Lucknow Dholida Dandiya-Garba: ढोल की थाप पर थिरका लखनऊ, डांडिया-गरबा ने भर दी रिश्तों में नई मिठास

इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में रंग-बिरंगे परिधानों संग डांडिया-गरबा ने बांधा उत्सव का समां

Ramkrishna Vajpei
Published on: 26 Sept 2025 10:38 PM IST
Lucknow Dholida Dandiya-Garba Festival
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Lucknow Dholida Dandiya-Garba Festival( image from Social Media)

Lucknow Dholida Dandiya-Garba: नवाबों के शहर लखनऊ में गुरुवार, 26 सितंबर की शाम, सिर्फ एक तारीख नहीं, बल्कि भावनाओं, ऊर्जा और सांस्कृतिक बंधनों का एक यादगार संगम बन गई। गोमती नगर स्थित इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान का विशाल प्रांगण उस रात रौशनी और उत्साह से सराबोर था, जहाँ वीनस इवेंट द्वारा आयोजित 'ढोलिडा' कार्यक्रम में डांडिया और गरबा की धुनें गूँज उठीं। यह सिर्फ एक आयोजन नहीं था; यह लखनऊ के लोगों की आत्मा का उत्सव था, जिसने स्थानीय लोगों को एक सूत्र में पिरोकर पारिवारिक और सामाजिक रिश्तों को नई गर्माहट दी।

भीड़ भरे शहर के बीच, प्रतिष्ठान के परिसर में प्रवेश करते ही एक अलग ही दुनिया का एहसास हो रहा था। रंग-बिरंगे पारंपरिक परिधानों में सजे लोग – महिलाओं के लहंगों की चमक, पुरुषों के केडिय़ा-धोती का आकर्षण, और हर चेहरे पर खिलखिलाती मुस्कान – इस बात की गवाही दे रही थी कि त्योहारों का यह मौसम सिर्फ पूजा-पाठ का नहीं, बल्कि मेल-जोल का भी है। जैसे ही ढोल की थाप शुरू हुई, माहौल में एक जादुई ऊर्जा भर गई। बच्चे, बूढ़े और युवा सभी वर्ग के लोग अपने सभी दायित्वों को भूलकर वृत्ताकार घेरे में डांडिया की खनक और गरबा के लयबद्ध कदमों से एक-दूसरे से जुड़े।


यह आयोजन उन लम्हों को संजोने का एक माध्यम बना, जब लोग अपने काम की व्यस्तता से दूर होकर खुलकर हँसे और नाचे। कई परिवारों ने एक साथ आकर डांडिया खेला, जो दिखाता है कि कैसे यह उत्सव आधुनिक जीवन की भागदौड़ में भी हमें अपनी जड़ों और अपनों से जोड़े रखता है। ताल से ताल मिलाते हुए अजनबियों का एक-दूसरे से टकराना और तुरंत मुस्कुरा कर आगे बढ़ जाना – यह सब आपसी सद्भाव और प्रेम का एक सुंदर उदाहरण था।


कार्यक्रम की सफलता का श्रेय वीनस इवेंट के आयोजन समिति को जाता है, जिसमें आयुष सिंह, उत्सव एवं हर्ष सिंह, एवं अतुल कुमार सिंह सहित अन्य अतिथि गणों की उपस्थिति ने उत्साह बढ़ाया। उनके प्रयास ने लखनऊ के लोगों को एक ऐसा मंच दिया जहाँ उन्होंने न सिर्फ अपनी संस्कृति का आनंद लिया, बल्कि सामुदायिक प्रेम और सौहार्द का भी अनुभव किया।


'ढोलिडा' ने यह साबित कर दिया कि संगीत और नृत्य में वह शक्ति है जो हर किसी के दिल को छू सकती है। यह शाम सिर्फ डांडिया की नहीं थी; यह लखनऊ की सामुदायिक भावना, मानवीय जुड़ाव और अटूट उत्साह की कहानी थी, जिसने हर सहभागी के मन में एक मीठी और सुनहरी याद छोड़ दी।

नोट यह खबर एआई की सहायता से तैयार की गई है।

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