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Kaushambi News: राजकीय चिकित्सा अधिकारी डॉ. शिवशक्ति प्रसाद द्विवेदी ने दी लाइव प्रस्तुति, कार्डियक अरेस्ट के मामलों में वृद्धि पर चिंता
Kaushambi News: कोरोना महामारी के बाद कार्डियक अरेस्ट के मामलों में बेतहाशा बढ़ोतरी हुई है। आजकल व्यायाम और नृत्य करते समय भी लोगों को दिल का दौरा पड़ रहा है।
राजकीय चिकित्सा अधिकारी डॉ. शिवशक्ति प्रसाद द्विवेदी ने दी लाइव प्रस्तुति, कार्डियक अरेस्ट के मामलों में वृद्धि पर चिंता (Photo- Newstrack)
Kaushambi News: कौशाम्बी, उत्तर प्रदेश: कार्डियक अरेस्ट के बढ़ते मामलों के मद्देनजर, वाराणसी के राजकीय चिकित्सा अधिकारी डॉ. शिवशक्ति प्रसाद द्विवेदी ने कौशाम्बी पुलिस लाइन सभागार में पुलिस अधीक्षक राजेश कुमार सहित समस्त पुलिस अधिकारियों को सीपीआर (कार्डियो पल्मोनरी रिससिटेशन) पर एक महत्वपूर्ण लाइव प्रस्तुति दी। उन्होंने पुलिस कर्मियों को कार्डियक अरेस्ट होने पर (विशेष परिस्थिति में) पीड़ित के जीवन की रक्षा के लिए बरती जाने वाली सावधानियों और सीपीआर के सही तरीके से अवगत कराया।
डॉ. द्विवेदी ने बताया कि कोरोना महामारी के बाद कार्डियक अरेस्ट के मामलों में बेतहाशा बढ़ोतरी हुई है। आजकल व्यायाम और नृत्य करते समय भी लोगों को दिल का दौरा पड़ रहा है, जिससे देश के विभिन्न हिस्सों में कई लोगों की जान जा चुकी है। उन्होंने जोर दिया कि ऐसे समय में सीपीआर देने की जानकारी अधिक से अधिक लोगों को होनी चाहिए, क्योंकि यह एक जीवन रक्षक प्रणाली है।
उन्होंने समझाया कि कार्डियक अरेस्ट के मरीज के लिए पहला तीन मिनट 'गोल्डन टाइम' होता है। यदि नौ मिनट तक मस्तिष्क को ऑक्सीजन नहीं मिले तो व्यक्ति 'ब्रेन डेथ' का शिकार हो सकता है। इस दौरान यदि मरीज को सीपीआर दिया जाए तो उसकी जान बचाई जा सकती है। डॉ. द्विवेदी ने बताया कि सीपीआर एक मेडिकल थेरेपी की तरह है, जिससे कार्डियक अरेस्ट आने पर मरीज को अस्पताल पहुंचाने तक उसे सीपीआर देते रहना चाहिए। ऐसा करने से मरीज के बचने की संभावना बहुत बढ़ जाती है। उन्होंने आगाह किया कि यदि व्यक्ति की सांस या धड़कन रुक गई है तो ऑक्सीजन की कमी से शरीर की कोशिकाएं बहुत जल्द खत्म होने लगती हैं, जिसका असर मस्तिष्क पर भी पड़ता है। सही समय पर सीपीआर और इलाज शुरू नहीं होने पर व्यक्ति की मौत भी हो सकती है। इस विधि से व्यक्ति की सांस वापस लाने या दिल की धड़कन सामान्य हो जाने तक छाती को विशेष तरीके से दबाया जाता है।
लाइव प्रस्तुति और सीपीआर देने का तरीका:
प्रशिक्षण के दौरान, डॉ. शिवशक्ति प्रसाद द्विवेदी ने मानव शरीर की डमी पर सीपीआर देने की लाइव प्रस्तुति दी। उन्होंने दिखाया कि सीपीआर के लिए सबसे पहले पीड़ित को किसी ठोस जगह पर लिटा दिया जाता है और प्राथमिक उपचार देने वाला व्यक्ति उसके पास घुटनों के बल बैठ जाता है। उसकी नाक और गला चेक कर यह सुनिश्चित किया जाता है कि उसे सांस लेने में कोई रुकावट तो नहीं है। इसके बाद, अपने दोनों हाथों की मदद से विशेष तरीके से एक मिनट में 100 से 120 बार छाती के बीच में तेजी से दबाना होता है।
हर एक पुश के बाद छाती को वापस अपनी सामान्य स्थिति में आने देना चाहिए। इससे शरीर में पहले से मौजूद रक्त को हृदय पंप करने लगता है। 30 बार पुश करने के बाद मुंह पर साफ रूमाल रखकर दो बार सांसें दी जाती हैं। इससे शरीर में रक्त का प्रवाह शुरू होता है और मस्तिष्क को ऑक्सीजन मिलने लगती है।
पुलिस अधीक्षक राजेश कुमार ने डॉ. द्विवेदी के कार्यों की सराहना की और कहा कि सीपीआर एक जीवन रक्षक प्रणाली है, इसलिए आम जनमानस को इसे सिखाना बहुत जरूरी है। इस अवसर पर क्षेत्राधिकारी कौशाम्बी/लाइन्स जेपी पाण्डेय, क्षेत्राधिकारी मंझनपुर शिवांक सिंह एवं अन्य पुलिस अधिकारी सहित रिक्रूट आरक्षी मौजूद रहे।
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