत उन्हें निलंबित कर दिया गया है।

जानकारी के मुताबिक, कानपुर में गठित एसआईटी (स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम) की जांच में यह खुलासा हुआ है कि ऋषिकांत शुक्ला ने अपने प्रभाव और पुलिस महकमे में संबंधों का दुरुपयोग करते हुए भारी आर्थिक लाभ उठाया। जांच में यह भी सामने आया कि उन्होंने व्यापारी अखिलेश दुबे के साथ मिलकर अपने कई रिश्तेदारों और सहयोगियों के नाम पर संपत्तियाँ खरीदीं। इन संपत्तियों की कीमत लगभग 92 करोड़ रुपये बताई जा रही है।

सूत्रों के अनुसार, ये संपत्तियाँ कानपुर, लखनऊ, उन्नाव और प्रयागराज जैसे जिलों में फैली हुई हैं। कई प्लॉट, फ्लैट, फार्म हाउस और व्यावसायिक परिसरों के दस्तावेज शुक्ला और उनके परिजनों से जुड़े मिले हैं। एसआईटी ने सभी संपत्तियों का विस्तृत ब्यौरा शासन को भेज दिया है, जिसमें इनकी खरीद के स्रोत और बैंक लेनदेन की भी जानकारी शामिल है।

पुलिस आयुक्त कार्यालय ने जांच रिपोर्ट को गंभीरता से लेते हुए इसे डीजीपी मुख्यालय को अग्रेषित किया। इसके बाद शासन स्तर से विजिलेंस विभाग को गहन जांच के निर्देश जारी किए गए हैं। संयुक्त पुलिस आयुक्त (कानून एवं व्यवस्था) आशुतोष कुमार ने बताया कि आरोप अत्यंत गंभीर हैं और जांच में पारदर्शिता सुनिश्चित की जाएगी। उन्होंने कहा, “विजिलेंस टीम सभी वित्तीय दस्तावेज, बैंक खातों और संपत्ति रजिस्ट्रियों की पड़ताल कर रही है। दोषी पाए जाने पर विभागीय व कानूनी दोनों कार्रवाई तय है।”

वहीं, पुलिस विभाग के सूत्रों का कहना है कि यह मामला विभागीय इतिहास की बड़ी जांचों में से एक बन सकता है। जांच एजेंसियों ने आयकर विभाग से भी सहयोग मांगा है ताकि अवैध लेनदेन और शेल कंपनियों के जरिये की गई संपत्ति खरीद की पूरी जानकारी मिल सके। विजिलेंस सूत्रों के अनुसार, अगर आरोप पुख्ता साबित हुए तो भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया जाएगा। वही इस मामले ने पुलिस महकमे में हड़कंप मचा दिया है।

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