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BBAU में प्रौद्योगिकी विकास को लेकर विशेषज्ञों ने की चर्चा ! अंतरिक्ष और रक्षा अनुप्रयोगों के लिए उच्च तापमान सामग्री पर आविष्कार
Lucknow News: कार्यक्रम में मुख्य अतिथि एवं वक्ता के तौर पर सीएसआईआर सेंट्रल इलेक्ट्रो केमिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट, कारिकुडी, तमिलनाडु के सीनियर प्रिंसिपल साइंटिस्ट डॉ. जी. श्रीधर मौजूद रहे।
BBAU में प्रौद्योगिकी विकास को लेकर विशेषज्ञों ने की चर्चा (photo: social media )
Lucknow News: बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय में सोमवार को संस्थान नवाचार परिषद की ओर से 'अंतरिक्ष और रक्षा अनुप्रयोगों के लिए उच्च तापमान सामग्री पर आविष्कार, नवाचार और प्रौद्योगिकी विकास विषय पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि एवं वक्ता के तौर पर सीएसआईआर सेंट्रल इलेक्ट्रो केमिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट, कारिकुडी, तमिलनाडु के सीनियर प्रिंसिपल साइंटिस्ट डॉ. जी. श्रीधर मौजूद रहे। इसके अतिरिक्त मुख्य तौर पर आईआईसी, बीबीएयू के चैयरपर्सन प्रो. नवीन कुमार अरोड़ा, जैव प्रौद्योगिकी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. डीआर मोदी, प्रो. राम चन्द्रा एवं कार्यक्रम समन्वयक डॉ. जी. सुनील बाबू उपस्थित रहे।
सीनियर प्रिंसिपल साइंटिस्ट डॉ. जी. श्रीधर ने सभी को संबोधित करते हुए कहा कि जिस प्रकार आज देश में विज्ञान और तकनीक का तेजी से विकास हो रहा है उसका असर सीधे हमारे अंतरिक्ष और रक्षा क्षेत्र में दिखाई देता है। उन्होंने बताया कि इसरो के रॉकेट इंजनों में अब खास सेंसर लगाए जा रहे हैं, जो इंजन के अंदर प्रेशर और फ्यूल के बहाव को जांचते हैं। इससे वैज्ञानिकों को यह समझने में मदद मिलती है कि रॉकेट सही तरीके से काम कर रहा है या नहीं। इस तकनीक से रॉकेट को और सुरक्षित और भरोसेमंद बनाया जा सकता है। इन्होंने बताया कि रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) की 'प्रलय' मिसाइल, जो 150 से 500 किलोमीटर तक के निशाने को भेद सकती है, हाल ही में सफलतापूर्वक टेस्ट की गई है और इससे भारत की रक्षा क्षमता और भी मजबूत हुई है। इसी के साथ डॉ. श्रीधर ने और भी कई महत्वपूर्ण तकनीकों पर प्रकाश डाला जैसे कि हाई टेम्परेचर कोरोजन टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल उन जगहों पर होता है जहाँ बहुत ज्यादा गर्मी होती है, जैसे पावर प्लांट और इंजन, ताकि मशीनें लंबे समय तक चल सकें।
भारत विज्ञान और तकनीक में आत्मनिर्भर बने
इसी तरह मोल्टन सॉल्ट इलेक्ट्रोलिसिस एक ऐसी तकनीक है जिससे धातुओं और दूसरे कीमती पदार्थों को शुद्ध किया जाता है। उन्होंने थर्मल बैरियर कोटिंग्स के बारे में भी बताया, जो मिसाइल और इंजन को ज्यादा गर्मी से बचाती हैं। साथ ही एनर्जी स्टोरेज सिस्टम्स और हाइड्रोजन फ्यूल से जुड़ी तकनीकें भी भारत को ग्रीन एनर्जी की दिशा में आगे बढ़ाने में मदद कर रही हैं। डॉ. श्रीधर ने कहा कि इन सभी प्रयासों का मकसद यही है कि भारत विज्ञान और तकनीक में आत्मनिर्भर बने और आने वाले समय में दुनिया के बड़े देशों की बराबरी कर सके।
प्रो. अरोड़ा ने युवाओं को किया प्रेरित
डॉ. नवीन कुमार अरोड़ा ने अपने विचार रखते हुए कहा कि आविष्कार और नवाचार ही किसी भी देश की असली ताकत होते हैं। नया सोचने और नई चीजें बनाने से ही विज्ञान और तकनीक आगे बढ़ते हैं। उन्होंने कहा कि जैसे हमारे वैज्ञानिकों ने रॉकेट, मिसाइल, नई ऊर्जा तकनीकें और उन्नत मशीनें विकसित की हैं, वैसे ही छात्र भी अगर छोटी-छोटी चीज़ों में सुधार और नए आइडिया लाने की कोशिश करेंगे तो वह बड़े बदलाव ला सकते हैं। प्रो. अरोड़ा ने युवाओं को प्रेरित किया कि वे सिर्फ पढ़ाई तक सीमित न रहें, बल्कि रिसर्च, प्रोजेक्ट्स और नये प्रयोगों में भी हिस्सा लें ताकि आने वाले समय में वे देश के लिए कुछ नया कर सकें और भारत को आत्मनिर्भर बनाने में योगदान दें।
वहीं कार्यक्रम के दौरान मुख्य वक्ता के द्वारा विद्यार्थियों की ओर से पूछे गये प्रश्नों का उत्तर भी दिया गया। साथ ही आयोजन समिति की ओर से मुख्य अतिथि को स्मृति चिन्ह एवं शॉल भेंट करके उनके प्रति आभार व्यक्त किया गया।
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