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लखनऊ में तेजी से बढ़ रहे 'Digital Arrest' के मामले! धड़ल्ले से हो रहा करोड़ों की ठगी का खेल
बीते 2 माह में 4 बड़े ऐसे मामले आए, जिनमें पीड़ितों से लाखों करोड़ों की ठगी की वारदात को अंजाम दिया गया। पुलिस अब इस मामले में मुकदमा दर्ज कर जांच कर रही है।
Lucknow Crime News
Lucknow Crime News: उत्तर प्रदेश में डिजिटल अरेस्ट के मामले तेजी के साथ बढ़ते जा रहे हैं। ऐसी घटनाओं में लगातार हो रही बढ़ोतरी साइबर पुलिस की सक्रियता और प्लानिंग पर भी सवाल खड़े कर रहे हैं। इसी डिजिटल अरेस्ट से जुड़ा मामला एक बार फिर लखनऊ के गोमतीनगर स्थित विरामखंड से सामने आया, जहां 77 वर्षीय केंद्रीय मंत्रालय से रिटायर संयुक्त निदेशक कृपा शंकर गौतम को साइबर जालसाजों ने डिजिटल अरेस्ट का शिकार बनाकर 12 लाख रुपये की ठगी कर ली।
डिजिटल अरेस्ट की ठगी से जुड़ा ये कोई नया मामला नहीं, बल्कि बीते 2 माह में 4 बड़े ऐसे मामले आए, जिनमें पीड़ितों से लाखों करोड़ों की ठगी की वारदात को अंजाम दिया गया। पुलिस अब इस मामले में मुकदमा दर्ज कर जांच कर रही है।
बीते 2 माह में सामने आए डिजिटल अरेस्ट से जुड़े बड़े मामले
राजधानी लखनऊ में पिछले 2 महीने में सामने आए बड़े डिजिटल अरेस्ट से जुड़े मामलों की बात करें तो 18 से 22 अगस्त के बीच डिजिटल अरेस्ट करके जालसाजों ने PGI से रिटायर प्रधान सचिव दिनेश प्रधान से 50 लाख वसूले। वहीं, 21 से 26 अगस्त के बीच रिटायर मर्चेंट नेवी अफसर सुरेंद्र पाल सिंह और उनके पिता से डिजिटल अरेस्ट के माध्यम से जालसाजों ने 1.29 करोड़ की ठगी की।
इसके साथ ही 4 जून को कारोबारी इरफान हैदर नकवी से 11.47 लाख हड़पे गए और 18 जुलाई को ऐशबाग की रहने वाली रीता भसीन से 56 लाख डिजिटल अरेस्ट के जरिये साबिर जालसाजों ने ठग लिए। इसके बाद अब गोमतीनगर में रिटायर्ड IAS केंद्रीय मंत्रालय से रिटायर संयुक्त निदेशक कृपा शंकर गौतम को डिजिटल अरेस्ट करके 12 लाख की ठगी का मामला सामने आया।
फर्जी पुलिस अधिकारी बनकर दो दिन तक बंधक बनाया
लखनऊ के गोमती नगर विराम खंड के रहने वाले केंद्रीय मंत्रालय से रिटायर संयुक्त निदेशक कृपा शंकर गौतम ने बताया कि बीते 2 सितंबर को उन्हें एक महिला का फोन आया, जिसने खुद को टेलीकॉम कंपनी की कर्मचारी बताया और कहा कि उनका आधार कार्ड मनी लान्ड्रिंग में इस्तेमाल हुआ है। उन्होंने बताया कि कुछ देर बाद व्हाट्स ऐप पर वीडियो कॉल पर पुलिस वर्दी पहने एक शख्स ने खुद को डीसीपी गोपेश कुमार बताते हुए गिरफ्तारी वारंट दिखाया। बताया जाता है कि साइबर जालसाजों ने पीड़ित को धमकाकर घर में काम करने वाले नौकरों को छुट्टी देने और खुद को कमरे में बंद करने को कहा। आरोप लगाया गया कि उनके नाम से निकाले गए सिम कार्ड से महिलाओं को अश्लील मैसेज भेजे गए और वे एक बड़े मामले में आरोपी हैं। साइबर जालसाजों की ओर से बनाए गए डर के माहौल में वरिष्ठ नागरिक दो दिन तक घर में कैद रहे और किसी से मदद भी नहीं मांग सके।
बैंक से 12 लाख रुपये ट्रांसफर कराए, जांच में जुटी पुलिस
बताया जाता है कि घटना के अगले दिन 3 सितंबर को जालसाजों ने पीड़ित कृपा शंकर को धमकाते हुए बैंक ऑफ बड़ौदा भेजा और वहीं से उनसे 12 लाख रुपये का आरटीजीएस करवाकर रकम इंडसइंड बैंक खाते में ट्रांसफर कराई। इसी बीच जालसाज लगातार धमकी दे रहे थे कि यदि उन्होंने किसी से बात की तो तुरंत जेल भेज दिया जाएगा।
इसी बीच पीड़ित की भतीजी घर पहुंची तो कॉल कट गया और मामला परिजनों के सामने आया। परिवार ने तुरंत पुलिस को सूचना दी। साइबर क्राइम थाना प्रभारी ब्रजेश कुमार यादव के मुताबिक एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई है। पुलिस अब उन खातों के अलावा कॉल डिटेल्स की पड़ताल कर रही है, जिनका इस्तेमाल इस साइबर ठगी में किया गया।
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