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भ्रष्टाचार मतलब BJP राज! CO के पास 100 करोड़ की संपत्ति पर फायर हुए अखिलेश, बीजेपी की लगाई क्लास
कानपुर में सीओ ऋषिकांत शुक्ला की 100 करोड़ की कथित अवैध संपत्ति का खुलासा होने के बाद सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने बीजेपी सरकार पर सीधा हमला बोला। अखिलेश ने पूछा कि जब एक अधिकारी के पास इतनी दौलत है, तो उसके ‘ऊपरवाले’ के पास कितनी होगी? मामला यूपी में भ्रष्टाचार और सत्ता-पुलिस गठजोड़ को लेकर सियासी तूफान खड़ा कर रहा है।
Akhilesh Yadav on CO Rishikant Shukla: उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक बार फिर भ्रष्टाचार का मुद्दा गरमा गया है। कानपुर के चर्चित वकील अखिलेश दुबे से जुड़े मामले में, उनके सहयोगी रहे सीओ ऋषिकांत शुक्ला की 100 करोड़ रुपये की कथित अवैध संपत्ति मिलने के बाद समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बीजेपी सरकार पर सीधा और तीखा हमला बोला है। अखिलेश यादव ने इस पूरे मामले को "भ्रष्टाचार का भंडार" बताते हुए सवाल उठाया कि जब एक सहायक अधिकारी के पास इतनी अकूत संपत्ति है, तो उनके सियासी आकाओं और उस 'ऊपरवाले' के पास कितनी दौलत जमा होगी, जिनके संरक्षण और आशीर्वाद से वह अधिकारी ज़मींदोज़ होने से बचा रहा। सपा प्रमुख के इस बयान ने यूपी पुलिस और सरकार के बीच चल रही कथित साठगांठ की बहस को एक बार फिर हवा दे दी है।
निलंबित सीओ पर शिकंजा: 15 साल कानपुर में रही तैनाती
मामला उत्तर प्रदेश के कानपुर से जुड़ा है, जहां जेल में बंद वकील अखिलेश दुबे पर झूठे पॉक्सो के मुक़दमे दर्ज कराकर लोगों से करोड़ों रुपये की रंगदारी वसूलने का संगीन आरोप है। इसी मामले में अखिलेश दुबे की मदद करने और उसके साथ मिलकर अकूत संपत्ति अर्जित करने के आरोपों में घिरे सीओ ऋषिकांत शुक्ला को शासन ने देर रात निलंबित कर दिया। ऋषिकांत शुक्ला की कथित अकूत कमाई की जांच का जिम्मा अब विजिलेंस को सौंप दिया गया है।हैरान करने वाली बात यह है कि ऋषिकांत शुक्ला करीब 15 साल तक दरोगा से लेकर सीओ तक के पदों पर कानपुर में तैनात रहे। वर्तमान में वह मैनपुरी जिले के सीओ भोगांव के पद पर तैनात थे। यह निलंबन पूर्व पुलिस कमिश्नर अखिल कुमार के कार्यकाल में शुरू हुए 'ऑपरेशन महाकाल' से जुड़ी शासन स्तर की पहली बड़ी कार्रवाई है, जिसका उद्देश्य अपराधी और पुलिस के गठजोड़ की कमर तोड़ना है।
अकूत संपत्ति का राज़: 'ऑपरेशन महाकाल' से खुलासा
चर्चित वकील अखिलेश दुबे की गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने उसका साथ देने वाले पुलिसकर्मियों की कुंडली खंगालनी शुरू की थी। इस जांच के दायरे में तीन सीओ समेत पांच पुलिसकर्मी आए थे, जिनमें से अखिलेश का एक करीबी इंस्पेक्टर पहले ही जेल भेजा जा चुका है। अपराधी और पुलिस गठजोड़ की जांच के लिए एसआईटी (SIT) का गठन किया गया था। एसआईटी जांच में सामने आया कि सीओ ऋषिकांत शुक्ला ने कानपुर में तैनाती के दौरान करोड़ों की संपत्तियां बनाईं। इतनी संपत्ति बनाना उनकी नौकरी से होने वाली वैध आय से किसी भी हाल में संभव नहीं था। एसआईटी ने यह भी आशंका जताई है कि ऋषिकांत शुक्ला ने वकील अखिलेश दुबे की संपत्तियों में भी बड़े पैमाने पर निवेश किया होगा। ऋषिकांत शुक्ला का नाम इस मामले में तीसरे दागी पुलिसकर्मी के रूप में सामने आया है, जिनका निलंबन और विजिलेंस जांच की अनुमति शासन ने दे दी है। सूत्रों का कहना है कि जांच की जद में आए अन्य दागी पुलिसकर्मियों पर भी जल्द ही बड़ी कार्रवाई हो सकती है।
अखिलेश का सवाल: कौन है इस भ्रष्टाचार का 'ऊपरवाला'?
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने ऋषिकांत शुक्ला पर कार्रवाई को नाकाफ़ी बताते हुए सीधे बीजेपी सरकार की नीयत पर सवाल उठाया है। उन्होंने कहा कि यह मामला दिखाता है कि भाजपा के शासन में भ्रष्टाचार किस हद तक फैल चुका है। अखिलेश ने अपने बयान में यह कहकर सरकार को घेरा है कि जब एक सहायक अधिकारी के पास 100 करोड़ की संपत्ति है, तो सोचिए "उनके उस ‘ऊपरवाले’ के पास कितनी [दौलत] होगी, जिनके प्रश्रयत्व के आशीर्वाद से वो ज़मींदोज़ होने से बचे हैं।" सपा का आरोप है कि ऐसे अधिकारियों को सत्ताधारी नेताओं का सीधा संरक्षण प्राप्त है, जिसकी वजह से वे बेख़ौफ़ होकर भ्रष्टाचार कर रहे हैं। इस पूरे मामले ने एक बार फिर यूपी के राजनीतिक गलियारों में खलबली मचा दी है, जहां विपक्ष लगातार 'कानून-व्यवस्था में पुलिस-अपराधी-नेता गठजोड़' का आरोप लगाता रहा है।
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